
स्थानीय संपादक
पटना/बिहार : डेढ़ दशक पहले जिस बाहुबली, दबंग और रॉबिनहुड राजनीतिक सूरमा की एक आवाज पर बिहार की सियासत हिल जाती थी,उस राजनीतिक बाजीगर की अब जेल से रिहाई तकरीबन सुनिश्चित हो गयी है । जी हाँ ! हम बात कर कर रहे हैं बीते करीब 14 वर्षों से बिहार के सहरसा जेल में बन्द पूर्व सांसद आनंद मोहन की । आनंद मोहन बिहार के तत्कालीन गोपालगंज डीएम जी.कृषनैया की हत्या मामले में आजीवन कारावास के सजायाफ्ता हैं और लंबे समय से सहरसा जेल में बन्द हैं । हांलांकि एक मामले में कुछ दिन पहले पेशी के लिए उन्हें दिल्ली ले जाया गया था । पेशी के बाद उनकी पहली पारिवारिक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई है । तस्वीर में आनंद मोहन सहित उनके दो बेटों चेतन आनंद, अंशुमान मोहन और बेटी सुरभि आनंद के साथ उनकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद के चेहरे पर खुशी की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है । यह खुशी संतोष, तयशुदा महोत्सव और नए जीवन के आगाज की है ।

यहाँ यह भी गौरतलब और बेहद खास बात है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन लगभग 14 वर्ष की सजा जेल के सलाखों के भीतर, अबतक गुजारकर लगभग सजा काट ली है । पूर्व सांसद आनंद मोहन ने आजीवन कारावास की सजा को तिहाड़ जेल, बेउर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा, पुर्णिया और सहरसा जेल में रहकर काटी है । लंबे समय से वे सहरसा जेल में बन्द हैं । अब उनकी रिहाई के लिए सिर्फ राज्य सरकार से हरी झंडी मिलने भर की देर है । वैसे बतौर आनंद मोहन और राजनीतिक जानकारों की मानें, तो आनंद मोहन की सजा के लिए नीतीश कुमार को ही षड्यंत्रकारी और जिम्मवार ठहराया जाता रहा है । हांलांकि नीतीश कुमार इसे न्यायालय और कानून का फैसला बताकर, खुद को लगातार बेकसूर बताते रहे हैं ।
खास बातचीत के दौरान पूर्व सांसद आनंद मोहन ने वक्त, अपनों की दगाबाजी और हालात को सजा के लिए जिम्मेवार ठहराया है । पूर्व सांसद ने कहा कि उन्होंने सदैव न्यायपालिका का सम्मान किया है और उनकी उंगली कभी कानून की ओर नहीं उठेगी । नीतीश कुमार के प्रति उनके मन में कोई कलेष,दुःभावना और दुराव नहीं है । राजनीति में नफा-नुकसान के खेल में वे बिना किसी कसूर के सजायाफ्ता हो गए । वे जब जेल से बाहर आएंगे, तो बेशर्त, साफ-सुथरी, सबजन हितार्थ और मूल्यों की राजनीति को ना केवल हवा देंगे बल्कि उसके मजबूत झंडादार बनेंगे । नीतीश से गहरे मनमुटाव को कैसे पाटेंगे, का जबाब उन्होंने बेहद मुस्कुराते हुए दिया और कहा कि चौदह वर्षों के वनवास के बाद मित्रता को जगह मिलनी चाहिए । राजनीति में कभी दोस्ती और दुश्मनी स्थायी नहीं होती है । पूर्व सांसद के बातचीत के लहजे से यह साफ पता चल रहा था कि वे अब नीतीश के हाथ को मजबूत करेंगे ।
बीते लोकसभा चुनाव के दौरान आनंद मोहन और नीतीश कुमार के बीच मधुर संबंध स्थापित हुए थे । यही कारण थी कि आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और बड़े बेटे चेतन आनंद कॉंग्रेस में रहते हुए भी नीतीश कुमार और एनडीए के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे । उस समय कयास यह लगाया जा रहा था कि बीते 2 अक्टूबर को आनंद मोहन की रिहाई तय है लेकिन आनंद मोहन 2 अक्टूबर को रिहा नहीं किये गए ।
