चौसा/मधेपुरा/बिहार : शुक्रवार की सुबह पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखा। वट वृक्ष के समीप सावित्री की पूजा किया। सावित्री व सत्यवान की कथा सुनी।
सनातन धर्म में पति को परमेश्वर का दूसरा रूप माना गया है। प्रत्येक स्त्री की कामना होती है कि वह सुहागन रहे। स्वयं कोई कष्ट हो पर पति दीर्घायु और स्वस्थ हो। इसी कामना का व्रत है वटसावित्री । कहा जाता है कि पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है। वहीं सास-ससुर की सेवा और पत्नी धर्म की सीख भी इस पर्व से मिलती है। ईश्वर से पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और उन्नति और संतान प्राप्ति की कामना की गई। वट सावित्री पूजा का सुहागिनों के लिए विशेष महत्व होता है।
हालांकि, इस बार कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक स्थान पर पूजा करने के बजाय महिलाएं अपने घरों और आसपास के वृक्षों के नीचे ही पूजा-अर्चना की। कथा का श्रवण किया। वट सावित्री पूजा ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को मनायी जाती है। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि 21 मई की रात 9.16 बजे से आरंभ होकर सुप्रभात को रात्रि 10.36 बजे तक है।