आज कल बिहार के कनिय पुलिस पदाधिकारियों को बिहार के विभिन्न जिलो के थानो से हटा कर पुलिस केंद्र में पोस्टिंग की जा रही है । कारण उनको पूर्व में कलांक मिल चुका है या उन पर विभागीए करवाई चल रहा है । इसको समझना ज़रूरी है कि कलांक या विभागीय करवाई चलता कौन है …और दंड देता कौन है …? । कलांक के बाद पदोन्नति मिल चुकी है तो फिर उसका अर्थ क्या । विभागीय करवाई यदि चल रहा है तो उसका पुलिस मेनुवल में समाप्त करने का समय सीमा है उस अवधि में समाप्त नही होता है तो दोषी कौन है? पुलिस विभाग में जो कार्य करेगा उससे ही छोटी या बड़ी ग़लती होगी । पुलिस विभाग के कार्य में ग़लती या आरोप लगना वर्तमान स्थिति पर निर्भर करता है । जो बेहतर कार्य किए है उसको कोई नही देखा । ग़लती या आरोप पर जिले के वरीय पदाधिकारी के ऊपर निर्भर रहता है दंड देना ।
बिहार पुलिस का रीढ़ थानाध्यक्षों का आज चीरहरण हो रहा है। जिन थानाध्यक्षों को विभाग, मीडिया, सोशल मीडिया आज दागी दागी संबोधित कर रहे हैं उनके अतीत को झांकने की भी जरूरत है। जिन लोगों ने अपने जीवन के २५साल जनता की सेवा में गुजार दिए , ना होली मनायी ना दिवाली, ना बच्चों का जन्मदिन मनाया ना अपना शादी की साल गिरह। अपने भाई बहनों की शादी को छोड़कर समाज के किसी भी शादी में ना ही शरीक हुआ और ना ही किसी अंत्येष्टि में। हाँ वे अवश्य शामिल हुए अपने शहीद दोस्तों के जनाजे में। अपने जीवन का स्वर्णिम जवानी का २५साल गुजार दिए आम जनता की सेवा में, वरीय पदाधिकारियों के वैध अवैध आदेश के अनुपालन में। गुजारते भी क्यों नहीं वे तो पासिंग आउट परेड में ही वरीय पदाधिकारियों के आदेश का पालन करने का शपथ लेकर आये थे। फिर वैध और अवैध क्या? हर एक पदाधिकारी अपना आदेश का पालन करवाये। जो दूसरे को बुरा लगा दे दिए एक दाग। इनमें कितने ही ऐसे भी जख्मीं हैं जो उनसे ऊपर के पदाघिकारी के विश्वास पर खड़ा नहीं उतरने के कारण टारगेटेड दागदार हुए। कुछ आम जनता के अनुकूल कार्य नहीं करने के कारण आरोप लगाने के कारण दागी हुए तो कुछ मीडिया को संतुष्ट नहीं कर पाने के कारण। कुछ कार्य की अधिकता में तो कुछ अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पाने के कारण। कर्मठ और तेज लोग सामनेवाले से भी वही अपेक्षा रखते हैं। वे भूल जाते हैं कि आपकी तरह सामने कनीय पदाधिकारी भी कर्मठ, लगनशील और तेज होते तो वे आपके कनीय नहीं समकक्ष होते।
थानाध्यक्ष सरकार और विभाग की हर कसौटी पर खड़े उतरे। आपने नीति बनायी इन्होंने पालन किया। आपकी हर सफलता इन्हीं की देन है। जिस 94 – 09 बैच को आज दागदार बताया जा रहा है पूरा सुशासन उनके कठिन परिश्रम का प्रतिफल है। आपने नीति बनायी, निर्देश दिया और पी सी किया। आज उम्र के इस पडाव पर जब उनके बच्चे सयाने हो चले हैं, उनकी प्रतिष्ठा से मत खेलें। थानेदार बनते नहीं बनाये जाते हैं। थानेदार बनाने में वरीय प्रभावित होते हैं तो यह उनका दोष है।