दरभंगा : राष्ट्रीय पोषण मिशन के समन्वय समिति की हुई बैठक, जाले सीडीपीओ से हुआ स्पष्टीकरण

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ज़ाहिद  अनवर (राजु)
उप संपादक

दरभंगा/बिहार : आज जिलाधिकारी डॉ.चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में समाहरणालय स्थित बाबा साहेब अम्बेदकर सभागार में राष्ट्रीय पोषण मिशन अन्तर्गत जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक आयोजित की गई। सर्वप्रथम जिला प्रोग्राम पदाधिकारी।

अलका अम्रपाली द्वारा बताया गया कि 08 मार्च 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस मिशन की शुरूआत की गई। सितम्बर 2018 में पोषण माह का आयोजन किया गया तथा नुक्कड़ नाटक के जरिए भी इस अभियान का प्रचार-प्रसार किया गया। इस मिशन का मुख्य उद्धेश्य बच्चों में कुपोषण तथा अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार की सभी पोषण तथा स्वच्छता संबंधी अभियान में समन्वय स्थापित करना है। इसके लिए बच्चों में बौनेपन तथा अल्प वजन की वर्तमान स्थिति में 2% की दर से वार्षिक गिरावट तथा एनीमिया में 3% की दर से वार्षिक गिरावट आवश्यक है। उनके द्वारा जानकारी दी गई कि आंगनवाड़ी सेविकाओं का गृह भ्रमण वर्तमान में मात्र 3% है। इसे जिलाधिकारी ने आदर्श स्थिति के आधार पर बढ़ाकर 70 तक हासिल करने का निदेश दिया।

जिलाधिकारी डॉ. सिंह ने इस मिशन के दौरान जनप्रतिनिधियों द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों के अनुश्रवण हेतु दिये गए प्रपत्र में चेक लिस्ट के नहीं प्राप्त होने पर खेद व्यक्त किया तथा बेनीपुर विधान सभा क्षेत्र (पायलट योजना के अधीन) की परियोजना पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि एक सप्ताह के भीतर जनप्रतिनिधियों से समन्वय स्थापित कर आंगनवाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण प्रतिवेदन प्राप्त करेंगे। जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक गांव मे महीने में एक दिन नवजात बच्चों एवं छोटे बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार हेतु ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस आयोजित करना सुनिश्चित करेंगे।

इसमें एएनएम, आशा तथा आँगनवाड़ी सेविकाएँ भाग लेंगी। समीक्षा के दौरान उन्होंने निदेश दिया कि नियमित रूप से ब्लॉक रिसोर्स ग्रुप (बीआरजी) की बैठक सुनिश्चित करें। आंगनवाड़ी तथा स्वास्थ्य केन्द्रों की गतिविधियों को पोर्टल पर अपलोड करना सुनिश्चित करेंगे। सभी परियोजनाओं को उन्होंने 150 से 500 गतिविधियों को इस सप्ताह में पोर्टल पर अपलोड करने का निदेश दिया। स्वास्थ्य विभाग को 4000 तथा जीविका को 800 गतिविधियों को पोर्टल पर अपलोड करने का लक्ष्य दिया। केयर इण्डिया की प्रतिनिधि श्रद्धा द्वारा कमजोर नवजात बच्चों के पहचान की प्रतिशत स्थिति जिले में बहुत कम बताई गई।

जिलाधिकारी के निर्देश पर उनके द्वारा बताया गया कि कमजोर नवजात बच्चों की पहचान यह है कि जन्म के समय उनका वजन 02 किलो से कम, समय से पूर्व जन्म अथवा जन्म के समय बच्चे को स्तनपान में समस्या हो। ऐसे बच्चों के पहचान का प्रतिशत कम से कम 10 होना चाहिए, जबकि जिले में यह प्रतिशत 5 है। इसकी समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी द्वारा आंगनवाड़ी सेविकाओं को निदेशित करते हुए अपनी गतिविधियां बढ़ाकर इस लक्ष्य को प्राप्त करने का निदेश दिया। जाले की बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को बैठक में नहीं आने पर स्पष्टीकरण पूछते हुए वेतन रोकने का निदेश दिया।


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