मधेपुरा : नीतीश सरकार का, पहले से बेहतर कोशी बनाने का दावा टांय- टांय फिस, जानवर से बदतर जिंदगी जीने पर मजबूर है आम अवाम

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प्रिंस कुमार मिठ्ठू
संवाददाता
बिहारीगंज, मधेपुरा

उदाकिशुनगंज: बीड़ीरणपाल- बिहारीगंज -पुरैनी सड़क बना जानलेवा – अधिकारियों ने भी झाडा पल्ला

2008 में आई भीषण प्रलयंकारी बाढ़ से पुल और पुल से सटी करीब 200 मीटर सड़क बह गयी

आस-पास के लगभग 50 हजार लोग है प्रभावित, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश व्याप्त 

उदाकिशुनगंज/ मधेपुरा /बिहार : उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय से बीड़ीरणपाल जाने वाली सड़क पर वार्ड नम्बर एक के मठ टोला के करीब बना पुल पुरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। सड़क की स्थिति जानलेवा बनी हुई है । बावजूद इसके एक तरफ अधिकारीगण इसके जीर्णोद्धार कराने के बजाय जिम्मेदारियों से पल्ला झाड रहे हैं तो दूसरी तरफ स्थानीय जनप्रतिनिधि इसे नजर अंदाज कर रहे हैं ।

“द रिपब्लिकन टाइम्स” के कैमरे सामने अपनी आपबीती सुनाते स्थानीय ग्रामीण

ज्ञातव्य है कि 2008 में आई भीषण प्रलयंकारी बाढ़ से पुल और पुल से सटी करीब 200 मीटर सड़क बह गयी थी । जिसे ग्रामीणों ने आपस में चंदा और श्रम दान देकर किसी तरह सड़क को चलने लायक बनाया है। एक तरफ तो पुल बिल्कुल टूट कर धस भी चुकी है। यह टूटा हुआ पूल आने जाने वाले राहगीरों और छोटे बड़े वाहनों के लिए जोखिम भरा और जानलेवा है। कभी भी इस पुल पर बड़ी दुर्घटना घट सकती है। रास्ते का दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर इस पुल से गुजरते हैं। बावजूद इसके विभाग लापरवाह बना हुआ है ।ना तो किसी प्रशासनिक पदाधिकारी की नजर इस पर जाती है ना हीं किसी बड़े जनप्रतिनिधियों की।

देखें वीडयो :-

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सनद रहे कि इस क्षेत्र के करीब 50 हजारों लोगों के लिए उदाकिशुनगंज मुख्यालय आने-जाने का मात्र सहारा यही सड़क है। साथ ही उदाकिशुनगंज ,पकरिया, महेसुवा, लक्ष्मीपुर बीड़ीरणपाल, आदि बहुत सारे पंचायतों का पूर्णिया जाने का एकमात्र लाइफ लाइन भी है। इतनी महत्वपूर्ण सड़क विगत दस वर्षों से अपने उद्धारक का बाट जोह रहा है ।

जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर जनता मालिक

क्या कहते हैं ग्रामीण

वहाँ के ग्रामीणों ने बताया कि क्षतिग्रस्त पुल और सड़क के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर हम लोगों ने कई बार स्थानीय विधायक निरंजन मेहता से लेकर सांसद पप्पू यादव को इसी सड़क पर घेराव भी किया, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ हाथ नहीं लगा । लगभग दस वर्ष से क्षतिग्रस्त पुल और सड़क पर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। पुल की हालत इतनी खराब है कि कभी भी बड़ी घटनाएं घट सकती है। इस जर्जर पुल से होकर भाड़ी गाड़ियों का आवागमन ना हो इसके लिए प्रशासनिक स्तर से कोई पहल भी नहीं की गई है। अगर समय रहते पुल और सड़क को नहीं बनाया जाता है तो लगभग 50 हजार लोगों का अनुमंडल मुख्यालय से संपर्क भंग हो जाएगा और आवागमन पूरी तरह ठप हो जाएगा ।

“द रिपब्लिकन टाइम्स” कैमरे के सामने पांचवी कक्षा की छात्रा निशा कुमारी ने बाताया कि पुल टूट जाने से हम लोगों को विद्यालय जाने में काफी परेशानी होती है, कभी-कभी तो पानी में गिर जाने से किताब और बस्ता सभी भींग जाते हैं और हम लोग जख्मी भी हो जाते हैं। बहुत दिक्कत है विद्यालय जाने में। दिनेश मंडल, चन्दन कुमार ने बताया कि इस रास्ते से सफ़र करने पर खुद असुरक्षित महसूस करते हैं, साल 2008 से ही यही हाल है कोई देखने वाला नहीं है। मोइन अंसारी ने बताया कि स्थानीय विधायक और सांसद आज तक सिर्फ आश्वासन ही देते हैं आ रहे हैं। पुल नहीं बनने से बरसात के दिनों में तो यह रास्ता काफी खतरनाक रूप इख्तियार कर लेता है, कई लोग दुर्घटना के शिकार होकर घायल हो जाते हैं। पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि स्थानीय विधयाक निरंजन मेहता से जब इस पुल को बनवाने को कहा गया तो वह बोले कि पटना जायेंगे तो इस पुल को बनवाने की कोशिश करूंगा, उसके बाद वह लौट कर देखने भी नहीं आये वही  एक बार सांसद पप्पू यादव भी इधर आये वह भी पुल बनवाने का आश्वासन देकर गए तो लौट के दुबारा नहीं आये। बरसात में जब नदी का पानी इस रास्ते पर पानी काफी मात्र में आ जाता है तो यहाँ के स्थानीय लोग आपस में चंदा कर बोरा में मिटटी भर कर रास्ता बनाते। स्थानीय महिला उमा देवी ने स्थानीय जनप्रतिनिधि पर अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि सभी सिर्फ अपनी बहु-बेटी का ख्याल है बांकी हम गरीब की बहु-बेटी डूबकर सफर करने पर मजबूर है । स्थानीय बुजुर्ग और पुराने जदयू समर्थक, कमलेश्वरी प्रासाद साह  भी जनप्रतिनिधि के इस सौतेलापन रवैये पर अफ़सोस जाहिर कर बताया कि वर्ष 2008 से आज तक सभी ने सिर्फ-सिर्फ आश्वासन दिया बांकी समस्या जस का तस है। उन्होंने बताया कि इस पुल के नहीं बनने से आस-पास के लगभग 50 हजार आबादी प्रभावित है, जिसका मात्र यही एक मुख्य रास्ता है। बावजूद इसके परेशानहाल कोई नहीं है।
वहीँ स्थानीय ग्रामीण भवेश कुमार, संदीप कुमार, विनय कुमार, हरिबल्लभ यादव, कपिलदेव शर्मा, जयकांत यादव, अभय कुमार, धर्मवीर, धीरेन्द्र, सुदिश यादव एवं बबलु यादव ने भी  ‘द रिपब्लिकन टाइम्स’ को बताया कि वर्षों से इस ध्वस्त पुल और जर्जर सड़क पर जान जोखिम में डालकर चलने का दंश झेल रहे हैं। हमलोगों ने हाल ही में पंचायत के मुखिया और समिति का घेराव किया पर उन लोगों ने दूसरे विभाग का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। स्थानीय विधायक और सांसद का आश्वासन भी महज जुमला ही साबित हुआ । लिहाजा विकल्पहीन यहां के लोग इस खतरनाक पुल पर आने- जाने को मजबूर हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

उदाकिशुनगंज के एसडीएम एसजेड हसन ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाडते हुए बताया कि यह सड़क आर डब्ल्यू डी विभाग का है। यह काम वहीं से होगा इसमें हम कुछ नहीं कर सकते है।

समाचार सहयोगी : प्रेमजीत कुशवाहा, राकेश रंजन 


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