बिहार : बेहाल पटना का असल मुजरिम कौन?

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

पटना/बिहार : पटना बिलबिला रहा है। दूध नहीं, पानी नहीं, बिजली नहीं, हालात बहुत ख़राब हैं। लोग चार दिनों से घरों में क़ैद हैं। बाहर निकलें तो कैसे? घरों के सामने कमर भर पानी है। मुश्किल की घड़ी में उनके अपने नुमाइंदें उनके साथ नहीं हैं। सिर्फ़ राजनीतिक दोषारोपण चल रहा है। नीतीश कुमार क़सूरवार हैं कि नगर निगम? विपक्ष सिर्फ़ मज़े ले रहा है। असल मुजरिम की तलाश कोई नहीं कर रहा ?
पहचानिये इन चेहरे को बेहाल, बेबस पटना पर इनका ही राज है। आज से नहीं, क़रीब तीन दशक से पटना बेहाल के बेहाल, बर्बाद के बर्बाद ही रहा। ये सभी भाजपा के नुमाइंदें हैं। राजधानी के शहरी विधानसभा क्षेत्रों पटना साहिब, कुम्हरार, बांकीपुर और दीघा पर इनकी ही हुकूमत है। यहां के दो संसदीय क्षेत्रों पटना साहिब और पाटलिपुत्रा पर भी यही क़ाबिज़ हैं। नगर विकास की कमान भी भाजपा के ही पास है। नगर निगम पर भी कमोबेश इनका ही वर्चस्व रहा है। महापौर भाजपा की ही है।

कराहते, बिलबिलाते पटनावासियों के सहयोग, साथ के लिए हाथ बढ़ाते इनको अपने-अपने इलाक़ों में आपने देखा? दुःख की घड़ी में यह कहां ग़ायब हैं? अपने क्षेत्र के प्रति इनकी जवाबदेही क्या है? बेहाल पटना के असल मुजरिम आपका अपना स्थानीय प्रतिनिधि है। जिसे आप यह सोच कर चुनते हैं कि हमारे क्षेत्र का यह शख़्स विकास करेगा, हमारे मूलभूत सुविधाओं का ख़याल रखेगा, स्थानीय समस्याओं से निजात दिलायेगा, मुसीबत की घड़ी में हमारे साथ खड़ा रहेगा। क्या ये आप के साथ खड़े हैं? आपकी खोज-ख़बर ले रहे हैं? कैसे यह नुमाइंदें हैं आपके? एक विधायक का काम क्या है? जब जलजमाव से निजात न दिला सके तो कैसा प्रतिनिधि? आप ने इन पर दयालुपन तो दिखाया, कई बार जिताया। आपके साथ इनका व्यवहार कैसा रहा? बच्चे दूध के बिना बिलबिला रहे, बिजली नहीं, पानी नहीं, इनकी क्या ज़िम्मेवारी बनती थी?

नीतीश कुमार बिहार के मुखिया हैं। पूरे बिहार की जवाबदेही उनके उपर है। सुशील कुमार मोदी क्या हैं? वह भी तो सरकार हैं, उपमुख्यमंत्री हैं। उनकी जवाबदेही क्या है? तीन बार वह भी स्थानीय विधायक रहे हैं। तब स्थानीय मुद्दों को लेकर लालू-राबड़ी सरकार को ख़ूब घेरते रहते थे। विपक्ष की ज़िम्मेवारी बनती है कि जनता के सवालों पर सरकार को सचेत करे। आज तो वह ख़ुद सरकार हैं तो जनता के प्रति अपनी जवाबदेही क्यों भूल गये? क्यों अपने परंपरागत वोटरों को उनके हाल पर छोड़ दिया ?
पटना साहिब विधान सीट पर 1995 से भाजपा का क़ब्ज़ा है। नंदकिशोर यादव लगातार छह बार पटना साहिब (पहले पूर्वी पटना)से विधायक निर्वाचित हो रहे हैं। पथ निर्माण से लेकर पर्यटन विभाग की ज़िम्मेवारी रही। सरकार के मज़बूत स्तंभ हैं।
कुम्हरार विधान सभा सीट भी तीन दशक से भाजपा के क़ब्ज़े में रहा है। पहले यह पटना मध्य विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। तीन बार यहां से सुशील कुमार मोदी विधायक रहे। अभी भाजपा के ही अरुण कुमार सिन्हा विधायक हैं। चार चुनावों से जनता इन्हें भी चुन रही है।
बांकीपुर विधानसभा सीट पर भी भाजपा का ही परचम लहराता रहा है। यहां के विधायक नितिन नवीन हैं। पहले यह पटना पश्चिम कहलाता था। 1995 में पहली बार नवीन किशोर प्रसाद भाजपा के विधायक बने। उनकी मौत के बाद उनके बेटे नितिन नवीन इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.दो बार से विधायक हैं।
दीघा विधानसभा सीट भी भाजपा के क़ब्ज़े में है। पहले यह पटना पश्चिम का हिस्सा था। पटना पश्चिम से नवीन किशोर सिन्हा लगातार विधायक रहे थे। अभी संजीव चौरसिया यहां के विधायक हैं। नगर विकास मंत्री भाजपा के सुरेश शर्मा के पास है। पटना नगर निगम की महापौर भाजपा की सीता साहू हैं। पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र पर भाजपा के रविशंकर प्रसाद क़ाबिज़ हैं नरेंद्र मोदी सरकार में ताक़तवर मंत्री। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर भी भाजपा क़ाबिज़ है, रामकृपाल यादव भाजपा के सांसद हैं। एक बार मंत्री भी रह चुके हैं। अब आपको तय करना है बेहाल पटना का असल मुजरिम कौन है?


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