मधेपुरा : सेविकाओं व सहायिकाओं ने अपनी मांगों के समर्थन में किया सड़क जाम व प्रदर्शन, मांगे पूरी होने तक जारी रहेगी हड़ताल

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15 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं राज्य की सेविकाएं एवं सहायिकाएं 

आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने बुधवार को किया सड़क जाम एवं प्रदर्शन, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, बिहारीगंज को सौंपा स्मारपत्र

प्रिंस कुमार मिठ्ठू
संवाददाता
बिहारीगंज, मधेपुरा

बिहारीगंज/मधेपुरा/बिहार : अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गई प्रखंड की आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं ने चरणबद्ध आंदोलन के तहत बुधवार को सेविकाओं एवं सहायिकाओं ने प्रखंड कार्यालय बिहारीगंज गेट के सामने प्रदर्शन किया एवं सड़क जाम कर यातायात बाधित किया। अपनी मांगों के समर्थन में सेविकाओं सहायिकाओं ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को स्मार पत्र भी सौंपा।

मालूम हो कि 5 दिसंबर से ही सेविकाएं एवं सहायिकाएं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गयी हुई हैं। इसी कड़ी में 17 दिसम्बर को प्रखण्ड मुख्यालय बिहारीगंज एवं 20 दिसंबर को अनुमंडल कार्यालय उदाकिशुनगंज के समक्ष विशाल धरना प्रदर्शन भी किया गया था। बिहार राज्य संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में अयोजित प्रदर्शन एवं चक्का जाम में प्रखंड की सभी सेविकाओं एवं सहायिकाओं ने भाग लिया।

वक्ताओं ने संबोधित  करते हुए कहा कि सरकार सेविका और सहायिका के साथ उपेक्षापूर्ण नीति अपना रही है जिससे आंगनबाड़ी कर्मचारियों में रोष है। निम्न मानदेय पर रखकर मनमाने ढंग से अधिक काम लिया जाता है जिसे हमलोग बर्दाश्त नहीं कर सकते। सरकार जबतक 15 सूत्री मांगों पर विचार नही करती तबतक हड़ताल जारी रहेगा।

मौके पर बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन बिहारीगंज की प्रखण्ड अध्यक्षा गीता कुमारी, सचिव विनीता झा, संगीता कुमारी, हेमा कुमारी, प्रभा कुमारी, नेहा कुमारी, वंदना, सुनीता, नाजो खातून, कामो देवी, नीतू कुमारी समेत सैंकड़ो सेविकाएं व सहायिकाएं मौजूद थीं।

 मुख्य मांगें 

(1) सेविकाओं एवं सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाय।

(2) सेविकाओं को 18000 रुपया एवं सहायिकाओं को 12000 रुपया प्रतिमाह मानदेय राशि दिया जाय।

(3)  नियमानुसार पदोन्नति का लाभ मिले, सेवानिवृत्ति के पश्चात 5000 मासिक पेंशन, एकमुश्त सहायता राशि सुनिश्चित किया जाय एवं बीमा का लाभ दिया जाए।

(4) आंगनबाड़ी का निजीकरण नहीं किया जाय।

(5) चार घण्टे से अधिक काम करने पर मजबूर न किया जाय।


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