गोधन भईया चलले अहेरिया, खोड़लिच बहीना देली आशीष

Sark International School
Spread the news

अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

गोधन भईया चलले अहेरिया खोड़लिच बहीना देली आशीष।भइया के बढे सिर पगड़ी भौजी के मांग सिंदूर। इसी पारम्परिक गीतों के साथ बहनों ने आज गोधन बाबा को पूरे विधि-विधान से कुटने की रस्म अदायगी की। भाइयों को चना की बजड़ी और मिठाई खिलाकर उन्हें मजबूत बनने की कामना बहनों ने की। भाई और हित कुटुंब के दीर्घायु जीवन के लिए सुबह श्राप कर फिर रेंगनी की कांटे से पश्चाताप की गई।

पुरी तरह कृषि और गौ पालन की महता से जुड़ा भैया दूज का यह पर्व। गृहस्थ जीवन में कभी कभार खीस-क्रोध में अनाप-शनाप भी बोल जाते हैं तो यह पर्व उसका पश्चाताप करने की सीख देता है। बहने पहले श्राप देती हैं फिर एक खास तरह के  रेगनी की कांटे से जीभ पर रख कर पश्चाताप करती हैं। पर्व के साथ पारम्परिक गीतों ने इस पर्व को जीवंतता प्रदान की है। यही कारण है कि आज से शुरू होने वाला यह पर्व पुरे एक महीने तक पीड़िया के नाम से चलेगा। गाय के गोबर से बने गोधन बाबा की कुटने की रस्म के बाद इसी गोबर से पीड़िया दिवारों पर लगाईं गई।  

रोजाना शाम होते ही बहने गीत गायेंगी और भाइयों के दीर्घायु होने की मंगल कामना करेंगी एक महीने बाद व्रती बहने उपवास रख कर दिवाल से पिंडी रूप में बनी पीड़िया देवी का विसर्जन करेंगी। उसदिन घर के आंगन में सोरहिया नाम से भीतिचित्र भी बनाई जाती हैं।


Spread the news
Sark International School