सुपौल : लॉकडाउन में रुकी फसलों की कटाई, बर्बादी की कगार पर है किसान

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छातापुर से नौशाद आदिल की रिपोर्ट :

छातापुर/सुपौल/बिहार : कोरोना वायरस की मार अब किसानों के फसलों पर भी पड़ने लगी है। गेहूं और राजमा सहित तेलहन एवं दलहन की फसल पककर तैयार है। लेकिन, लॉक डाउन के कारण किसान अपने फसलों को काट नहीं पा रहे हैं। पके हुए फसलों को काटने के लिए किसान और मजदूरों को खेत की तरफ निकलने पर प्रशासन द्वारा लाठीचार्ज किया जाता है। इससे किसान काफी चिंतित है।

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार ने 21 दिनों तक पूरे भारत में लॉकडाउन कर दिया है। यानी 14 अप्रैल तक पूरे देश में लॉकडाउन रहेगा। इतनी लंबी बंदी की वजह से जहां तमाम कारोबारी गतिविधियां थम गई हैं, वहीं बुरी तरह प्रभावित भी हुई हैं। अब इस बंदी की मार प्रखण्ड के किसानों पर भी पड़ रही है, जिससे वे काफी चिंतित व भारी संकट में है। दरअसल इस बंदी की वजह से प्रखण्ड भर में किसानों को फसल काटने से रोका जा रहा है। गेहूं की फसल काटने का अभी सीजन है, जो अब शुरू होने वाली है। भीमपुर, जीवछपुर, मधुबनी, रामपुर, घीवहा, राजेश्वरी, लालगंज तिलाठी, चरणे आदि जगहों के किसानों ने प्रशासन से इस संकट से समाधान की गुहार लगाई है। किसान जीवनाथ झा, सदानंद सहनी, अयोधिया प्रसाद सिंह, पशुपतिनाथ झा, महेंद्र भुसकुलिया, खुर्सीद आलम खान, सुभाष कुमार उर्फ लोहा सिंह, जयकुमार मेहता, जुली मंडल, डोमी पासवान, लक्ष्मण यादव, रमेश यादव, सुखदेव मंडल, सत्यनारायण सिंह, पवन दास आदि ने कहा कि गेहूँ और राजमा पक कर तैयार है। लेकिन, प्रशासन के डर से कोई भी मजदूर फसल काटने से कतरा रहे हैं। आंधी-पानी का समय आ चुका है। ऐसे में पके हुए फसल बर्बाद होने के कागार पर है।

 14 अप्रैल तक कटाई रोके जाने से फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। जिसकी मार किसानों पर पड़नी तय है। फसलों को लेकर यह चिंता इसलिए भी गंभीर है क्योंकि खड़ी फसल को न काटने से होने वाली बर्बादी को लेकर पीएम फसल बीमा योजना में कोई नियम नहीं है। किसानों को यह चिंता इसलिए भी डरा रही है क्योंकि लॉकडाउन की स्थिति 14 अप्रैल के बाद भी आगे जारी रहने की संभावना है। किसानों का कहना है कि ये रबी फसल की कटाई का असली समय है। उधर किसानों ने आरोप लगाया कि मक्का का फसल भी बिना खाद पानी के बर्बाद हो रहा है। इस लॉक डाउन में खाद दुकान खोलने पर पाबंदी लगा हुआ है। खाद दुकान की बंदी से किसानों में खाद को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। लेकिन, कुछ दुकानदार इस बंदी का गलत फायदा उठाकर किसानों का आर्थिक शोषण कर ब्लैक से अनाप शनाप कीमत पर डीएपी और यूरिया बेच रहे हैं।जिससे आम किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है। किसानों का कहना है कि कोरोना वायरस से आम जीवन हकलान हो चुका है। लेकिन इस वायरस की मार किसानों पर सबसे अधिक पड रही है।

उन्होंने कहा कि राशन, सब्जी, दवा आदि दुकानों की तरह खाद दुकान को भी इस प्रतिबंध से मुक्त कर देना चाहिए। यदि समय पर मक्का के फसल में खाद पानी नहीं डाला जायेगा तो फसल बर्बाद हो जायेगी। जिससे किसानों को आर्थिक तंगी का शिकार होना पड जायेगा। कर्ज लेकर किसान खेती करते हैं। यदि नुकसान होगी तो किसानों का कमर टूट जायेगा। सभी किसानों ने प्रशासन से इस ओर ध्यान आकृष्ट करने का आग्रह किया है।


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