मधेपुरा/बिहार : बीएड एंट्रेंस के रिजल्ट आने के बाद चॉइस लिस्ट में टी पी कॉलेज और पी एस कॉलेज का नाम नहीं होना कई सवालों को जन्म देता है। बड़े लंबे प्रयास के बाद बीएनएमयू के विभिन्न कॉलेजों में बीएड की शुरुआत हो पाई थी लेकिन कॉलेजों कि लापरवाही के कारण एक ही साल में तीन सौ सीट पर ग्रहण लग जाना कॉलेजों के साथ साथ विश्विद्यालय की लचर प्रशासनिक व्यवस्था को दर्शाता है। एनसीटीई भुवनेश्वर के चेतावनी और एक कॉलेज के ब्लैक लिस्टेड होने के बाद भी जिला मुख्यालय के दोनों कॉलेजों का नाम चॉइस लिस्ट में नहीं आना दर्शाता है जमीनी स्तर पर कारगर कदम नहीं उठाए गए। दो मार्च तक एंट्रेंस के लिए आवेदन मांगे गए 22 सितम्बर को परीक्षा हुई, एक अक्टूबर को रिजल्ट दिया गया इस दौरान समस्याओं के समाधान को पर्याप्त समय था।
उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य सह बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कही। इस मामले को लेकर छात्र नेता राठौर ने बीएनएमयू कुलपति प्रो आर के पी रमन से दूरभाष पर बात कर कारगर कदम उठाने की मांग की। कुलपति से वार्ता के क्रम में राठौर ने कहा कि देखते देखते विश्विद्यालय के तीन कॉलेजों में बीएड पर ग्रहण लग जाना कई सवालों को जन्म दे रहा है । उन्होंने वार्ता के क्रम में इस बिंदु पर कारगर कदम उठाने की मांग की । उन्होंने कहा कि पीएस कॉलेज ने मान्यता पुनः बहाल होने के जश्न मनाने के बजाय इसके अग्रेतर कारवाई में दिलचस्पी दिखाई होती तो आज यह हालात नहीं होते। संगठन के राज्य परिषद सदस्य सह संयुक्त जिला सचिव सौरभ कुमार ने कहा कि जिले के एक नैक से मान्यता प्राप्त और एक मान्यता प्राप्ति को तत्पर कॉलेज से बीएड पर ग्रहण लगना इस क्षेत्र के बच्चों के साथ घोर अन्याय है।
उन्होंने कॉलेज व विश्विद्यालय प्रशासन से मांग किया कि इसको लेकर अविलंब कारगर कदम उठाए जाए साथ ही जिसके कारण यह हालात उत्पन हुए उन पर कठोर कारवाई की जाए।उन्होंने कहा यथाशीघ्र पहल नहीं हुई तो संगठन इसे आंदोलन का रूप देगा।