मुजफ्फरपुर : प्रधान सचिव की अध्यक्षता में “क्लीन एयर एक्शन प्लान” को लेकर बैठक

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अंजुम शहाब
ब्यूरो
मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर/बिहार : शनिवार को वन एवम जलवायु परिवर्तन के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह की अध्यक्षता में समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में क्लीन एयर एक्शन प्लान को लेकर बैठक की गई ।

बैठक में जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष, वरीय पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव आलोक कुमार, अपर समाहर्ता आपदा अतुल कुमार वर्मा, विभिन्न विभागों के पदाधिकारी उपस्थित थे।

बोर्ड के सदस्य सचिव आलोक कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर विश्व के प्रदूषित शहरों में से एक है। उन्होंने वायु प्रदूषण के कारणों और इससे निजात पाने के मद्देनजर बनाई गई कार्ययोजना पर विस्तृत प्रकाश डाला। वही प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि शुद्ध वायु के लिए जो नियमावली बनाई गई है उसका अनुपालन  करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार शहर में होने वाले गृह निर्माण या कन्ट्रक्सन ग्रीन कवर से ढक कर किया जाय। उन्होंने कहा कि जितने भी मॉल, प्राइवेट बिल्डिंग या इंस्टिट्यूसन का निर्माण हो रहा है वहाँ इसे सख्ती से लागू करने की जरूरत है।

उन्होंने स्पष्ठ निर्देश दिया कि उक्त नियम की अवहेलना करने वालो के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाय। खुले में कचड़े जलाने पर सख्त पाबंदी हो । निर्देश दिया कि ऐसा नही करने वाले पर सख्त कार्रवाई  की जाय। शहर में विभिन्न जगहों पर लगे पुराने जनरेटर एवम जेरोक्स मशीन को अभियान चलाकर जब्त किया जाय। इसके अलावे शहर में जिन सड़को पर भारी वाहन या बालू लदे ट्रक चलते है वहाँ निगम को सड़को पर जल का छिड़काव करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने बताया कि कवर्ड कन्ट्रक्सन करा कर वायु प्रदूषण में 40%कमी लाई जा सकती है।

वही जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने जिला परिवहन पदाधिकारी को निर्देश दिया कि शहर के इंट्री और एग्जिट पॉइंट पर वाहनों का  प्रदूषण जांच के मद्देनजर नियमित तौर पर अभियान चलावे। साथ ही कॉमर्शियल वाहनों का विगत 6 माह में किये गए फिटनेस जांच का प्रतिवेदेन को उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया गया। जिलाधिकारी ने नगर आयुक्त को शहरी क्षेत्री में लकड़ी और कोयला से चूल्हे जलानेवाले प्रतिष्ठानों को चिन्हित कर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया। शहर में जुगाड़ गाड़ी के प्रतिबंध पर रोक लगानेका भी निर्देश दिया गया।

बैठक में परम्परागत ईंट भट्ठे का कंवर्जन जिग-जैग ईंट भट्ठे में कराने की बात कही गई। बताया गया कि जिग -जैग तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद कोयले की खपत तो कम होगी ही साथ ही भट्टे से निकलने वाला धुआं भी पर्यावरण के लिए खतरनाक नही होगा। बैठक में उपस्थित वन विभाग के पदाधिकारियो को अधिक से अधिक पौधारोपण का निर्देश भी दिया गया।


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