अगर आप बिहारी हैं तो गर्व से सीना जरूर चौड़ा हो जाएगा, पढ़िए पूरी खबर

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अनुप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

अगर आप बिहारी हैं तो गर्व से सीना जरूर चौड़ा हो जाएगा, जी भर कर दीजिए बधाई बिहार की बेटी गोल्डन गर्ल,श्रेयसी सिंह को, जिन्हें इस वर्ष के अर्जुन पुरस्कार के लिए चुना गया है।

कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 की गोल्डन गर्ल श्रेयसी सिंह की कामयाबी पर देश को गर्व है, लेकिन उन्हें यह स्वर्णिम सफलता एक दिन में नहीं मिली। पिता दिग्विजय सिंह भारतीय राइफल संघ के अध्यक्ष थे, जिसका फायदा वह उठा सकती थी, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। स्कूल में पढ़ाई के दौरान जब उन्होंने निशानेबाजी के शौक के बारे में बताया तो पिता के साथ पूर्व सांसद उनकी मां पुतुल कुमारी ने हामी भर दी। श्रेयसी कहती हैं कि अब मैं भले ही दिल्ली में रहती हूं पर दिल से बिहारी हूं।

प्रतिस्पर्धी दौर को समझा

जमुई के गिद्धौर में नौवीं क्लास में पढ़ाई के दौरान श्रेयसी को निशानेबाजी के लिए जरूरी सामान की व्यवस्था कराई गई। साथ ही यह नसीहत भी दी गई कि प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। श्रेयसी ने अमल किया। पहले जिला, उसके बाद राज्य स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर सभी का ध्यान खींचा, लेकिन अच्छी तालीम और निशानेबाजी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए उन्हें नई दिल्ली जाना पड़ा। दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुशन किया और 2007 में तुगलकाबाद में शूटिंग रेंज में राष्ट्रीय कोच के सानिध्य में मेहनत की।

बिहार में अंतरराष्ट्रीय शूटिंग रेंज होता तो बाहर नहीं जाती

पदक जीतने के बाद श्रेयसी ने कहा था कि मैं अपनी कामयाबी से बेहद खुश हूं। मैंने पिछले चार साल में अपने पदक के रंग को बदलने के लिए काफी मेहनत की है। मेरा मुकाबला कड़ा रहा, क्योंकि मेरी प्रतिद्वंद्वी ईमा कॉक्स को घरेलू होने का फायदा था। जब मुकाबला शूटऑफ में आया तो मेरे कोच और अभिभावकों की नसीहत काम आई।

शूटऑफ में भारी पड़ीं श्रेयसी

महिला डबल ट्रैप के फाइनल में श्रेयसी और ऑस्ट्रेलिया की इमा कोक्स के बीच रोचक भिड़ंत देखने को मिली। चार राउंड के बाद श्रेयसी और इमा 96-96 अंक के साथ संयुक्त रूप से बराबरी पर थीं। इसके बाद स्वर्ण का फैसला करने के लिए शूटऑफ का सहारा लेना पड़ा। शुरुआती चारों दौर में श्रेयसी ने 24, 25, 22 और 25 का स्कोर बनाया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक करने वाली श्रेयसी ने ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता था।


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