आज हम उस गौरवपूर्ण भूमि में निवास कर रहे हैं। जहाँ डॉ० राजेंद्र प्रसाद, भगवान महावीर, राजकुमार शुक्ल, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गुरू गोविंद सिंह, विद्यापति, आर्यभट्ट, चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, कुँवर सिंह और बिस्मिल्लाह खां जैसे महान विभूतियों ने ना केवल बिहार बल्कि पूरे देश को विश्व में एक नई गौरवपूर्ण ऊँचाई दी। लेकिन इनके अमूल्य, अविस्मरणीय, स्वर्णिम और अद्भुत योगदानों के बावजूद भी आज बिहार की गिनती एक पिछड़े राज्य के रूप में है ।
हमें ज्ञात हो कि यही बिहार प्राचीन समय में नालन्दा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय के कारण शिक्षा के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध था। जहाँ विश्व के कोने-कोने से छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए बिहार आया करते थे। लेकिन आज की स्थिति कुछ और ही है आज बिहार के छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए दर-दर भटक रहें हैं।
बिहार की शिक्षा दर पूरे देश में सबसे निचले पायदान पर(61.8%) है। जबकि इनमें से भी कई लोग केवल अपना नाम लिखने और पढ़ने में सक्षम हैं। इससे आगे विश्व में क्या तुलना की जाए जब देश में ही सबसे निम्न स्तर पर हो। वही छात्र अन्य जगहों से शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद बेरोजगारी के शिकार बन जाते हैं। एनएसएसओ के मुताबिक बिहार की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय स्तर से बहुत ही अधिक है। जबकि विभिन्न क्षेत्रों में लाखों, करोड़ों की संख्या में पद रिक्त हैं। वही मुख्य रूप से यहाँ के सरकारी विद्यालय और अस्पताल आधारभूत संसाधनों से बुरी तरह जूझ रही है। जहाँ एक छोटी सी बीमारी से हजारों लोग दम तोड़ देते हैं और जो विद्यालय का नाम ना लिख पाए वो बिहार के टॉपर छात्र बन जाते हैं। और फिर बिहार के गणमान्य नेताओं का बयान आता है- जायजा ले रहे हैं जो उचित कदम होगा, उठाया जाएगा। स्थिति इतनी गंभीर हो चली है कि मजदूर वर्ग भी रोजगार के लिए प्रदेश का रूख करते है। जबकि यहाँ प्राचीन काल में काफी आद्योगिक क्षेत्र थे। जिससे मजदूरवर्ग आत्मनिर्भर थे।लेकिन बिहार सरकार समय रहते आद्योगिक क्षेत्र में ना तो बढ़ावा कर पाए और ना ही इसे लगातार व्यवस्थित रख पाए। बिहार एक कृषि प्रधान राज्य बन चुका है और यहाँ की अर्थव्यवस्था कृषि पर ही निर्भर है। इसके बावजूद किसानों को ना तो उन्नत बीज मिलते हैं और ना ही आधुनिक कृषि उपकरण। भूमि की गुणवत्ता घटने से फसल में कमी आती ही हैं साथ ही उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता है।
खैर…. सरकार तो कहती है सब ठीक है। बिहार विकास की सीढ़ियां चढ़ रहा है। लेकिन इससे विपरीत अन्य राज्यों में बिहार की किडकीड़ी हो रही।
आज जब पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोविड – 19 की गिरफ्त में है और पूरा विश्व अपने लोगों की जिंदगी बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही है तो बिहार सरकार बहाने बाजी। ना तो प्रवासी मजदूरों, छात्रों को रहने, खाने की व्यवस्था कर पा रही है और ना ही उसे अपने राज्य ला पा रहें हैं। ऐसे भी लाए कैसे जब राज्य के लोगों की ही समुचित व्यवस्था नहीं कर पा रहें हैं।