पौराणिक कथा से जुड़ा एक धार्मिक स्थल बिहार में है। पौराणिक मान्यता के अनुसार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का दहन बिहार में हुआ था। पूर्णिया जिले के सिकलीगढ़ में वह जगह है, जहां होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी थी और खुद जल गई थी। खंभे से भगवान नरसिंह ने लिया था अवतार सिकलीगढ़ में हिरण्यकश्यप का किला था। यहीं भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए खंभे से भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था। भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा खंभा (माणिक्य स्तंभ) आज भी यहां मौजूद है। इसे कई बार तोड़ने का प्रयास किया गया। यह स्तंभ झुक तो गया, पर टूटा नहीं।
प्रह्लाद स्तंभ विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष बद्री प्रसाद साह बताते हैं कि यहां साधुओं का जमावड़ा शुरू से रहा है। वे कहते हैं कि भागवत पुराण (सप्तम स्कंध के अष्टम अध्याय) में भी माणिक्य स्तंभ स्थल का जिक्र है। उसमें कहा गया है कि इसी खंभे से भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी।
यहां राख से खेली जाती है होली
इस स्थल की एक खास विशेषता है कि यहां राख और मिट्टी से होली खेली जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि जब होलिका भस्म हो गई थी और प्रह्लाद चिता से सकुशल वापस आ गए थे। प्रहलाद के समर्थकों ने एक-दूसरे को राख और मिट्टी लगाकर खुशी मनाई थी, तभी से ऐसी होली शुरू हुई। यहां होलिका दहन के दिन करीब 50 हजार श्रद्धालु उपस्थित होते हैं और जमकर राख और मिट्टी से होली खेलते हैं।