मधेपुरा : महाविद्यालयों एवं उच्च न्यायालय से न्यायादेश प्राप्त महाविद्यालय में नामांकन आदेश औपचारिकता पूर्ण करने की मांग

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प्रिंस कुमार मिठ्ठू
संवाददाता
बिहारीगंज, मधेपुरा

मधेपुरा/बिहार : अनुदानित डिग्री महाविद्यालय प्राचार्य संघ के प्रदेश महासचिव डॉ माधवेंद्र झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्राचार कर सम्पूर्ण बिहार में उच्च शिक्षा से वंचित इंटरमीडिएट स्तर से उत्तीर्ण छात्र-छात्रओं को विश्वविद्यालयों के अधीन डिग्री स्तरीय महाविद्यालयों में नामांकन हेतु वैकल्पिक व्यवस्था करने का मांग किया है।

मांग पत्र के माध्यम से कहा है कि स्नातक कक्षा में नामांकन से वंचित 60 प्रतिशत उतीर्ण छात्र-छात्राओं को विषयवार दोगुनी सीट निर्धारित कर नामांकन कराने का अधिकार दिया जाय। साथ हीं विश्वविद्यालय के निकायों द्वारा अनुमोदित महाविद्यालयों को एवं उच्च न्यायालय से न्यायादेश प्राप्त महाविद्यालय में नामांकन आदेश औपचारिकता पूर्ण किया जाय।

डाॅ झा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि बिहार के विश्वविद्यालयों के अधीन समानुपातिक रूप से उच्च शिक्षण संस्थान का घोर अभाव है। जबकि शैक्षणिक व्यवस्था के फलस्वरूप कायम गुणवत्ता का फल है कि 85 प्रतिशत बिहार के बच्चे अच्छे अंक के साथ उत्तीर्णता प्राप्त की है। शिक्षा विभाग द्वारा प्रत्येक अनुमंडल के प्रत्येक  महाविद्यालयों में नामांकन हेतु प्रति विषय 80 सीट के हिसाब से लगभग 2 हजार विषयवार सीट पूर्व से निर्धारित हैं। जबकि एक अनुण्डल में 15 से 20 हजार छात्र-छात्राएँ प्रतिवर्ष उत्तीर्ण होते हैं। फलस्वरूप पूरे बिहार के छात्र-छात्राएँ अपने मूलभूत अधिकार शिक्षा से वंचित होने के कगार पर आ गए हैं। सुबे में घोर अशांति का वातावरण उतपन्न हो गया है। स्थिति इतनी विकराल हो गई है कि नामांकनों की सीट वर्धित करने का दबाव बनाने को लेकर आक्रोशित छात्र-छात्राएँ घंटों बिजली का लाइन काटकर कुलपति, प्रतिकुलपति को कार्यालय में बंद कर भीषण गर्मी में छोड़ दे रहे हैं।

वहीं महाविद्यालयों में आगजनी-तालाबनंदी कर सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध घोर प्रदर्शन कर अपने मौलिक अधिकार हेतु सरकार को संवादित करने हेतु मेमोरंडम दे रहे हैं। लॉ एंड आर्डर की स्थिति विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों में बेहद संवेदनशील हो गई है। सरकार को बदनाम करने की गंभीर साजिश में शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा सभी विश्वविद्यालयों अंतर्गत दर्जनों महाविद्यालयों में स्वेच्छाचारिता से शिक्षा विभाग के निदेशालय द्वारा सीनेट, सिंडिकेट से अनुमोदन के बावजूद रोक लगा दी गई है जो चिंता का विषय है।


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