सुपौल/बिहार : समाज में हो रहे मृत्युभोज और फिजूलखर्ची पर रोक लगाने को लेकर प्रभु यीशु मसीह जन्मोत्सव के अवसर परउच्च विद्यालय, बारा में बैठक सह संकल्प सभा का आयोजन किया गया ।
मौके परलोहिया यूथ ब्रिगेड के प्रदेश संयोजक डॉ अमन कुमार ने कहा किसमाज में बड़े बदलाव की जरुरत है, इस बदलाव के लिए गरीब में हिम्मत नहीं है। मध्यम परिवार में फुर्सत का घोर अभाव है और अमीर को इसकी जरुरत नहीं है, जिसके कारण सामाजिक कुरीति और आनावश्यक रीतिरिवाज व कुव्यवस्था पर विराम नहीं लग पा रहा है। अपने को अमीर, प्रतिष्ठित साबित करने के साथ-साथ झूठी प्रशंसा सुनने के लिए साधारण व्यक्ति भी कर्ज लेकर किसी भी अवसर पर क्षमता से अधिक खर्च करता है, फिजूलखर्ची द्वारा धनी बनने का ढोंग कहीं से भी औचित्य नहीं है, मृत्युभोज और फिजूलखर्ची पर समाज को रोक लगाना चाहिए।
डॉ. कुमार ने कहा कि पैसे का वास्तविक उपयोग शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आत्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ समाज के अंतिम व्यक्ति के विकास में करना चाहिए, मनुष्य को सादा जीवन उच्च विचार के मार्ग को अपनाकर फिजूलखर्ची पर विराम लगाना चाहिए। कहा किअनुशासन पर्व में लिखा है की मृत्यु भोज खाने वाले की उर्जा नष्ट हो जाती है, यह भारतीय संस्कृति व सभ्यता के खिलाफ है! भोज की जगह जनहित का कार्य करें।
उन्होंने कहा कि भोज समाज के चंद चालक लोगों के दिमाग की उपज है,भगवान श्री कृष्ण,मर्यादा पुरषोतम राम, श्री-श्री आनंदमूर्ति, डॉ. राम मनोहर लोहिया, स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद सरस्वती, पंडित श्री राम शर्मा आदि भी मृत्यु भोज के खिलाफ थे। जानवर भी अपने साथी के बिछुड़ जाने पर उस दिन चारा नहीं खाता है, लेकिन श्रेष्ठ मानव अपने साथी, सगे-संबंधी के मृत्यु पर विभिन्न प्रकार के पकवान व व्यंजन खाकर शोक मनाने का ढोंग रचता है, इससे शर्मनाक बात क्या हो सकती है।
कहा कि किसी भी धर्म ग्रंथ में मृत्यु भोज का विधान नहीं है,हिन्दू धर्म में मुख्य 16 संस्कार बनाए गए है, जिसमें प्रथम संस्कार गर्भाधान एवं 16 वां अंत्येष्टी हैं तो 17 वां संस्कार “तेरहवी का भोज” कहाँ से आ गया।
संकल्प सभा में बद्री यादव, मनोज यादव, कामेश्वर तांती, त्रिवेणी पासवान, पप्पू कुमार, बैद्यनाथ यादव, राजेन्द्र प्रसाद यादव, डोमी यादव, भूपेन्द्र यादव, शिवजी यादव, योगी यादव, बिपिन यादव, गुदान यादव, भिसिलाल यादव,सुरेन्द्र एफव, नारायण यादव आदि शामिल थे।