बीएनएमयू संवाद’ का लोकार्पन, विश्वविद्यालय के विकास में मीडिया की महती भूमिका
मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू संवाद विश्वविद्यालय का आईना बनेगा। इसमें सभी की समुचित भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। सभी शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के लिए यथायोग्य स्थान निर्धारित किया जाएगा।
यह बात बीएनएमयू संवाद के प्रधान संरक्षक सह कुलपति प्रो डा अवध किशोर राय ने कही। वे शनिवार को केन्द्रीय पुस्तकालय में आयोजित ‘बीएनएमयू संवाद’ प्रवेशांक के लोकार्पण समारोह में लोकार्पणकर्ता सह मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
कुलपति ने कहा कि ‘बीएनएमयू संवाद’ त्रैमासिक पत्रिका है। यह पत्रिका प्रत्येक तीन माह पर नियमित रूप से प्रकाशित होगी। इसका अगला अंक अप्रैल में प्रकाशित होगा। आगामी अंकों में विभिन्न महाविद्यालय की विशेषताओं एवं कार्य-योजनाओं को भी स्थान दिया जाएगा। साथ ही इसमें विश्वविद्यालय की आगामी योजनाएं, कार्यक्रम एवं परीक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण तिथियां भी प्रकाशित की जाएगी। इसमें सामग्रियां भेजने और इसकी सदस्यता हेतु विश्वविद्यालय के सभी कार्यालयों, सभी स्नातकोत्तर विभागों, सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों को पत्र लिखा गया है। कई विभागों एवं महाविद्यालयों से सदस्यता सहयोग राशि प्राप्त भी हो चुकी है। सहयोग राशि ‘बीएनएमयू संवाद’ के एकाउंट में जमा किया जाएगा।
– बीएनएमयू को मिले राष्ट्रीय पहचान–
कुलपति ने कहा कि उनका एक मात्र सपना है कि बीएनएमयू को राष्ट्रीय पहचान दिलाई जाए, वे यही संवाद लेकर यहां आए हैं और इसी को पूरा करने में लगे हैं। उन्हें विश्वास है कि वे इस संवाद को जन-जन तक पहुंचाने में कामयाब होंगे। विश्वविद्यालय की प्रगति हो रही है और यह निरंतर जारी रहेगी। इसमें कोई संदेह नहीं है। कुलपति ने कहा कि बीएनएमयू संवाद आम जनता का संवाद है। यह विश्वविद्यालय और आम जनता के बीच एक सेतु का काम करेगा। इसके माध्यम से विश्वविद्यालय का संवाद जन- जन तक पहुंचेगा। इसकी प्रति देश के सभी प्रमुख पुस्तकालयों में भेजी जाएगी।
कुलपति ने कहा कि वे किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित या दंडित करने में विश्वास नहीं करते हैं। उनका विश्वास व्यक्ति के वैचारिक परिवर्तन एवं हृदय-परिवर्तन में है। संवाद भी उसी का एक जरिया है। इसके माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान होगा। उन्होंने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और समाज का आइना है। यह आम जनता की आवाज है और विश्वविद्यालय के विकास में भी इसकी महती भूमिका है।
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की सूचनाओं एवं गतिविधियों को आम लोगों तक पहुंचाने में मीडिया की महती भूमिका है। यहां की खबरें प्रमुखता से मीडिया में प्रकाशित एवं प्रसारित होते रही है। विशेषकर दीक्षांत समारोह को मीडिया ने अपेक्षा से अधिक कवरेज दिया। हमने ‘बीएनएमयू संवाद’ में मीडिया कवरेज को भी स्थान दिया है।
पत्रिका में चित्रों के प्रकाशन को मिलेगी प्राथमिकता
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रति कुलपति प्रो डा फारूक अली ने कहा कि बीएनएमयू संवाद एकतरफा संवाद नहीं है, इसमें सभी दिशाओं से विचारों का स्वागत है। इसमें सबों की भागीदारी एवं हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाएगी, साथ ही समाज के सभी वर्गों से फीडबैक लिया जाएगा। उन्होंने पत्रिका में चित्रों का प्रकाशन जारी रखने पर बल दिया और बताया कि एक चित्र एक हजार शब्दों के बराबर होते हैं। उन्होंने पत्रिका को स्थायित्व देने पर बल दिया और इसके कार्यालय को सुव्यवस्थित करने की जरूरत बताई।
संचालन करते हुए संपादक सह पीआरओ डा सुधांशु शेखर ने बताया कि ‘बीएनएमयू संवाद’ का प्रवेशांक दीक्षांत समारोह विशेषांक है। इसमें राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन का अध्यक्षीय अभिभाषण और कुलपति डा अवध किशोर राय का स्वागत भाषण सह प्रगति प्रतिवेदन विशेष रूप से प्रकाशित किया गया है। साथ ही इसमें दीक्षांत समारोह से संबंधित अखबारों की कटिंग और फोटोग्राफ को भी स्थान दिया गया है।
डा सुधांशु शेखर ने कहा कि सभी मीडियाकर्मियों के सक्रिय सहयोग के कारण ही वे सीमित संसाधनों के बावजूद अपना कार्य कर पा रहे हैं। उन्हें मीडियाकर्मियों का हमेशा सकारात्मक सहयोग प्राप्त होता है। इस अवसर पर विभिन्न शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने बीएनएमयू संवाद के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कई सुझाव दिए। सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डा शिवमुनि यादव ने किया।
उन्होंने कहा कि ‘बीएनएमयू संवाद’ के माध्यम से हमारा विश्वविद्यालय देश के रंगमंच पर प्रकाशित होगा। सिनेट सदस्य डा नरेश कुमार ने आशा व्यक्त की कि बीएनएमयू संवाद विश्वविद्यालय की आवाज बनेगी। सिंडीकेट सदस्य डा जवाहर पासवान ने कहा कि बीएनएमयू संवाद के माध्यम से विश्वविद्यालय में एक नया अध्याय जुड़ा है।
इस अवसर पर संजय परमार, मनीष कुमार, अमित कुमार अंशु, दिलखुश, तुरबसु शचीन्द्र, मो मोती, दीपक कुमार, रमण कुमार, मुरारी सिंह, शाश्वत परमार, राजीव सिंह, डेविड यादव, मनीष आदि को सम्मानित किया गया।
मानविकी संकायाध्यक्ष डा ज्ञानंजय द्विवेदी ने कहा कि यह पत्रिका इतिहास को संरक्षित करने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है. यह आने वाली पीढ़ी के लिए भी काफी उपयोगी होगी। वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ. लंबोदर झा ने कहा कि बीएनएमयू संवाद के माध्यम से कुलपति के विकास कार्यों में एक नई कड़ी जुड़ गई है। विभिन्न छात्र नेताओं ने परीक्षा से संबंधित जानकारियों को प्रकाशित करने, महाविद्यालय की भी जानकारी प्रकाशित करने और समय-समय पर विशेषांक प्रकाशित करने का सुझाव दिया। कुलपति ने इन सुझावों का स्वागत किया।
इस अवसर पर शिक्षा संकायाध्यक्ष डा राणा जयराम सिंह, डा अमोल राय, डा कृपाशंकर ओझा, डा रामचंद्र प्रसाद मंडल, डा ललन प्रसाद अद्री, डा सीताराम शर्मा, डा सुनील चंद्र मिश्र, डा बीएन विवेका, डा एमआई रहमान, डा उदय कृष्ण, डा संजय कुमार मिश्र, डा सिद्धेश्वर काश्यप, डा मो अबुल फजल, डा शंकर कुमार मिश्र, शंभु नारायण यादव, राहुल यादव, रंजन यादव, सारंग तनय, माधव कुमार, दिलीप कुमार दिल, निशांत यादव, मुन्ना कुमार आदि उपस्थित थे।