मधेपुरा : सामाजिक शैक्षणिक कल्याण संघ, चौसा ने स्वतंत्रता सेनानी को किया सम्मानित

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आरिफ आलम
वरीय संवाददाता,
चौसा, मधेपुरा

चौसा/मधेपुरा/बिहार : स्वतंत्रता सेनानी राष्ट्र के धरोहर हैं। उनकी उपस्थिति राज और समाज के लिए गौरव की बात है । कृतज्ञ राष्ट्र तथा लोकतांत्रिक सरकार को स्वतंत्रता सेनानियों को उचित सम्मान देना चाहिए ।
उक्त बातें लोजपा नेता मनौवर हुसैन ने कही । वे 73 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सामाजिक शैक्षणिक कल्याण संघ, चौसा द्वारा मधेपुरा जिला अंतर्गत चौसा प्रखंड के धुरिया गांव में स्वतंत्रता सेनानी रघुनंदन झा के सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए इन जैसे लाखों लोगों ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया , लेकिन आजाद देश में इन्हें उपेक्षित कर दिया गया है जो दुखद है ।
संघ के उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि रघुनंदन बाबू जैसे आजादी के मतवाले जिस समाज में उपस्थित होते हैं वह समाज पवित्र होता है । समाज के लोगों को इनकी उपेक्षा के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए । युवा समाजसेवी राहुल यादव ने शासन – प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी स्थानीय प्रशासन द्वारा रघुनंदन बाबू को भूला देना नितांत ही निंदनीय है । स्वतंत्रता सेनानी श्रीझा को अंग वस्त्र,धोती,कुर्ता व स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।सम्मानित होते हुए श्री झा भवविभोर होते हुए कहा कि सामाजिक स्तर पर आज तक मुझे किसी ने भी सम्मान नही दिया।संघ ने जो सम्मान दिया है उसे मैं शुभकामनाएं देता हूँ कि इसी तरह आप आगे बढ़े और उपेक्षित लोगों को सहयोग करें।
ज्ञातव्य है कि समाज के लिए कृतसंकल्पित सामाजिक शैक्षणिक कल्याण संघ, चौसा द्वारा आज गुरुवार को 73 वें स्वाधीनता दिवस के अवसर पर बिहार के मधेपुरा जिलान्तर्गत चौसा प्रखंड के धुरिया गाँव पहुंच कर 104 वर्षीय महान स्वतंत्रता सेनानी रघुनंदन झा को समारोहपूर्वक सम्मानित किया। इस अवसर पर श्री झा को अंगवस्त्र और संघ का स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
सनद रहे कि श्री झा का जन्म 1916 को हुआ था । श्री झा ने बताया कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे छात्र थे और भौआ (पूर्णिया ) के जंगलों में छिपे स्वतंत्रता सेनानियों तक डाक पहुंचाने का काम करते थे । उन्होंने बताया कि डाक में चूने से लिखी चिट्ठी होती थी जो देखने में कोरा कागज नज़र आता था, लेकिन उसे हल्दी के पानी में डूबाते ही अक्षर लाल हो जाता था ।उन्होंने बताया कि वे रूपौली ( पूर्णिया ) थाना जलाने में भी शामिल थे । उन्होंने ही बिरौली बाज़ार से किरासन तेल लाकर थाना को आग के हवाले किया था । रघुनंदन बाबू ने बताया कि 1944 में आजादी आंदोलन के बड़े नेताओं के आदेश पर उदाकिशुनगंज (मधेपुरा ) थाना पर तिरंगा फहरा दिया । लिहाजा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया । बकौल श्री झा उन्हें माफी मांगने की पेशकश की गई । पेशकश ठुकरा देने पर मधेपुरा न्यायालय द्वारा एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा हुई । तीन महीने मधेपुरा कारावास, एक महीना सेंट्रल जेल भागलपुर और आठ महीने कैंप जेल में रखा गया ।

गौरतलब है कि आजादी में उनके योगदान को नमन करते हुए 15 अगस्त 1972 को तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्र पत्र भेंटकर श्री झा को सम्मानित किया । फिलहाल वे अपने गाँव धुरिया में ही रह रहे हैं । वर्तमान जाति – धर्म की राजनीति से दुखी हैं । उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमने जो सपना देखा था उस सपने को नेताओं ने मटियामेट कर दिया । गोरे अंग्रेज तो चले गए, लेकिन काले अंग्रेजों को छोड़ गए ।
बहरहाल सम्मान समारोह के बाद उन्होंने कहा कि समाज में आज भी अच्छे लोग हैं , जिनसे बड़ी उम्मीदें हैं। ऐसे लोगों बधाई और आशीर्वाद के पात्र हैं ।
मौके पर कालीचरण झा,कोषाध्यक्ष आशीष कुमार,जितेंद्र कुमार,उपस्थित थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष याहिया सिद्दीकी ने की , जबकि संचालन सचिव संजय कुमार सुमन ने किया ।


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