दरभंगा/बिहार : हर साल 5 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसी दिन 5 अक्टूबर 1966 को पेरिस में अंतरसरकारी सम्मेलन का आयोजन हुआ था। जिसमे ‘टीचिंग इन फ्रीडम‘ संधि पर हस्ताक्षर किया गया था।
इसी क्रम में ‘कलाम यूथ लीडरशिप अवार्ड तथा ग्लोबल गांधी पीस प्राइज से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता फवाद गजाली ने पर्यवेक्षण गृह दरभंगा में आवासीय बच्चों के बीच विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षा के महत्व को बताते हुए किताब, कॉपी और पेन बांटे, जिससे की बच्चे में शिक्षा के प्रति उनका रुझान बढ़े।
इस बीच इनके साथ किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य अजीत कुमार झा, गृह पिता शोभानंद परिवीक्षा अधिकारी राधा ठाकुर ,राज कुमार एवं डॉ नवा इमाम (डेन्टल कॉस्मेटिक्स केयर, निकट मिल्लत कॉलेज) मौजूद थे।
श्री फवाद गजाली बतौर शिक्षक होने के नाते भी बच्चों को बताया कि शिक्षक का मतलब बिना किसी स्वार्थ के अशिक्षित को शिक्षित बनाना है। जिससे कि समाज , देश और विश्व शिक्षित हो सके।उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे महान गुरु चाणक्य, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारत की प्रथम महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले, अरस्तु, अल्बर्ट आइंस्टीन, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, फ्रेडरिक विल्हेम, अल्मा विल्हाइट, एनी सुलेमान आदि के बारे में बताया कि किस प्रकार पूरे विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति इन सभी का अमूल्य योगदान रहा जिससे कि आज शिक्षा गांव-गांव तक के लोग शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं परंतु दुर्भाग्य की बात यह भी है कि कुछ ऐसे शिक्षकों के हाथ में शिक्षा जा चुकी है जिससे की उसका महत्व खत्म हो रहा है जिन्होंने उसे कारोबार बना रखा है।