मधेपुरा : भवन के अभाव में खुले आसमान के नीचे बैठ कर पढाई करने पर विवश हैं एचएस कॉलेज के दो हजार छात्र-छात्राएँ

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प्रेमजीत कुशवाहा
 संवाददाता
उदाकिशुनगंज, मधेपुरा

उदाकिशुनगंज/मधेपुरा/बिहार : उदाकिशुनगंज अनुमंडल का एकमात्र अंगीभूत इकाई एचएस कॉलेज का स्वर्णिम इतिहास धूल धूसरित होकर जार जार आंसू बहाने पर विवश है। स्थिति यह है कि कॉलेज को अध्ययन कार्य के लिए एक कमरा तक नसीब नहीं है। एक वक्त ऐसा था जब कॉलेज अपने गौरवमयी अतीत पर इतराता था । आज वक्त ऐसा हो गया है कि कॉलेज को अपने गौरवमयी इतिहास को याद करने में शर्मिंदा होती है। सरकार और प्रशासन के उदासीनता के कारण कॉलेज की वर्तमान स्थिति अत्यंत ही जर्जर और दयनीय हो चुकी है। इस कॉलेज में करीब दो हजार छात्र-छात्राएँ का नामांकन है। छात्र-छात्राएँ को बैठने के लिए ना तो भवन है, और ना ही बेंच और डेस्क नसीब है। ऐसी स्थिति में यहां के छात्र कॉलेज के प्रांगण में आसमान के नीचे बैठकर पढ़ने के लिए विवश हो चुके हैं।

यहां के छात्र-छात्राएं निशा कुमारी, ममता कुमारी, निधि कुमारी,आनंद कुमार,शालिनी कुमारी,अमरजीत कुमार,नाविन कुमार,बजरंगी कुमार,संजय कुमार जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने में शर्म महसूस नहीं करते हैं, लेकिन कॉलेज के साथ हो रहे सौतेलापन व्यवहार से आहत जरूर है। यही नहीं यहां के छात्रों के साथ साथ उनके अभिभावकों और काॅलेज के संस्थापक परिवार के सदस्य भी मर्माहत हैं। कॉलेज के संस्थापक परिवार के सदस्य कहते हैं कि वर्तमान राष्ट्रीय क्षितिज में शिक्षा के गुणनात्मक विकास व प्रसार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए उदाकिशुनगंज में हरिहर साहा काॅलेज की स्थापना की गई थी । इस अनुमंडल का एक मात्र अंगीभूत इकाई सरकारी काॅलेज है जो यहाँ के लोगों के लिए एक धरोहर है। लेकिन सरकार, प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह काॅलेज आज तक शिक्षा का हब नहीं बन सका।

यहाँ के लोगों का कहना है कि विगत दस सालों में इसकी तस्वीर ही कुछ उल्टी सी हो गई है। जिस क्लास रूम में छात्रों के सामने शिक्षकों का लेक्चर होना चाहिए था वहाँ बड़े बड़े झार पात उग गये हैं । उसी झाड़ पात के आड़ में क्लास रुम को जुआरियों और असामाजिक तत्वों ने अपना सुरक्षित अड्डा बना लिया है। यहाँ के अभिभावकों और स्थानीय लोगों का कहना है जिस काॅलेज कैम्पस में छात्र – छात्राओं की चहल-पहल, खेल -कूद आदि देखने को मिलते थे, वहीं अब सन्नाटा पसरा रहता है। दिनभर मवेशियों का चारागाह और असामाजिक तत्वों का जमावाड़ा लगा रहता है। काॅलेज के पास करोड़ों की अचल संपत्ति है, फिर भी यहाँ का भवन खंडहर बना हुआ है। काॅलेज की संपत्ति में करीब सौ एकड़ खेती योग्य जमीन पर दबंगों ने कब्ज़ा जमा रखा है।यही नही कॉलेज कैम्पस में दबंगों ने करीब बीस साल पूर्व स्थायी रुप से घर भी बना लिया है,जिसे आज तक प्रशासन खाली नहीं करा पाया हैं। इतना सब होने के बाबजूद भी कॉलेज प्रशासन से लेकर पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बनी हुई है । अभिभावकों का कहना है कि काॅलेज में अध्ययनरत छात्रों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है।

काॅलेज का गौरवमयी इतिहास

एच एस काॅलेज अनुमंडल क्षेत्र का एक मात्र अंगीभूत कॉलेज है, जो 60 साल पुराना है। कॉलेज की स्थापना वर्ष 1956 में हुई। तब से लेकर आज तक कॉलेज उपेक्षा का दंश झेल रहा है। जबकि काॅलेज के पास एक सौ एक एकड़ की अकूत संपत्ति मौजूद है। इस कॉलेज पर अब तक किसी भी सरकार की नज़र नहीं पड़ी है। इस कॉलेज में सिर्फ कला संकाय की पढ़ाई होई है। कला में जिस विषय की पढ़ाई की व्यवस्था है, उसमें हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी राजनीतिक विज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र, दर्षन शास्त्र शामिल है। जबकि मैथली विषय में संबंधन प्राप्त नहीं हैं, फिर भी इस विषय की पढ़ाई होती है। अभिभावकों ने बताया कि 1956 से लेकर 1980-85 तक कॉलेज सुदृढ़ रूप से संचालित हुआ। यह काल काॅलेज का स्वर्णिम काल बताया गया। काॅलेज का शैक्षणिक माहौल अपने चरम पर था। इस काॅलेज के छात्र आज देश के विभिन्न कोने में अच्छे अच्छे पदों पर रहकर देश की सेवा कर रहें है। उसके बाद कॉलेज का माहौल बिगड़ता चला गया। कॉलेज की जमीन पर अबैध कब्ज़ा का दौर शुरु हुआ। कॉलज में छात्रों को बैठने लिए न ही भवन है और न ही बैंच डेस्क । काॅलेज में दीवार तो खड़ी है लेकिन छत नही है।

खैर जो भी हो आज यहां के लोग एक अच्छे कॉलेज के लिए लालायित हैं। छात्रों , अभिभावकों और ग्रामीण सरकार और प्रशासन से एक अदद भवन व विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वर्षों से आग्रह कर रहा है। कई बार इसके लिए आन्दोलन भी किया गया। लेकिन सब बेकार रहा।टूटा-फूटा और छत विहिन यह काॅलेज किसी खंडहर से कम नहीं। जिस कॉलेज के बारे में बात करके लोगों को गर्व महसूस होता था, अब उसी कॉलेज के बारे में चर्चा करते लोगों को शर्म आता है।
प्राचार्य बी एन विवेका ने बताया कि भवन की जर्जर हालत के चलते महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को कमरे से बाहर पढ़ाया जाता है विद्यालय के कमरे के लिए हमने मुखिया से लेकर सांसद तक गुहार लगाया है लेकिन किसी ने भी महाविद्यालय के विकास की तरफ तवज्जो नहीं दी। महाविद्यालय उदाकिशुनगंज मैं सिर्फ आर्ट्स संकाय की पढ़ाई होती है। आर्ट्स संकाय में हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, इतिहास, दर्शन शास्त्र, अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र की पढ़ाई होती है।

महाविद्यालय में प्राचार्य बीएन विवेका अंग्रेजी, प्रोफेसर बप्पा अधिकारी अंग्रेजी, सिंघेश्वर प्रसाद सिंह हिन्दी, डॉ रणधीर प्रसाद सिंह दर्शन शास्त्र, अजय कुमार अर्थशास्त्र, कुल 5 प्रोफेसरों के द्वारा पढ़ाई जाती है। इतिहास और उर्दू की प्रोफेसर महाविद्यालय में मौजूद नहीं है। इनमें प्राचार्य बीएन विवेका और प्रोफेसर सिंहेश्वर प्रसाद सिंह 3 दिन सोमवार, मंगलवार और बुधवार को उदाकिशुनगंज महाविद्यालय में रहते हैं और 3 दिन गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को पीजी विभाग में विश्व विद्यालय में कार्यरत रहते हैं। बाकी बचे तीन प्रोफ़ेसर पर्यवीक्षाधीन अवधि में है। महाविद्यालय में कुल नामांकित लगभग 2000 छात्र-छात्राएं हैं।


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