मधेपुरा : दलदल की स्थिति सड़कों पर, आजादी के सात दशक के बाद भी बुनियादी ढांचा का घोर अभाव

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आकाश दीप
संवाददाता
उदाकिशुनगंज, मधेपुरा

उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : गली-गली सड़क का दावा करने वाली सुशासन की सरकार आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी उदाकिशुनगंज प्रखण्ड क्षेत्र अन्तर्गत खाड़ा पंचायत वार्ड 13 सुखासनी महादलित टोले में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रही है, आज भी इस महादलित टोले में मिट्टी भराई व ईटसोलिंग सड़क नहीं है। यहां के लोग आज भी सड़क जैसी मूलभूत ढांचा के घोर अभाव का दंश झेल रहे हैं।

ग्रामीण नवल किशोर पौद्दार, शंकर साह, रामाधीन ऋषिदेव, विलास मेहरा, महेश्वर साह व अन्य ने कहा कि यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा कई वर्षों से आश्वासन पर आश्वासन दिए जा रहे हैं। उनका आश्वासन अबतक सिर्फ जुमला बनकर रह गया है। सुखासनी ढलाई मुख्य सड़क से महादलित टोला होते हुए सहरसा जिले के काशनगर पंचायत के सीमा तक जाने वाली सीमावर्ती सड़क जोकि सहरसा और खगड़िया जिले को जोड़ती है। कच्ची सड़क पर गड्ढे में बरसात का पानी जमा होने से किचरयुक्त दलदल सड़क पर गुजरना यहां के ग्रामीणों की बेबसी बन गई है।

वैसे तो सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढों में सालों भर पानी जमा रहता है। परन्तु बरसात के दिनों में तो पूरी सड़क हीं जलमग्न हो जाती है। कीचड़मय सड़क दलदल में तब्दील हो जाती है। ऐसे धानरोपनी खेत जैसी सड़कों पर चलना किसी जोखिम भरा स्टंट से कम नहीं है। पुस्त दर पुस्त इस गांव के लोगों को सड़क, नाला, शौचालय, स्वच्छ पेयजल, आवास और अन्य मूलभूत सुविधाओं के घोर अभाव के झेलते-झेलते निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और सरकार से विश्वास उठती जा रही है। स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि इस मोहल्ले के लोग आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। जबकि यहां के लोगों का और स्कूली बच्चे बूढ़े को गुजरने का यही एक मुख्य मार्ग है जो बरसात के पानी में जल मग्न रहता है।

ग्रामीणों में पनपने लगा है आक्रोश 

कीचड़मय सड़क रहने से बच्चे विद्यालय जाने से भी कतराते हैं। सालों भर सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढे में लम्बे समय से जमे पानी के सरांध से दुर्गंध उठती रहती है। हैजा काॅलरा व अन्य संक्रमण जैसी बिमारी को न्योता देती है। इससे इस और से गुजरने वाले राहगीर और बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। यहां के ग्रामीणों का जीवन और भी दुर्लभ हो गया है। घुटन जैसी जिंदगी बन चुकी है। इस कारण यहां के ग्रामीणों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विधायक, सांसद से भी समस्याओं के समाधान के लिए गुहार लगाइ है। परन्तु आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिला है। ग्रामीणों ने कहा है कि अगर इस बार विधानसभा चुनाव से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सूबे की सरकार हमारे गाँव की समस्या का समाधान नहीं करती है तो हम लोग सड़क पर उतर कर उग्र आंदोलन करेंगे और निकटवर्ती विधानसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार करेंगे।


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