मधेपुरा : सिंहेश्वर को रामायण सर्किट में शामिल करें सरकार-डा ओम प्रकाश भारती

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अमित कुमार
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : बटोही सहरसा द्वारा रामायण कलारूपों पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कला महोत्सव – वैदेही महोत्सव का आयोजन दिनांक 15 एवं 16 जून को सिंहेश्वर में किया जा रहा है। इस आशय की जानकारी शुक्रवार को जिला मुख्यालय स्थित मधेपुरा होटल में पूर्व सांस्कृतिक राजनयिक एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कला विभाग के अध्यक्ष प्रो डा ओम प्रकाश भारती ने प्रेस वार्ता के दौरान दी।

 उन्होंने बताया कि महोत्सव में किशनगंज, बिहार से गेरगेरु राय तथा साथी रामकथा पर आधारित लोकनाट्य ‘राजधारी’ की प्रस्तुति करेंगे तथा उड़ीसा से सस्मिता पांड्या ओड़िसी और पश्चिम बंगाल से सुस्मिता रॉय और शिवम घोष, शंकर वर्णम पल्लवी, राम वजन बांग्ला रामायण के कलारूपों की प्रस्तुति 15 जून की संध्या को देंगे। 16 जून को मिथिला के कलारूपों में रामकथा विषय पर संगोष्ठी आयोजित की जाएगी।

संगोष्ठी में सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय से डा जयंत वर्मन, कोलकाता से डा पोम्पी पॉल तथा दुमका विश्वविद्यालय से यदुवंश यादव के साथ-साथ स्थानीय विद्वान अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन तथा बीज वक्तव्य पूर्व सांस्कृतिक राजनयिक एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कला विभाग के अध्यक्ष प्रो डा ओम प्रकाश भारती करेंगे।

 डा भारती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य मिथिला की संस्कृति और साहित्य में व्याप्त रामकथा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्रदान करना तथा ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सिंहेश्वर स्थान को भारत सरकार द्वारा निर्मित किए जा रहे ‘रामायण सर्किट’ को जन-अभियान के द्वारा सम्मिलित करवाना है। इस आयोजन का सह-संयोजन सुभाष चंद्र कर रहे हैं। डा भारती ने कहा कि भारत सरकार द्वारा राम कथा और रामायण से जुड़े स्थानों ‘रामायण सर्किट’ को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की योजनाएं बनायी जा रही है। इसमें बिहार के रमरेखा घाट, ताड़का वधस्थल, अहल्या स्थान, मंदार पर्वत आदि को शामिल किया गया है। जबकि रामायण कथा से जुड़ा महत्वपूर्ण स्थान ऋष्य श्रृंग का आश्रम श्रृंगेश्वर(सिंहेश्वर) उपेक्षित है। उन्होंने कहा कि ऋषि श्रृंग ने यहीं राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ किया था, जिसके बाद रामायण के नायक श्री राम और उनके भाइयों का जन्म हुआ। इसका उल्लेख रामायण सहित कई अन्य पौराणिक ग्रंथों में हुआ है।

लोक विश्वास के अनुसार सिंहेश्वर के समीप स्थित सतोखर ही यज्ञ स्थल है। पुराण के अनुसार अंग के राजा लोमपाद ने कौशिकी कच्छ स्थित श्रृंगी ऋषि के आश्रम में दो सौ सुंदरियों का दल भेजा था। दल का नेतृत्व राजा दशरथ की दत्तक पुत्री शांता कर रही थी। कहा जाता है कि बाद में शांता का विवाह ऋष्य श्रृंग से हुआ। कौशिकी कच्छ का श्रृंगी ऋषि आश्रम सिंहेश्वर ही है। अतः इस मत्वपूर्ण पौराणिक स्थल को रामायण सर्किट में शामिल किया जाना चाहिए। इससे कोसी अंचल में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेगी। प्रो भारती ने आगे कहा कि रामायण सर्किट को लोकप्रिय बनाने और पर्यटक के आकर्षण हेतु बटोही, सहरसा द्वारा एक ‘रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय’ का निर्माण किया जा रहा है।  इस संग्रहालय में इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, थाईलैंड, श्रीलंका, फिजी, नेपाल, सूरीनाम तथा मॉरीशस से संगृहीत राम कथा से संबंधित कला वस्तुएं प्रदर्शित की जाएगी। साथ ही संग्रहालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर शोध तथा प्रलेखन केंद्र स्थापित भी किया जायेगा।

 उन्होंने कहा कि मिथिला सीता की जन्मभूमि है. यहां की लोक परम्पराओं में रामकथा की व्याप्ति हैं। रमखैलिया, लभहैर – कुसहैर, रासधारी तथा मिथिला चित्र राम कथा को अभिव्यक्त करने महत्वपूर्ण कला रूप हैं। इस संदर्भ उपस्थित व्यक्तियों ने ज्ञापन तैयार किया, जिसे प्रधानमंत्री तथा पर्यटन मंत्री बिहार सरकार को भेजा जाएगा। मौके पर बटोही के सचिव डा महेंद्र कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित थे।


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