किशनगंज/बिहार : लोकतंत्र के महापर्व पर किशनगंज में इस बार अदभूत नजारा दिखने को मिला, जहाँ के कुल 16,59,399 ने बम्पर वोटिंग करते हुए 63 प्रतिशत मतदान के आंकड़ों को भी पार कर दिया ।
शाम के छः बजे कुछ मतदानकेन्द्रों को छोड़कर लोकतंत्र के महापर्व का समापन बिल्कुल शांति के साथ समाप्त हो गया । चुनावी अखाड़े में उतरे दिग्गजों की तकदीरें ई वी एम में कैद हो गयी और शेष रह गये लोगों के बीच जीत हार के ख्याली आंकड़़े, जहाँ कभी कोई जीत जाता है तो फिर कुछ देर में हार जाता है । ठीक उसी वक्त एक गाना बजने लगता है – भईया, ये पब्लिक है, ये सब जानती है ……।
ई वी एम में कैद लोगों की किस्मत का फैसला तो अब तयशुदा तारीख पर हीं हो पायेगा । इस बीच चुनावी जीत हार के गणित का खेल जोरशोर से चलने की चर्चाऐं धूम मचाने लगी है । पर सच्चाईयों की अगर मानी जाय तो किशनगंज पुलिस ने चुनावी उठापटकों के बीच जो नजारा दिखायी, वह पहले ना तो सुना था और ना किसी ने देखने की उम्मीद की थी । लोग कहते सुने जाते थे कि – दियारा क्षेत्रों में पुलिस घोड़ों की सवारी कर गस्त लगाते हैं पर यह नजारा तब देखने को मिला जब किशनगंज के एस पी कुमार आशीष, पुलिसकेन्द्र के सर्जेंट मेजर ई.रंजन कुमार अपने लावलश्कर के साथ घुड़सवार पुलिसबलों के साथ किशनगंज शहर के चक्कर लगाते देखे गये । अगर लोगों की मानी जाय तो किशनगंज में चुनावी हलचल के बीच शांति व्यवस्थाओं को मुकम्मल तरीकों से कायम करना, आजादी से लेकर अब तक देखने को नहीं मिला था । कहीं आदर्श बूथ तो कहीं पिंकबूथ । जहाँ मतदाताओं के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराई गयी थी ।
नजारा ग़जब का तब दिखा जब “द रिपब्लिकन टाइम्स” की टीम जिले के चक्कर लगाती बहादुरगंज प्रखंड के पिंक मतदानकेन्द्र आदर्श मध्य विद्यालय समेसर बूथ नं.152 पर पहुंची । जहाँ बहादुरगंज के नौजवान एस एच ओ सुमन कुमार सिंह मतदान करने आये मतदाताओं को चिलचिलाती धूप में बड़े हीं आदर के साथ पानी पिलाते देखे गये । यह एक ऐसा नजारा था जो लोग अपनी आंखों पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे । एक समय था कि लाल टोपी एवं पुलिस के नाम पर लोगों के पसीने छूट जाते थे । गांव खाली हो जाते थे पुलिस के नाम पर, पर मानव धर्म और मानवता की मिशालें कायम करने बाली किशनगंज पुलिस के क्रियाकलापों पर लोग बोलने से नहीं चूके ।
इस मतदानकेन्द्र पर नियुक्त पोलिंग ऐजेंट प्रकाश कुमार सिंहा, कुनाल कुमार, वयोवृद्ध सेवानिवृत्त शिक्षक गदाधर सिंहा एवं एक पुराने और काफी बूढ़े हो चुके दुष्कर्मी सैफुद्दीन तो अवाक थे । पूछने पर इनलोगों के जुवान नहीं खुल पारहे थे । जैसे तैसे गदाधर बाबू ने कहा कि अब हमारा आखरी समय है, ना देखा और ना कभी सोचा, ओह हमारा किशनगंज और यहां की पुलिस में कितना बदलाव आ गया है ? जब टीम ने पूछा कि -मास्टर साहब यहां लोग किस मुद्दों पर वोट डाल रहे हैं ? उनका कहना था कि -मतदाताओं को टटोल पाना काफी मुश्किल है, जहाँ लोग बोलते हैं कुछ और करते हैं कुछ । कम व वेश जिले भर में लगभग यही नजारा देखने को मिला । चलते चलाते सैकड़ों मतदाताओं के मन को हमने टटोलने की कोशिशें की । पता कुछ इस प्रकार से लगा कि -इस बार के लोकसभा चुनाव में लोगों ने जात पात से उपर उठकर लोगों ने किशनगंज के मुस्तकविल पर ज्यादा ध्यान दिया है। यहां की गंगा जमुनी तहजी़व, अमन पसंद लोग और उनकी मिल्लत को सबसे ज्यादा तरजी़ह देते मिले लोग । कयास चाहे जो भी लगा लिये जायें, पर यहां की फिजाओं में कौन सा इत्र छिड़का गया है लोगों के बूते से बाहर बताया जा रहा है । जहाँ मतदाताओं ने कहा कुछ और किया कुछ । लोग जीत हार के आंकड़ों को जानने के लिए घरों से निकलकर मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाकर कुछ जानने की जुगत में भिड़ चुके हैं पर मतदाता हैं कि मानते नहीं, जो आया उन्हीं के हो गये ।
उठापटक और चुनावी गणित के जोड़ घटावों के बीच कोई कुछ भी कह ले, पर इसका सही फैसला 23मई को ई वी एम हीं कर पाऐगा । जहाँ का मुकाबला त्रिकोणीय होकर लोगों के निंद और चैन उड़ा रखें हैं । उम्मीदवारों के दिल की धड़कनें तेज होती जा रही है और पब्लिक है कि मन की बातें बताने से परहेज कर रही है । लब्बोलवाब यह कि किशनगंज के किस्मत का फैसला करने वाली पब्लिक ने अपने मन का करते हुए रीजल्ट को रिजर्व कर दिया है ।