महज छह वर्षों में इंदिरा आईवीएफ ने 35 हजार से अधिक निःसंतान दम्पतियों को दिया संतानता का वरदान। देश भर में 50 से अधिक इंदिरा आईवीएफ पर सफल इलाज से बढ़ा दम्पतियों का भरोसा। निःसंतानता के गंभीर मामलों को चुनौती के रूप में स्वीकारते हुए लगातार अर्जित कर रही सफलता। निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान से विष्व भर में इंदिरा आईवीएफ का बढ़ रहा सम्मान।
पटना/बिहार : देश की सर्वोच्च इनफारलिटी ग्रुप इंदिरा आईवीएफ सफलता के नित-नये प्रयोग और निःसंतानता के मामले में उत्कृष्ट आयाम स्थापित करती जा रही है। अन्य आईवीएफ केंद्रों के मुकाबले इंदिरा आईवीएफ देश का दम्पतियों का भरोसा जीतने में कामयाब हो रहा है।
बात करें तो इस आईवीएफ तकनीक के इस्तेमाल से अन्य आईवीएफ केंद्र को जहां मात्र 50 प्रतिशत सफलता हासिल हो रही है, वहीं इंदिरा आईवीएफ को 75 प्रतिशत तक रिकार्ड तोड़ सफलता प्राप्त हो रही है। इसे देखकर निःसंतान दम्पतियों का सर्वाधिक झुकाव इंदिरा आईवीएफ की तरफ सहज ही हो रहा है। इनसे जुड़े विषेषज्ञ मानते हैं कि इंदिरा आईवीएफ प्रक्रिया से लोग निःसंतानता को बाय-बाय कह रहे हैं। रोचक बात यह कि हर जगहों से निराश हो चुके लोगों के लिए इंदिरा आईवीएफ खुषियों की सौगात लेकर आ रहा है। इंदिरा आईवीएफ पटना से जुड़ी बेहतरीन सफलता की एक बड़ी बानगी आप भी देखिए :
रूबी देवी (काल्पनिक नाम), उम्र 34 वर्ष। निःसंतानता की इसकी कहानी बड़े-बड़े दुखों को भी मात करनेवाली है। रूबी बताती है कि बच्चे की चाह में आठ सालों से इलाज करवा रही हूं। बेहतर इलाज के लिए भीषण महंगाई के दौर में हर जगह से लाखों रूपये कर्ज लेकर इलाज करवाया। इससे आगे वो कुछ बोल पाती, उसकी आंखों से आंसू निरंतर गिरने लगी। थो़ड़ी देर के बाद सहज होते हुए वे कहने लगी-कई अन्य सेंटरों पर जाकर अपने इलाज में लाखों रूप्ये और समय की बर्बादी की। यह प्रक्रिया उनके अन्य जगहों पर सात बार फेल हो चुकी है। संतान पाने की उम्मीद छोड चुकी थक-हार कर अंतिम बार इंदिरा आईवीएफ पटना इलाज को आयी। यकीन नहीं हो रहा इंदिरा आईवीएफ में ही मुझे सफलता हासिल हुई। इधर आईवीएफ पटना के चीएफ एंब्रायोलाॅजिस्ट डा. दयानिधि ने बताया कि रूबी देवी जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं। इस महिला का सात बार आईवीएफ फेल हो गया। यह जानकर हमें भी बड़ा आष्चर्य हुआ। आईवीएफ पटना ने इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए इसे एक चुनौती के रूप में लिया। डा. दयानिधि ने आगे कहा कि यहां की पूरी टीम के द्वारा गहन जांच के क्रम में पाया गया कि इनके पति के शुक्राणु तो ठीक थे, लेकिन शुक्राणु के डीएनए की गुणवता अच्छी नहीं थी। अगर शुक्राणु के डीएनए गुणवता खराब होगी तो उसके भ्रुण अच्छे नहीं बनते। अगर भु्रण बन भी गये तो गर्भ धारण नहीं हो पाता और ऐसे में गर्भपात की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसे नाजुक मामलों में पटना आईवीएफ केंद्र के चिकित्सकों ने रूबी देवी के इलाज में उपबतवसिनपकपब पबेप (माइक्रोफल्यूडिक इक्सी) जैसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे सफलता मिली है। इस तकनीक का इस्तेमाल उनलोगों के लिए कर सकते हैं जिनका आईवीएफ असफल हो चुका है या जिनके एक या एक से ज्यादा गर्भपात हो चुके हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल बहुत ही कम आईवीएफ केन्द्रों पर होता है।
ऐसी ही दूसरी कहानी रोमा (काल्पनिक नाम) की भी है। रोमा बताती है वह 11 सालों से संतान सुख से वह वंचित है। सब सुख मिलने के बावजूद एक संतान की कमी से काफी निराष थी और लोगों ने जहां-जहां जाने को कहा इलाज के लिए मैं वहां भी गई। इलाज शुरू होने के कुछ दिनों बाद मेरी रिपोर्ट लगातार निगेटिव आ रही थी।।
अंतिम आस भी टूटती जा रही थी। फिर इंदिरा आईवीएफ का ख्याल मन में आया और वे इलाज के लिए यहां आ गई। ऐसे मामलों से जुड़े दीर्घकालीन निःसंतानता के संबंध में डा. अनुजा बताती है कि पीसीओडी नामक बीमारी भी निःसंतानता का एक बड़ा कारण है। इसमें महिलांओं के शरीर में अंडाणुओं की संख्या काफी अधिक हो जाती है। अंडाणु अधिक होने पर इनके गुणवता में कमी होती है और अंडाणु समय पर नहीं फूट पाते। इससे महिलांओं को समय पर मासिक (पीरियडस) नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में छह माह तक दी गई दवाओं से अगर फायदा नहीं होता है तो आईवीएफ का प्रयोग करते हैं। जिससे की गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। 25-30 प्रतिषत महिलांए पीसीओडी की बीमारी से ग्रसित होती है। रोमा बताती है कि इंदिरा आईवीएफ के इलाज प्रक्रिया से बहुत संतुष्ट हैं आरै वहां के चिकित्सकों को धन्यवाद देते हुए अन्य निःसंतान दम्पतियों को पटना आईवीएफ केंद्र पर आने की सलाह देती है। वहीं आईवीएफ केंद्र पटना में सर्वाधिक खुषी का माहौल उस वक्त बन गया जब आईवीएफ की रेडियोलाॅजिस्ट डा. सुनीता कुमारी ने वहां आये सभी 11 मरीज जिनका सफल भ्रुण प्रत्यारोपण एक ही दिन में किये जाने की पुष्टि की। खुषी के इस मौके पर सभी सफल मरीजों को पटना आईवीएफ केन्द्र द्वारा सम्मानित किया गया।
इस मौके पर चीएफ एंब्रायोलाॅजिस्ट डा. दयानिधि ने कहा कि देष में निःसंतानता दिनों-दिन गंभीर समस्या के रूप में उभरती जा रही है। इस विषय पर अपना विचार व्यक्त करते उन्होनें कहा कि इसके लिए हम सबों को मिलकर काम करना होगा। निःसंतानता को जड़ से मिटाने के लिए आईवीएफ पटना भरसक प्रयास कर रही है। अपने देष के विकास और संवर्धन के लिए हमें गांव-कस्बों तक पहुंच बनाकर निःसंतानता रूपी जड़ों को उखाड़ फेकने के दिषा एकजुट होकर कार्य करना पड़ेगा। समारोह में इदिरा आईवीएफ पटना से डा. अनुपम कुमारी, रीना रानी झा व डा. मीनी सहित अन्य चिकित्साकर्मी मौजूद थे।