बिहार दिवस पर “द रिपब्लिकन टाइम्स” की अतिथि संपादक प्रसन्ना सिंह राठौर की कलम से

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प्रसन्ना सिंह राठौर
अतिथि संपादक

22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग हो राज्य के रूप को अंगीकार करने वाले बिहार का इतिहास पग – पग पर संघर्ष से सृजन की दास्तां को दर्शाता है। बिहार शब्द मूलतः संस्कृत और पाली भाषा के विहार शब्द से आया है जिसका अर्थ निवास होता है। बिहार अपने अंग्रेजी रूप BIHAR में भारत के सभी नामों को समाहित करता है। यथा Bharat,India,Hindustan,Aryavart,Riwa. अलग-अलग समय में बिहार चयरलैंड, वाजिप्रदेश, अंगप्रदेश, मिथिला, विहार आदि नामों से जाना जाता रहा है। भारत के नक्शे पर बिहार हमेशा से अपनी विशिष्ट पहचान दर्शाता रहा है।

इतिहास के पन्नों में भी बिहार की खास पहचान है, जैसे अर्थशास्त्र के जनक चाणक्य, रामायण के रचयिता वाल्मीकि, सर्जरी के जनक सुश्रुत, दशमलव व शून्य के जनक आर्यभट्ट, बौद्ध धर्म व जैन धर्म के आदर्श क्रमशः गौतम बुद्ध और महावीर, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, राष्ट्रकवि दिनकर, चक्रवर्ती सम्राट अशोक, शेरशाह सूरी, गुरु गोविंद सिंह इसी धरती के उपज रहे हैं। वहीं गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की सुप्रसिद्ध गीतांजलि की प्रारम्भिक रचना, विश्व की सर्वकालिक फिल्मों में शुमार भारत की एकमात्र फिल्म पाथेर पांचाली का आधार उपन्यास पाथेर पांचाली की रचना, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन का आगाज, विश्व प्रसिद्ध शासन व्यवस्था गणतंत्र की शुरुआत, दुनिया का प्रथम योग विश्वविद्यालय मुंगेर, विश्व का सर्वकालिक पुराना नालन्दा विश्वविद्यालय का सम्बन्ध बिहार से होना हमारा गौरव बढ़ाता है।

94163 वर्ग किलोमीटर में  फैले आज के बिहार में लिंग अनुपात प्रति हजार पुरुष पर 918 महिला है। साक्षरता दर 61.82 के साथ बिहार विकास के पथ पर अग्रसर है।  अपने खास भोजन लिट्टी चोखा से चर्चित हमारा राज्य भारत में यूपी के बाद सबसे ज्यादा आईएएस देने का गौरव रखता है। बिहार  विभिन्न समस्याओं के वावजूद लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है। स्थानीय चुनाव में औरतों को 50% भागीदारी देकर बिहार ने नारी सम्मान और उसकी उचित सामाजिक भूमिका का अधिकार देने की ओर कदम बढ़ाया है। कृषि, उद्योग और शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास का पथ कभी आसान नहीं रहा । हर बढ़ते कदम में अन्य समस्याओं के साथ बिहार कोसी का दंश झेलता रहा लेकिन कभी कदम पीछे नहीं किया। उच्च शिक्षा के बढ़ावा को लेकर लगातार खुल रहे विश्वविद्यालय, स्वास्थ्य सुधार हेतु बन रहे सुव्यवस्थित मेडिकल कॉलेज, उद्योग को गति देने के लिए बना विद्युत रेलवे इंजन कारखाना, पर्यावरण सुरक्षा के लिए सरकार की कारगर योजना जल जीवन हरियाली, कृषि के क्षेत्र में शुरू हुई अनेकानेक योजनाएं सुखद संकेत है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं इसकी संख्या बढ़ाने के साथ-साथ इसके जमीनी और सुचारू संचालन की भी दरकार है।

बिहार एक ऐसा राज्य है जिसमें हर दौर में विकास की सर्वाधिक संभावनाएं रही है, जो आज भी है। जिसका मूल कारण यहां के लोगों का सर्वाधिक मेहनती होना है। जनता और सरकार अगर साथ-साथ कदम बढ़ाए तो शायद बिहार को  राष्ट्र का सिर मुकुट बनने से कोई नहीं रोक सकता। संघर्ष से संकल्प तक पहुंचने का हमेशा प्रमाण देने वाला बिहार आज पूरी दुनिया को अपने चपेट में लेने वाला कोरोना नामक महामारी की गिरफ्त में है। लेकिन बिहार और यहां के वासी निराश नहीं हैं, क्योंकि हर समस्याओं को पार करना यहां की फितरत रही है। देश दुनिया के साथ हमारा बिहार भी पूरे संकल्प के साथ कोरोना को मुंहतोड़ जबाव देने को तैयार है । राज्य बनने के बाद बिहार दिवस को सर्वाधिक महत्त्व वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रारम्भिक कार्यकाल में मिला । तब से लगातार बिहार के साथ साथ बिहार के बाहर अन्य राज्यों सहित अन्य देशों जहां बिहारी रहते हैं, वहां बिहार दिवस एक पर्व के रूप में बड़े जुनून के साथ मनाया जाता है।यह बिहार दिवस हमारे लिए कुछ खास और अलग भी है । हम सब मिलकर कोरोना नामक महामारी को सफल न होने दें यही इस बार के बिहार दिवस की सच्ची सार्थकता है। 

 “द रिपब्लिकन टाइम्स” की तरफ से बिहार दिवस  पर इस संकल्प के साथ कि’ कोरोना से लड़ेंगे हम, विकास के पथ पर बढ़ेंगे हम “सबको बिहार दिवस की बधाई”


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