मधेपुरा/बिहार : भारतीय दर्शन के अनुसार मनुष्य का ज्ञान, व्यवहार एवं भावना तीनों स्तर पर संतुलन ही स्वास्थ्य है। मानसिक स्वास्थ्य पर शारीरिक स्वास्थ्य का भी प्रभाव पड़ता है। मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव व्यक्ति की दिनचर्या, उसके संबंध एवं उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ना निश्चित है।
यह बात हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर-गढ़वाल उत्तराखंड में दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष निदेशक, एफडीसी (पीएमएमएमएनएमटी) डा इंदू पांडेय खंडूड़ी ने कही। वे शुक्रवार को कोरोना का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव विषयक वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थीं। कार्यक्रम का आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना एवं दर्शन परिषद बिहार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। डा इंदू पांडेय खंडूड़ी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के मन की उत्तम अवस्था है। इसमें वह अपनी क्षमताओं को समझता है एवं अपने उद्देश्य हेतु उसका प्रयोग कर सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य भी मानसिक स्वास्थ्य पर करता है निर्भर : डा इंदू पांडेय खंडूड़ी ने कहा कि भारतीय दर्शन में पंचकोश की अवधारणा है। ये अन्यमय कोष, प्राणाय कोष, मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष एवं आनंदमय कोष हैं। इनमें प्रथम तीन कोष मानव व्यक्तित्व एवं मानसिक स्थितियों से संबंधित हैं एवं बाद के दो बौद्धिक एवं आध्यात्मिक क्षमता से संबंधित हैं। इन पांचों कोषों के केंद्र में मनोमय कोष है। शारीरिक स्वास्थ्य भी मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। ऐसा नहीं है कि हम मन के द्वारा शरीर के कष्ट को दूर कर सकते हैं, लेकिन शरीर कष्ट की अनुभूति पर नियंत्रण अवश्य किया जा सकता है। भारतीय दर्शन में मानसिक स्वास्थ्य के लिए तीन शर्तें बताई गई हैं। ये विवेकशीलता यानि सम्यक् विवेक, चित्त की स्थिरता एवं स्थितप्रज्ञा यानि बुद्धि की स्थिरताहैं। यदि आपमें ये तीनों हैं, तो आप मानसिक रूप से स्वस्थ हैं।
कोरोना संक्रमण हमें बना रहा है शारीरिक एवं मानसिक रूपों से अपंग: बीएनएमयू कुलपति प्रो डा ज्ञानंजय द्विवेदी ने कहा कि भारतीय दर्शन में दो प्रकार के अशुभ, प्राकृतिक अशुभ एवं नैतिक अशुभ माने गये हैं। प्राकृतिक अशुभ के कारण नैतिक अशुभ भी आता है. कोरोना संक्रमण हमें शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूपों से अपंग बना रहा है। हमें कोरोना काल में मन को मजबूत करना है। मन के हारे हार है, मन के जीते जीते है. मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर की प्रति कुलपति प्रो डा कुसुम कुमारी ने कहा कि कोरोना से पूरी दुनिया डरी हुई है, लेकिन हमें निराश नहीं होना है। बुद्ध ने कहा है कि “दुख है, दुख का कारण है, दुख का निवारण है और दुख-निवारण के मार्ग भी हैं।“ कोरोना से मुक्ति का भी मार्ग अवश्य निकलेगा। दर्शन परिषद बिहार के अध्यक्ष डा बीएन ओझा ने कहा कि कोरोना एक अदृश्य दुश्मन है। इसने हमारी जिंदगी को बदल कर रख दिया है, इसने दुनिया की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है।
कीर्ति नारायण मंडल के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ हुई कार्यक्रम की शुरुआत : कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के संस्थापक कीर्ति नारायण मंडल के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ हुई। कार्यक्रम के दौरान एक पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया है। इसमें डा जयमंगल देव, अमृत कुमार झा, निधि सिंह, डा बरखा अग्रवाल एवं डा अनिश अहमद आमंत्रित मेहमान होंगे। परिचर्चा का संयोजन अकादमिक निदेशक डा एमआई रहमान करेंगे। इसके अलावा प्रो डा केके साहू, डा गीता दूबे, प्रो डा सोहनराज तातेड़, प्रो डा उषा सिन्हा, प्रो डा नरेंद्र श्रीवास्तव, प्रो डा नरेश कुमार, डा शेफाली शेखर, प्रो डा विजय कुमार एवं डा जवाहर पासवान का व्याख्यान हुआ। प्राचार्य डा केपी यादव ने स्वागत भाषण दिया।जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर एवं एमएलटी कॉलेज सहरसा के डा आनंद मोहन झा ने कार्यक्रम का संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस समन्वयक डा अभय कुमार ने किया।
मौके पर एमएड विभागाध्यक्ष डा बुद्धप्रिय, डा संजय कुमार परमार, डा मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डा बीएन यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर टीपी कॉलेज खुशबू शुक्ला, असिस्टेंट प्रोफेसर एलएनएमयू दरभंगा डा राहुल मनहर, शशि प्रभा जायसवाल, रंजन यादव, सारंग तनय, माधव कुमार, सौरभ कुमार चौहान, गौरव कुमार सिंह, अमरेश कुमार अमर, डेविड यादव, बिमल कुमार आदि उपस्थित थे।