किशनगंज/बिहार : मैं किसी दल या उम्मीदवार का नाम नहीं बोलता, मैं अपने काम की बातें करता हूं और मेरा काम बोलता है । मैं काम के बदले अपनी मजदूरी मांगने आया हूं । क्या मुझे मजदूरी मिलेगी और अगर हां तो -सैयद महमूद अशरफ को तीर का बटन दबाकर संसद में भेजिए, यही मेरी मजदूरी होगी ।
उक्त बातें आज बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने कही, वे रविवार को अपने निर्धारित समय पर हाई स्कूल पौआखाली के मैदान में उतरे । जहाँ बड़ी तायदातों में लोगों का हुजुम इन्हे सुनने को उमड़ पड़ी थी । एन डी ए के उम्मीदवार सैयद महमूद अशरफ ने लोगों से मुखातिब होकर कहा कि – मैं पिछले पांच सालों में इलेक्शन हारकर भी किशनगंज की अवाम के साथ रहकर खिदमत करता रहा । मैं यहां किशनगंज पार्लियामेंट्री हल्के का मुकामी हूं, मेरा जीना और मरना अपनों के बीच है । फैसला यहां की अवाम को लेना है । खिदमत करने के सिलसिले में अगर मुझसे कहीं कोई चूक हुई हो तो मैं माफी़ का तलबगार हूं । जिस पर सैयद असरफ ने खूब तालियां बटोरी ।
आज के इस सियासी जलसे में खास पहलू ये रहा कि -मरहूम एम पी अलह़ाज जनाव असरारुल हक कासमी के नाम से बने “मौलाना फेंस एसोसिएशन के हजारों मेंम्बरानों ने कांग्रेस से अपना दामन छुड़ाकर जनता दल यूनाईटेड का दामन थाम लिया । जिसमें मौलाना के खासमखासों ने जद यू में शामिल होकर एन डी ए के उम्मीदवार सैयद महमूद अशरफ को एक मजबूती दे डाली है । जिससे सियासी फिजा़ओं में एक नया मोड़ आ गया है ।
गौरतलब है कि किशनगंज पार्लियामेंट्री हल्कों में बायसी पूर्णियाँ से पूरे किशनगंज जिले में मरहूम मौलाना कासमी के लाखों मुरीदों का होना बतलाया जाता है । वह भी तब जब सूबा ए बिहार के साबिक सदर अशोक चौधरी को नीतिश कुमार के स्टेज पर देख लोगों की रही सही कसर भी पूरी हो गयी । आज की इस सियासी मिटिंग से लोगों में एक सियासी जंग को उनकी मंजिल तक ला छोड़ा है । जिसकी गुंज आज लोगों की जुवानों को छू लिया है । हलाकि अठारह अप्रील की चुनावी तारिख बहुत दूर नहीं है । जब यहाँ की अवाम का फैसला किशनगंज की तकदीर को लिखेगा ।
आज के इस सियासी प्लेटफार्म पर एम एल सी गुलाम रसूल बलियाबी, खालिद अख्तर, साबिक सदर बिहार कांग्रेस अशोक चौधरी, एम एल ए मास्टर मुजा़हिद, नौशाद आलम, भाजपा के साबिक एम एल ए सिकंदर सिंह और कई नायाब हस्तियों ने यहां महमूद अशरफ के लिए लोगों को खि़ताबत किया ।