रितु जयसवाल बिहार के सीतामढ़ी जिले के सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया है। इस बार के लोकसभा चुनाव में एक राष्ट्रीय दल से सीतामढ़ी से टिकट की दावेदार भी थी इनके पति अरुण कुमार आईएएस अधिकारी रहे हैं । एक तरफ टिकट नहीं मिलने से जहां दावेदार मायूसी के शिकार हो गए हैं । वहीं दूसरी तरफ मुखिया रितु जायसवाल बाधा पर विजय की कहानी लिख रही है। इनके पंचायत में ससुराल जाने से पहले लड़कियों को हुनरमंद किया जा रहा है। जिसकी बानगी अब वास्तविकता के धरातल पर भी नजर आ रही है।
रितु जयसवाल कहती है बाल विवाह सुदूर देहात की आज भी एक गम्भीर समस्या है। इस सामाजिक समस्या से लड़ते हुए हमें पहली कामयाबी मिली है। रंजना की शादी से। वे कहती है हमारे सिंहवाहिनी में बाल विवाह को रोकने के लिए हम लोगों ने एक बेहद हीं साधारण पर अलग कदम उठाया हैं। इसमें साथ दिया है हमारे पंचायत सचिव श्री रमेश मेहता जी (तस्वीर में गुलाबी शर्ट में दिख रहे) ने भी। तकरीबन एक साल पहले हम गाँव वालों ने अपने निजी पैसे से पंचायत के बड़ी सिंहवाहिनी गाँव में सिलाई सिखाने का कार्यक्रम शुरू किया था। इस सेंटर में 15 – 15 के बैच में पंचायत की लड़कियों का नामांकन 17 वर्ष की आयु में लेने का निर्णय हमनें किया। इसके पीछे हमारी सोंच यह थी कि 4 महीने के प्रशिक्षण के बाद, या जब तक लड़की पूर्णतः सिख न जाये, जब लड़की 18 वर्ष की हो जायेगी और उसकी शादी यदि कम से कम 18 वर्ष की उम्र में होगी तो सिंहवाहिनी से लड़की एक गुण (सिलाई का प्रशिक्षण) और एक सिलाई मशीन उपहार स्वरूप ले कर अपने स्वसुराल जाएगी।
लड़की को अपने जीविकोपार्जन केलिए किसी पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा और वो सम्मान और स्वाभिमान से अपनी ज़िंदगी जी सकेगी। हम सब बेहद खुश हुए की इस सकारात्मक सोंच का सकारात्मक नतीजा देखने को इतनी जल्दी मिलने भी लगा, जब शुक्रवार को पंचायत के बड़ी सिंहवाहिनी गाँव के निवासी सुनील पासवान और विंदु देवी ने अपनी प्यारी बिटिया रंजन कुमारी की शादी प्रशिक्षण के बाद 18 वर्ष की उम्र हो जाने के बाद करने का निर्णय लिया। और शुक्रवार को उसकी शादी सम्पन्न हुई। इस शादी की सब से खास बात यह रही कि पंचायत के सचिव श्री रमेश मेहता जी ने अपने निजी पैसे से उपहार स्वरूप रंजन कुमारी को सिलाई मशीन दिया। रितु कहती हैं कि हमें लगता है किसी पंचायत सचिव के द्वारा ऐसी पहल में सहयोग करना शायद हीं किसी ने देखा होगा। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार अनुसूचित जाति में हकीकत में 18 वर्ष की आयु में लड़की की शादी होने की यह पहली घटना है। बाल विवाह, घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा जैसी कुरीति को दूर करना है तो वो महज बात करने, कानून बनाने या मानव श्रृंखला बनाने से दूर नहीं होगी। ये अर्थ युग है। मुखिया रितु जायसवाल का कहना है कि हम जब तक महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त, शिक्षित और जागरूक नहीं करेंगे तब तक बाल विवाह और दहेज प्रथा कभी समाप्त नहीं हो पाएगी। जैसा सोंचा था वैसा नतीजा इतनी जल्दी मिलने से हम समस्त ग्राम वासी उत्साहित हैं।
वे कहती हैं कि अभियान आगे लगातार यह पहल जारी रहेगी और अपने मित्रों में भी जो सक्षम हैं उनसे एक सिलाई मशीन (उषा का 3900 रुपये में मिला हमें) अपने हाथों से सिंहवाहिनी में इस सेंटर से प्रशिक्षण ले कर निकली लड़की की शादी 18 वर्ष की आयु में करने पर देने केलिए आग्रह करती हूँ। हम पैसे नहीं ले सकते, हमारे सचिव साहब की तरह आप एक मशीन दीजिये और हमारा आग्रह है अपने हाथ से बिटिया को आ कर दीजिये। यकीन मानिए आपको बहुत खुशी मिलेगी। आप सब भी ऐसी पहल अपने गाँव में कर सकते हैं। बहुत छोटी सी शुरुआत है। कोई बहुत ज्यादा पैसे नहीं लगेंगे इसे शुरू करने में। पर ऐसी शुरआत कितनी बेटियों की सम्मान की रक्षा करेगी। कृपया इस पर ज़रूर ध्यान दें।