आजाद भारत का सबसे बड़ा जनतांत्रिक आंदोलन है किसान आंदोलन

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फ़ोटो : चक्का जाम में शामिल महागठबंधन कार्यकर्ता
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मधेपुरा/बिहार : किसान विरोधी कॉरपोरेट परस्त तीन कृषि कानून एवं बिजली संशोधन बिल 2020 के खिलाफ ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर शनिवार को महागठबंधन के कार्यकर्ताओं एवं किसानों ने जिला मुख्यालय स्थित कर्पूरी चौक पर चक्का जाम कर दिया.

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इस अवसर पर किसानों ने तानाशाही नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ जमकर की नारेबाजी. किसानों ने कहा कि किसानों की शहादत बेकार नहीं जायेेगी. राजद जिलाध्यक्ष जय कांत यादव ने कहा कि रात के अंधेरे में तीन काला कृषि कानून नरेंद्र मोदी की सरकार ने संसद के अंदर पास कराया है. सरकार ने न संविधान की प्रवाह की, न संसदीय परंपराओं की और ना ही देश की संघीय ढांचे की. यह कानून पूरी तरह से किसान विरोधी एवं देश विरोधी है. भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य सह महागठबंधन के जिला संयोजक प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि धरती मां के लाल पूंजीपतियों के दलालों के सामने ना झुकेंगे, ना हारेंगे और काले कृषि कानून वापस करवा कर ही मानेंगे. उन्होंने कहा कि ना उम्मीद टूटी है, ना हौसला, अन्नदाता जीतेगा और कॉरपोरेट का दलाल हारेगा. राजद के प्रदेश महासचिव बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा दिल्ली के बॉर्डर पर भीषण शीतलहर के बीच जिंदगी एवं मौत से जूझते 150 से ज्यादा किसानों की शहादत दुनिया के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा.

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फ़ोटो : चक्का जाम में शामिल महागठबंधन कार्यकर्ता

सरकार किसान विरोधी काला कानून वापस नहीं लेती है तो होंगे इसके गंभीर परिणाम : भाकपा माले के जिला संयोजक रामचंद्र दास ने कहा कि मोदी सरकार बेलगाम हो गई है. इस पर लगाम लगाना वक्त का तकाजा है. किसान विरोधी काला कानून सरकार वापस नहीं लेती है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. माकपा के जिला मंत्री मनोरंजन सिंह एवं राज्य कमेटी के सदस्य गणेश मानव ने कहा कि किसानों एवं देशवासियों के आंख में धूल झोंकने के लिए सरकार झूठा वार्ता की नाटक कर रही है. सरकार किसानों के प्रति संवेदनहीन है. भाकपा के जिला मंत्री विद्याधर मुखिया एवं किसान नेता रमन कुमार ने कहा कि यह किसान आंदोलन भूख के खिलाफ भात की और अंधेरा के खिलाफ प्रात की है. सरकार काला कानून वापस ले या सिंहासन खाली करे. पूर्व विधायक सह लोजद नेता परमेश्वरी प्रसाद निराला तथा लोजद के जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि कृषि कानून से खेती एवं किसानी बर्बाद हो जायेगा. किसान कॉरपोरेट के गुलाम हो जायेंगे. यह कानून पूरी तरह से किसान विरोधी एवं देश विरोधी है. एनएसयूआई जिलाध्यक्ष निशांत यादव ने कहा कि कृषि कानून अदानी एवं अंबानी के हितों में बनाई गई है. यह किसान आंदोलन तय करेगा कि भारत में कंपनी राज रहेगा या किसान राज. राजद के किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष प्रकाश पिंटू एवं प्रदेश महासचिव अमेश यादव ने किसान नेताओं पर दर्ज झूठे मुकदमा वापस लेने, सभी गिरफ्तार किसानों को रिहा करने, लापता किसानों को बरामद करने की मांग की.

आजाद भारत का सबसे बड़ा जनतांत्रिक आंदोलन है किसान आंदोलन : राजद नेता सह महागठबंधन के सह संयोजक रामकृष्ण यादव ने कहा कि आजाद भारत की सबसे बड़ा जनतांत्रिक आंदोलन यह किसान आंदोलन है. सरकार इसे दबाने का प्रयास करती है तो इसके ताप से जलकर भस्म हो जायेगी. राजद नेत्री रागिनी रानी यादव ने कहा कि मोदी सरकार कॉरपोरेट का का हित सोचती है, किसानों के लिए नहीं. इस देश के अंदर किसानों के खिलाफ पूंजीपतियों की दलाली नहीं चलेगी.

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फ़ोटो : चक्का जाम में शामिल महागठबंधन कार्यकर्ता

 चक्काजाम आंदोलन में राजद जिला महासचिव नसीरुद्दीन नूरी, गोसाई ठाकुर, राजद नेता डा राजेश रतन मुन्ना, सुरेश कुमार यादव, पप्पू यादव, अनिल प्रसाद यादव, रमन प्रसाद सिंह, राम विजय यादव, ललन कुमार राम, नित्यानंद यादव, गणेश यादव, अभिनंदन यादव, अरविंद यादव, मनोज यादव, अभय कुमार सिंह, राज दीप कुमार यादव, संजीव कुमार, मंजेश यादव, रितेश यादव, विक्रम यादव, संजय भारती, रामदेव यादव, आशीष कुमार बिट्टू, अजीत जनार्दन, विलास, मिथिलेश, भाकपा नेता शैलेंद्र कुमार, दिलीप पटेल, शंभू क्रांति, जहांगीर, वसीम उद्दीन, माधवराम, नवीन कुमार, गौरी शंकर कुमार, गोलू, दीपक, अरमान, नीरज यादव, माकपा नेता राजदीप कुमार, चंद्र किशोर कुमार, विमल विद्रोही, बबलू सिंह, भाकपा माले के नेता शंभू शरण भारतीय, शंकर कुमार, सीताराम राजा, दीप नारायण मंडल, सावित्री देवी, शाहिदा खातून, देवकी देवी, विजय मुखिया, फुलिया देवी, विनोद दास, संतोला देवी, डोमणि देवी, माधव कुमार, अरुण कुमार, रवि शंकर कुमार, अभिलाष यदुवंशी, करनाल, राहुल पासवान, मुन्ना कुमार, डेविड, राजबल्लभ, संजीव कुमार, रामकुमार, गुलशन कुमार, राम, श्याम, संजीव यादव, अमित कुमार, आनंद आदि बड़ी संख्या में महागठबंधन के कार्यकर्ता एवं किसान नेता शामिल थे.

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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