पटना/बिहार : पटना के बांसघाट स्थित काली मंदिर की स्थापना लगभग तीन सौ वर्ष पहले श्मशान घाट पर अघोर पंथ के तांत्रिकों ने की थी। मंदिर के न्यास ट्रस्ट के सचिव शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि यहां पर दो महिलाएं सती हुई थीं, इसलिए इस स्थल का नाम दो-जरा पड़ा था, जो अब दुजरा बोला जाता है।
दुजरा के समीप गंगा किनारे बांस के काफी पौधे होने के कारण इस घाट का नाम बांसघाट पड़ा। यहां पर सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
बांसघाट काली मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए न केवल राज्य से बल्कि देश के कोने-कोने से साधक आते हैं। खासकर पूर्वी भारत के असम, बंगाल एवं उड़ीसा से साधक आकर तंत्र साधना करते हैं।
वैष्णव पद्धति से होती पूजा बांसघाट काली मंदिर में नवरात्र के अवसर पर विशेष पूजा की जाती है। मंदिर में वैष्णव पद्धति से पूजा की जाती है। यहां महानिशा एवं संधि पूजा काफी भव्य तरीके से होती है। दीघा-पटना रोड पर है म्बांसघाट काली मंदिर दीघा-पटना रोड पर गंगा किनारे अवस्थित है।
यहां पर पटना जंक्शन से गांधी मैदान होते हुए टेम्पो, बस या निजी वाहन से आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहीं दानापुर से भी दीघा के रास्ते सड़क मार्ग से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।