100 की जगह 110 का नामांकन कर बीएनएमयू ने पार कर  दी हर हद- एआईएसएफ

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फ़ाइल फ़ोटो : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय
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मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू में पदाधिकारियों के भाई भतीजावाद के कारण नामांकन कि सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी प्रतिभावान छात्र दर दर भटकने को लाचार हैं, जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है उनपर जबरन राशि वापस लेने का दबाव बना उन्हें विभिन्न स्तरों पर प्रताड़ित किया जा रहा है ।

उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के राज्य उपाध्यक्ष सह बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कही। उन्होंने कहा कि कई छात्रों से दबाव डालकर खाते में गलती से पैसा डालने की बात लिखा पैसा वापस करने  का काम किया गया है, वहीं कई छात्र राशि नहीं लेने पर यह कहते हुए अड़े हुए हुए हैं कि जब वो हर अहर्ता को पूरा कर रहे हैं साथ ही नामांकन शुल्क तक जमा कर चुके हैं फिर उन्हें अब किस आधार पर कहा जा रहा राशि वापसी के लिए। इसमें से कई छात्रों ने कुलपति, राजभवन , शिक्षा मंत्री सहित प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को आवेदन दे न्याय की गुहार लगाई है। पढ़ाई कर अपना भविष्य तलाशने व संवारने के बजाय बीएनएमयू की शर्मनाक रवैये के कारण  अपने हक के लिए ऐसे प्रतिभावान छात्रों को दर दर भटकना पड़ रहा है।

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छात्र नेता राठौर ने कहा कि विश्वविद्यालय मुख्यालय के बीएड विभाग में बीएड, एमएड के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर इंचार्ज, नोडल की निगरानी में कुल सौ की जगह लगभग एक सौ दस छात्रों का सभी प्रकिया पूरा करते हुए एडमिशन लेना फिर फीस वापसी के लिए दबाव बनाना दर्शाता है कि इसमें बड़े स्तर पर धांधली व गोलमाल हुआ है इस मामले को केंद्र में रख व्यापक स्तर पर ईमानदार पहल की जरूरत है जिससे इस पूरे प्रकरण से जुड़े हकीकत को सामने लाया जा सके। एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि संगठन का मानना है कि ऐसी घटना सिर्फ मुख्यालय विभाग में ही नहीं हुई है बल्कि अन्य सरकारी व गैर सरकारी महाविद्यालयों में संचालित बीएड विभाग में भी इसकी शंका प्रतीत होती है। छात्र नेता राठौर ने विश्वविद्यालय को कटघरे में लाते हुए कहा कि लगातार एआईएसएफ संग विभिन्न छात्र संगठनों व खुद एक विभागाध्यक्ष द्वारा तथ्य सहित शिकायत करने पर भी विवि का मौन रहना धांधली के जड़ में कई वरीय पदाधिकारियों के होने के शक को भी जन्म देता है।

एआईएसएफ के संयुक्त जिला सचिव सौरभ कुमार ने कहा कि लगातार आरोप के बाद नौ जनवरी को सिंडीकेट के बैठक में जांच के लिए  कमिटी घोषित होने के बाद भी लगभग एक महीना होने के बाद  नोटिफिकेशन जारी नहीं करने से ऐसा लगता है कि इस पूरे प्रकरण को दबाने की साजिश चल रही है जिसे एआईएसएफ किसी कीमत पर सफल नहीं होने देगा । उन्होंने संगठन की ओर से कुलपति से मांग किया  कि जांच टीम में बीएड के एक विशेषज्ञ सहित अन्य विश्वविद्यालय के एक प्रतिनिधि को रखते हुए विश्वविद्यालय अन्तर्गत सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में संचालित बीएड में नियुक्ति व नामांकन कि पारदर्शी तरीके से जांच कराने व दोषियों पर सख्त कार्रवाई व पीड़ित को न्याय दिलाने को कड़े कदम उठाएं। अन्यथा संगठन आंदोलन का हर रुख अख्तियार करने में गुरेज नहीं करेगा।

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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