मुजफ्फरपुर में मौत के शिकार बच्चों के न्याय के लिए दरभंगा में नागरिकों का निकाला कैंडल मार्च

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ज़ाहिद  अनवर (राजु)
उप संपादक

दरभंगा/बिहार : मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के कारण सैंकड़ों की संख्या मारे गए बच्चों के न्याय के लिए आज दरभंगा के मेडिकल चौक पर नागरिक समुदाय ने कैंडल मार्च का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में दरभंगा शहर के कई गणमान्य नागरिकों ने हिस्सा लिया।

कैंडल मार्च के उपरांत आयोजित सभा को जिला सचिव बैद्यनाथ यादव, वरिष्ठ नेता आर के सहनी, नंद लाल ठाकुर, अशोक पासवान, इंसाफ मंच के नेयाज अहमद, पप्पू पासवान, उमेश साह, देवेन्द्र कुमार, सदीक भारती, शिवन यादव, विशनाथ पासवान, गुलाम अंसारी, इनौस नेता रंजीत राम, गजेंद्र नारायण शर्मा, आइसा जिला अध्यक्ष प्रिंस राज, निशा कुमारी, मोहम्मद तालिब, मोहमद सहाबुद्दीन, मयंक कुमार, राहुल राज, जगदम्बा प्रसाद, अनिकेत रंजन, आमोद कुमार अमन,अनिकेत रंजन, कर्मचारी नेता संतोष कुमार यादव, गुड्डू पासवान, नंदन सिंह, मोहम्मद आकिब, सहित दर्जनों लोग शामिल थे। जबकि आज के कार्यक्रम का संचालन भूषण मंडल ने किया।

श्रधांजलि सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि मुजफ्फरपुर व अन्य इलाकों में जिन लोगों के बच्चे दिल्ली-पटना सरकार की घोर लापरवाही के कारण अकाल मृत्यु के शिकार हुए, उन्हीं के ऊपर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दिया है। एक न्यूज चैनल के मुताबिक 18 जून को एनएच 22 से मुख्यमंत्री के गुजरने की सूचना पाकर हरिवंशपुर के ग्रामीणों ने सड़क किनारे स्थित रोड का घेराव किया था। प्रशासन को यह नागवार गुजरा और बुखार के इलाज व पेयजल के सवाल पर इस सड़क जाम का बहाना बनाकर प्रशासन ने 19 लोगों पर नामजद एफआईआर कर दिया है। यह संवेदहनहीनता की पराकाष्ठा है। ऐसे वक्त में भी सरकार दमन-उत्पीड़न से बाज नहीं आ रही है। इस गांव के 7 बच्चों की मौत चमकी बुखार के कारण हुई थी। उन्होंने कहा कि विकास का ढिंढोरा पीटने वाले नीतीश कुमार की असलियत खुल चुकी है और इसी कारण वे बौखला गए हैं। कभी पत्रकारों को धक्का देकर बाहर करवा दे रहे हैं और कभी ग्रामीणों पर एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं लेकिन आईसीयू में बेडों की संख्या बढ़ाकर 200 नहीं करवा रहे हैं। वही वक्ताओं ने कहा कि मंगल पांडेय जैसे लापरवाह स्वास्थ्य मंत्री को बिहार की जनता कत्तई बर्दाश्त नहीं करेगी। भाजपा को बिहार व देश की जनता ने और ज्यादा दुर्दिन देखने के लिए वोट नहीं किया है लेकिन लगता है कि बहुमत प्राप्त कर भाजपा के लोग सत्ता के मद में चूर हो गए हैं। यही वजह है की चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की चिंता न तो केंद्र की सरकार को है न बिहार सरकार को। मंगल पांडेय को अविलंब पद से बर्खास्त करना चाहिए और युद्ध स्तर पर राहत कार्य चलाया जाना चाहिए।

मुजफ्फरपुर की घटना ने एक बार फिर से जाहिर कर दिया है कि बिहार सरकार का आपदा प्रबंधन बिलकुल नकारा है। बच्चों के प्रति इस प्रकार की लापरवाही घोर आपराधिक लापरवाही है और इसके लिए पूरी तरह से भाजपा-जदयू की सरकार जवाबदेह है। लोगो की सरकार से मांग थी कि इंसेफलाइटिस को आपदा घोषित करते हुए युध्द स्तर पर राहत अभियान चलाए। गांव-गांव में सक्षम डॉक्टरों की टीम भेजे और इलाज में गम्भीरता लाये और स्वास्थ्य सेवा को मुख्यमंत्री अपने अधीन लें तथा स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को अविलंब बर्खास्त करें। एक ओर जहां मुजफ्फरपुर व अन्य जिलों में चमकी बुखार का कहर है तो दूसरी ओर गया व औरंगाबाद के इलाके में लोग लू से मर रहे हैं। हास्यास्पद यह है कि सरकार लू से बचने के लिए ठोस उपाय करने की बजाए धारा 144 लगा रही है। इन आपदाओं में गरीबों के ही बच्चे मारे जा रहे हैं। चाहे चमकी बुखार हो या लू का कहर अथवा पेयजल संकट, इन सबके शिकार सिर्फ मेहनतकष समुदाय के लोग हो रहे हैं।

नागरिक समुदाय ने बिहार की जनता से इस दुख की घड़ी में मारे गए बच्चों के न्याय के लिए आगे आने का आह्वान किया है।


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