मधेपुरा/बिहार : हम अपनी प्राचीन भारतीय सभ्यता-संस्कृति में निहित नैतिक दर्शन को प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक हर स्तर के पाठ्यक्रमों में अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करें। ज्ञान-विज्ञान, कला-साहित्य, धर्म-दर्शन एवं इतिहास-संस्कृति की जो विरासत भारत में है, हमारे युवा उस विरासत को संरक्षित एवं संवर्द्धित करें। हम अपना ऐसा राष्ट्रीय चरित्र बनाएँ, जो न केवल भारत की एकता एवं अखंडता को अक्षुण्ण रखे, बल्कि वैश्विक संतुलन एवं शांति का मार्ग भी प्रशस्त होगा। यह बात राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन ने कही। वे रविवार को बीएनएमयू, मधेपुरा के द्वितीय दीक्षांत समारोह में अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे।
ऋषि श्रृंगी एवं मुनि गौतम की तपोभूमि का वंदन
कुलाधिपति ने इस महत्त्वपूर्ण सुअवसर पर उपस्थित होने के लिए सबको साधुवाद और इस समारोह के सफल आयोजन हेतु भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय-परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि उनके लिए मधेपुरा की यह यात्रा एक शैक्षणिक यात्रा के साथ-साथ, सांस्कृतिक यात्रा भी है। वे यहाँ देवाधिदेव महादेव और पूर्णावतार श्रीकृष्ण की इस धरती को नमन करने आए हैं। ऋषि श्रृंगी एवं मुनि गौतम की तपोभूमि का वंदन करने और माँ उग्रतारा एवं माता चण्डी का आशीर्वाद प्राप्त करने आए हैं। महान विद्वान पंडित मंडन मिश्र, विदूषी भारती एवं भूपेन्द्र नारायण मंडल को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने आए हैं।
ज्ञान कुआँ या तालाब का ठहरा हुआ जल नहीं
कुलाधिपति ने कहा कि भारतीय वाङ्गमय में हजारों वर्ष पूर्व ‘तैत्तिरीय उपनिषद्’ में ‘दीक्षांत समारोह’ का उल्लेख मिलता है। वहाँ इस अवसर पर गुरू शिष्य को दीक्षा देते हैं- ‘‘सत्य बोलो, कर्तव्य का पालन करो और स्वाध्याय में आलस्य नहीं करो, ‘‘सत्यं वद्, धर्मम् चर, स्वाध्यायान्मा प्रमदः।’’ इस ‘दीक्षा’ में संपूर्ण शिक्षा का सार निहित है। इसलिए यह दीक्षा आज भी प्रासंगिक है और आगे भी युगों-युगों तक प्रासंगिक रहेगी। यहाँ सत्य बोलने में ही सत्य के अनुरूप आचरण करने की बात सन्निहित है। साथ ही कर्तव्य के पालन का अर्थ है- अपने-अपने दायित्यों का सम्यक् निर्वहन एवं धर्मानुकूल आचरण। इसके अलावा निरंतर अध्ययनशील रहने का आदेश दिया गया है; क्योंकि ज्ञान की ज्योति अनवरत प्रज्ज्वलित होती रहनी चाहिए। ज्ञान कुआँ या तालाब का ठहरा हुआ जल नहीं है, बल्कि यह तो अविरल नदी की कलकल धारा है। यह निर्मल धारा अनवरत प्रवाहित होती रहनी चाहिए। हमारे अंदर ज्ञान की भूख एवं प्यास कभी खत्म नहीं होनी चाहिए। ज्ञान का कमल कभी कुम्हलाए नहीं, इसके लिए हमें निरंतर सजग रहना चाहिए। जाहिर है कि ‘दीक्षांत समारोह’ शिक्षा का अंत नहीं है, बल्कि यह तो एक शुरूआत है। यह शिक्षा-दीक्षा को समेटने का दिन नहीं है, बल्कि यह तो उसे विस्तृत करने एवं बाँटने का सुअवसर है।
शिक्षा ही हमें असत्य से सत्य की ओर ले जाती है
कुलाधिपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति में शिक्षा को पवित्रतम प्रक्रिया माना गया है। शिक्षा ही हमें असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमृत तत्व की ओर ले जाती है। शिक्षा मात्र अक्षर-ज्ञान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें हमारा समग्र जीवन समाहित है। शिक्षा के माध्यम से ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है। सच्ची शिक्षा हमें मात्र बौद्धिक या मानसिक रूप से ही सक्षम नहीं बनाती है, बल्कि वह हमें शारीरिक कौशल एवं आत्मिक या आध्यात्मिक संबल भी प्रदान करती है। इस तरह किसी भी व्यक्ति एवं समाज के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा-व्यवस्था का समुचित विकास आवश्यक है। शिक्षा न केवल हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारे समाज एवं राष्ट्र के समग्र उन्नयन के लिए भी अनिवार्य है। जिस देश में शिक्षा की व्यवस्था जितनी व्यापक और समाहारी होती है, राष्ट्र-जीवन उतना ही सबल और समृद्ध होता है। अतः राष्ट्र की परंपराओं एवं देश-काल एवं परिस्थितियों की आवश्यकताओं के अनुरूप ज्ञान की समुचित प्रविधि विकसित करना बेहद जरूरी है। इसके लिए अध्ययन-अध्यापन, चिंतन-मनन, अनुसंधान एवं प्रयोग हेतु व्यक्तिगत एवं संस्थागत प्रयास करने होते हैं। विश्वविद्यालय इसी उद्देश्य से निर्मित हुए हैं। आज हमें वैश्विक स्पर्धा के युग में अपने अस्तित्व को बचाए रखने और दुनिया की अग्रणी पंक्ति में खड़े होने के लिए विश्वविद्यालयों को समुन्नत बनाना है। इसके लिए आवश्यक है कि हमारे शिक्षक एवं शिक्षार्थी अधुनातन ज्ञान-विज्ञान में महारथ हासिल करें और कर्तव्यनिष्ठा, संकल्प-शक्ति एवं दायित्वबोध के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहें- चलते रहें, चलते रहें।
देश की जरूरत पड़ बिहार ने दिखाई है नई राह
कुलाधिपति ने कहा कि भारतीय जीवन-मूल्यों एवं सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण एवं संवर्द्धन में बिहार का अमूल्य योगदान रहा है। इसी धरती से भगवान महावीर एवं गौतम बुद्ध ने दुनिया को अहिंसा एवं करूणा की शिक्षा दी। यहीं गुरू गोबिन्द सिंह एवं बाबू वीर कुँवर सिंह ने वीरता का नया इतिहास लिखा। इसी धरती ने मोहनदास को ‘महात्मा’ गाँधी बनाया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ को पैदा किया। जब भी देश को जरूरत पड़ी है, बिहार ने नई राह दिखाई है। आज पुनः भारतवर्ष सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है और इसमें भी बिहार को अग्रणी भूमिका निभानी है। बिहार को अपनी प्राचीन शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक विरासत का सादर स्मरण करते हुए राष्ट्र-निर्माण के रथचक्र को आगे ले जाना है।
राष्ट्रीय सभ्यता-संस्कृति का भी ख्याल रखें
कुलाधिपति ने कहा कि बिहार में शिक्षा की अत्यन्त गौरवशाली एवं समृद्ध परम्परा रही है। यहाँ विक्रमशिला और नालन्दा जैसे विश्वविद्यालय थे, जहाँ सम्पूर्ण विश्व से छात्र ज्ञान प्राप्त करने आते थे। बिहार के विश्वविद्यालय अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लें और अपनी परिकल्पना के अनुरूप वैश्विक दृष्टि से काम करें। हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमारे विश्वविद्यालय इस राष्ट्र के साथ-साथ संपूर्ण मानवता के उन्नयन में सहायक बनें। हम दुनिया की सभी दिशाओं से कल्याणकारी विचार आने दें। लेकिन हमें हमेशा राष्ट्रीय सभ्यता-संस्कृति, इतिहास एवं परंपरा का भी ख्याल रखना चाहिए। महात्मा गाँधी ने भी कहा है कि ‘‘मैं नहीं चाहता कि अपने घर के चारो ओर दीवार उठा लूँ या उसकी खिड़कियाँ बंद कर लूँ; बल्कि मैं तो यह चाहता हूं कि हमारे घर में सभी देशों की संस्कृतियों की हवा बेरोक-टोक आवे, लेकिन मैं यह बर्दास्त नहीं कर सकता कि उस हवा के झोंके से मैं खुद ही गिर जाऊँ।’’ अतः हमें वैश्वीकरण के इस युग में पूरी दुनिया के साथ कदम-ताल करते हुए भी अपनी जड़ों से भी जुड़े रहना है। इसके लिए हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में परम्परा एवं आधुनिकता तथा अध्यात्म एवं विज्ञान का समन्वय करना होगा। हमें ज्ञान-विज्ञान, शोध एवं सृजन के नए मुकाम हासिल करने हैं और अपना सामाजिक- सांस्कृतिक, धार्मिक एवं चारित्रिक उन्नयन भी करना है।
विश्वगुरू की प्रतिष्ठा दिलाना युवाओं की जिम्मेदारी
कुलाधिपति ने कहा कि भारत को अग्रणी विश्वशक्ति के रूप में स्थापित करने और इसे पुनः ‘विश्वगुरू’ की प्रतिष्ठा दिलाने की महती जिम्मेदारी वास्तव में युवाओं की ही है। हमारे युवा अपने स्वर्णिम अतीत से प्रेरणा लेते हुए वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करें और भारत के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करें। विद्यार्थी ही देश के भविष्य हैं। विद्यार्थियों से यह अपेक्षा है कि वे जिस किसी भी क्षेत्र में जाएँ, वहाँ अपनी प्रतिभा को राष्ट्रीय उत्थान में लगाएँ। राष्ट्र के सभी व्यक्तियों का विकास हो और ज्ञान की ज्योति समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे। यही महात्मा गाँधी के ‘सर्वोदय-दर्शन’ की कामना है और यही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद’ एवं ‘अंत्योदय’ की भी भावना है।
ज्ञान-अमृत का कलश हर व्यक्ति तक पहुँचाना है
कुलाधिपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का सूक्त वाक्य- ‘कृण्वन्तो विश्मार्यम्’ अर्थात् ‘विश्व को महान बनाओ’ पूर्णतः चरितार्थ हो। दीक्षांत समारोह में आपके जीवन का एक सोपान पूर्ण हुआ। यहाँ से क्रमशः आगे ही बढ़ते जाना है। अपने ज्ञान को राष्ट्र-निर्माण में लगाना है। आज आप सबों को जिस अमृतत्व की प्राप्ति हुई है, उसे पूरी दुनिया में बाँटना है। ज्ञान-अमृत का कलश दुनिया के हर एक व्यक्ति तक पहुँचाना है।
इतनी रूखाई कभी मत देना
अंत में कुलाधिपति ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता ‘ऊँचाई’ की कुछ पंक्तियाँ सुनाई। ‘‘धरती को बौनों की नहीं, ऊँचे कद के इंसानों की जरूरत है, इतने ऊँचे कि आसमान छू लें, नए नक्षत्रों में प्रतिभा के बीज बो लें। किन्तु इतने ऊँचे भी नहीं, कि पाँव तले दूब ही न जमे,
कोई काँटा न चुभे, कोई कली न खिले। न वसन्त हो न पतझड़, हो सिर्फ ऊँचाई का अंधड़, मात्र अकेलेपन का सन्नाटा। मेरे प्रभु! मुझे इतनी उँचाई कभी मत देना, गैरों को गले न लगा सकूँ, इतनी रूखाई कभी मत देना।’’
शिक्षा के क्षेत्र में मधेपुरा का विशिष्ट स्थान रहा
शिक्षा मंत्री कृष्णानंद प्रसाद वर्मा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में मधेपुरा का शुरू से ही विशिष्ट स्थान रहा है। यह समाजवादी नेता भूपेन्द्र बाबू की धरती है। यहाँ के कुलपति अच्छा काम कर रहे हैं और उन्हें कुलपति की क्षमता पर पूरा भरोसा है। कुलपति द्वारा नए कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव सराहनीय है। विश्वविद्यालय के विकास हेतु जो भी सकारात्मक प्रस्ताव देंगे, उन्हें सरकार का पूरा सहयोग मिलेगा। अर्थ की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। किसी भी स्तर पर कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
मात्र एक प्रतिशत ब्याज दर पर ॠण
शिक्षा मंत्री ने कहा कि बिहार में उच्च शिक्षा के विकास में राजभवन एवं राज्य सरकार दोनों मिलकर कार्य कर रही है। एक बेहतर माहौल बना है। बिहार की उपलब्धियों की सर्वत्र चर्चा हो रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि बहुत से विद्यार्थी अर्थ के अभाव में 12वीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाते थे। बिहार सरकार ने उनके लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की है। इससे सभी वर्गों के विद्यार्थियों को लाभ मिल रहा है। इसके तहत लड़कियों को मात्र एक प्रतिशत ब्याज दर पर ॠण दिया जा रहा है। जो विद्यार्थी ऋण का भुगतान नहीं कर पाएंगे, उनका ॠण माफ किया जाएगा।
कुलाधिपति के आने से बीएनएमयू गौरवान्वित
कुलपति डा अवध किशोर राय ने कहा कि कुलाधिपति ने यहाँ आने का आमंत्रण सहर्ष स्वीकार कर हमारी झोली को खुशियों से भर दिया है। हम उन्हें अपने बीच पाकर खुद को गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं और उनकी गरिमामयी उपस्थिति से पूरा माहौल पवित्र हो गया है। हर ओर नवजीवन का संचार हो रहा है और सभी के चेहरे पर अरूणोदय की लालिमा छा गई है। हम भाव विभोर और आनंदित हैं। हमें कबीर की पंक्ति याद आती है, ‘‘लाली मेरे लाल की जित देखों तित लाल। लाली देखन मैं गई मैं भी हो गई लाल।’’
सपना – बीएनएमयू के समग्र विकास का
कुलपति ने कहा कि उन्होंने उम्र के इस दहलीज पर एक सपना देखा है- बीएनएमयू के समग्र विकास का सपना, बीएनएमयू को राष्ट्रीय ख्याति दिलाने का सपना और सपना कि हमारे शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी गर्व से कह सकें कि हम बीएनएमयू के हैं और बीएनएमयू हमारा है। हम उस सपने को साकार करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं और इसमें हमें सफलता भी मिल रही है। कुछ छोटी-मोटी बाधाएँ हैं, लेकिन आप सबों के सहयेाग से हम उन्हें दूर कर लेंगे, ऐसा दृढ़ विश्वास है। विघ्न-बाधाओं से हमारे कदम रूकेंगे नहीं, बल्कि और भी तेजी एवं मजबूती के साथ आगे बढ़ेंगे। जैसा कि श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है, “निंद कहाँ उनकी आँखो में जो धून के मतवाले हैं।गति की तृष्णा और बढ़ती, पद में पड़ते जब छाले हैं।”
नियम-परिनियम के अनुरूप लोकतांत्रिक तरीके से काम
हम सभी काम लोकतांत्रिक ढंग से नियम एवं परिनियमों के अनुरूप करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए सभी काम सम्बन्धित समितियों एवं निकायों की सहमति से किये जा रहे हैं। सीनेट, सिंडिकेट, एकेडमिक काॅउंसिल, परीक्षा-समिति, विकास-समिति, वित्त-समिति, भवन-निर्माण समिति, क्रय-विक्रय समिति आदि की बैठकें नियमित रूप से हो रही हैं। हम सभी समस्याओं का ‘आॅन द स्पाॅट‘ समाधान करने में विश्वास करते हैं। सभी विभागों को तीन दिनों के अन्दर संचिकाओं के निष्पादन हेतु आदेश दिये गये हैं। विश्वविद्यालय में बिहार सरकार की वित्तीय नियमावली के अनुरूप सामग्रियों का क्रय जेम के माध्यम से किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रबंधन तंत्र एन. ए. डी. की व्यवस्था है। यू.एम.आई.एस. के तहत विज्ञापन से लेकर नामांकन और परीक्षा से लेकर उपाधि वितरण और नियुक्ति एवं सेवानिवृति के कार्य सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं।
नैक से मूल्यांकन को प्राथमिकता
हम अपने विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पहचान दिलाने हेतु इसका नैक से मूल्यांकन कराने हेतु प्रतिबद्ध हैं। जल्द ही नैक मूल्यांकन के सम्बन्ध में विश्वविद्यालय स्तर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। हम अपने विश्वविद्यालय क्षेत्रान्तर्गत पड़ने वाले सभी अंगीभूत एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों का भी नैक से मूल्यांकन कराने हेतु प्रयासरत हैं। हमने विगत एक वर्ष 06 महाविद्यालयों को नैक से मान्यता दिलाने में सफलता पाई है। अन्य काॅलेजों में नैक से मल्यांकन की तैयारी चल रही है।
शिक्षकों की प्रोन्नति, कर्मचारियों का स्थायीकरण
शिक्षकों को नियमानुकूल प्रोन्नति का लाभ देने की प्रक्रिया जारी है। विश्वविद्यालय में कार्यरत संविदाकर्मियों को स्थाई किया गया है। शिक्षकेत्तर कर्मियों के लाभार्थ ए.सी.पी. एवं एम.ए.सी.पी. लागू किया जा चुका है।
सेवानिवृत्त कर्मियों का विशेष ध्यान
पेंशन अदालत लगाकर सेवानिवृत्त, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की समस्याओं का ‘आन द स्पाॅट’ समाधान किया गया। सेवानिवृत्त शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के सेवा निवृत्त लाभांश का भुगतान अद्यतन हो चुका है तथा वेतन एरिअर एवं पेंशन एरिअर के भुगतान करने की प्रक्रिया चल रही है। 80 प्रतिशत अवकाश प्राप्त शिक्षकों एवं कर्मचारियों का पीपीओ जारी हो चुका है।
समय का पालन
हम सभी विश्वविद्यालय में अपना सर्वोत्तम योगदान दें।निर्धारित समयावधि का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। इस हेतु लगातार औचक निरीक्षण किए जा रहे है। सभी कार्यालयों, स्नातकोत्तर विभागों एवं महाविद्यालयों में ‘बायोमेट्रिक्स अटेंडेंस सिस्टम‘ की शुरूआत हो चुकी है।
जीवंत अकादमिक माहौल
हम चाहते हैं कि हमारे पूरे विश्वविद्यालय में जीवंत शैक्षणिक वातावरण बने। इसके लिए नियमित रूप से सेमिनार, सम्मेलन, कार्यशाला आदि का आयोजन किया जा रहा है। बी. एस. एस. काॅलेज, सुपौल में ‘बैंबू प्लांट टीसू कल्चर लैब’ का उद्घाटन हुआ। जनवरी 2018 में मनोविज्ञान विभाग में एक अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी तथा निकट भविष्य में केन्द्रीय पुस्तकालय में 30 दिवसीय कार्यशाला होने वाली है और आगे हम वर्ष 2019 में दर्शन परिषद्, बिहार का 42वां वार्षिक अधिवेशन भी आयोजित करने जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों ने बड़ी-बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। कुछ शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को राष्ट्रीय एवं प्रांतीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
नियमित सत्र और कदाचारमुक्त परीक्षा
हम सत्र नियमित करने हेतु भी कृत संकल्पित हैं। पिछले एक वर्ष में कुल 89 परीक्षाएँ आयोजित की गईं, उनमें से 80 का परीक्षाफल प्रकाशित हो चुका है। शेष 09 परीक्षाओं का परीक्षाफल इस माह के अंत तक प्रकाशित कर दिये जाएँगे। इस तरह हम दिसंबर 2018 तक सत्र नियमितिकरण हेतु प्रतिबद्ध हैं। इसी उद्देश्य से परीक्षा कैलेंडर एवं एकेडमिक कैलेंडर जारी कर दिए गए हैं। पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के क्षेत्राधीन महाविद्यालयों की परीक्षा लेने में कुछ बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं। इसके बावजूद हम प्रयत्नशील हैं कि ससमय परीक्षा आयोजित की जाए और त्रुटिरहित परीक्षाफल प्रकाशित हो। परीक्षाओं के आयोजन के लिए इस परिसर में परीक्षा-भवन को आधुनिक तकनिकी उपकरणों के साथ सुसज्जित किया जा रहा है और वहाँ सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।
नए पाठ्यक्रमों की शुरूआत
विश्वविद्यालय मुख्यालय में बी. लिस. एवं एम. लिस. की पढ़ाई शुरू की गई है। विश्वविद्यालय स्तर पर बी. एड., एम. एड. की पढ़ाई के लिए एन.सी.टी.ई. द्वारा स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। अगले सत्र-(2019-20) से पढ़ाई शुरू की जाएगी। एमसीए एवं एमबीए की पढ़ाई शुरू करने की प्रक्रिया जारी है। इनके पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय के विभिन्न समितियों से स्वीकृति प्राप्त कर अग्रेत्तर कार्रवाई हेतु राजभवन भेजा जा रहा है। हम विश्वविद्यालय स्तर पर प्राचीन इतिहास, संगीत, मानवशास्त्र आदि की पढ़ाई प्रारम्भ करने के लिए प्रयासरत् हैं। इनमें कई विषयों के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव भेजा जा चुका। कई अन्य पाठ्यक्रमों, यथा-गाँधी विचार में स्नातकोत्तर, पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा की पढ़ाई प्रक्रियाधीन है।
विभिन्न कोषांगों की सक्रियता
हम शिकायतों के त्वरित निष्पादन हेतु प्रतिबद्ध हैं। इस हेतु शिकायत निवारण कोषांग (ग्रिवांस सेल) को सक्रिय किया गया है। करीब 700 लंबित वादों में अधिकांश का निष्पादन हो चुका है। सीडब्ल्यूजेसी में 168, एलपीए में 05 और एमजेसी में 78 वाद शेष हैं जिनके निष्पादन की प्रक्रिया जारी है। महाविद्यालयों में भी शिकायत निवारण कोषांग के गठन हेतु निदेश दिये गए हैं।
नार्थ कैम्पस एवं साउथ कैम्पस
कुलपति के रूप में योगदान करने के महज कुछ दिनों बाद अपने नए प्रतिकुलपति के साथ हमने सबैला स्थित विश्वविद्यालय के नये नाॅर्थ कैम्पस में विज्ञान संकाय, सामाजिक विज्ञान संकाय का स्थानान्त किया गया है। शीघ्र ही मानविकी के विषयों को स्थानान्तरित किया जाएगा। इस परिसर के सौंदर्यीकरण के कार्य जारी हैं। शिक्षक, छात्र और कर्मचारियों की सुविधा के लिए जल, विद्युत और संचार की व्यवस्था की गई है। नाॅर्थ कैंपस में आॅडिटोरियम और सभागार के निर्माण हेतु हम संकल्पबद्ध हैं। इनके लिए हम डीपीआर बनाकर सरकार को भेज चुके हैं।
बुनियादी सुविधाओं की बहाली
हम सभी विद्यार्थियों एवं कर्मियों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध हैं। बिहार सरकार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के सात निश्चय कार्यक्रम और राजभवन के निर्देशों के आलोक में सभी महाविद्यालयों, स्नातकोत्तर विभागों एवं विश्वविद्यालय-परिसर में महिलाओं हेतु वाॅशरूम एवं काॅमनरूम की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। साउथ कैंपस में वर्षों से बन्द पड़े जीम को चालू किया गया है। साउथ कैम्पस में एक बालीवाॅल कोर्ट एवं एक और बैंडमिन्टन कोर्ट बनाया गया है और साइकिल एवं मोटर साईकिल स्टैंड बनाया गया है। महिला छात्रावास को चालू करने का प्रयास किया जा रहा है। नए परिसर में छात्राओं के आवागमन के लिए मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र क सांसद के सौजन्य से एक बस की सुविधा उपलब्ध है।
खेल-कूद को बढ़ावा
पठन-पाठन के साथ-साथ खेल-कूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। ‘स्पोर्टस कलेन्डर’ जारी कर दिया गया है। विभिन्न खेलों की अंतर महाविद्यालयी प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई है। इस विश्वविद्यालय की टीम ने पूर्वी क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय-प्रतियोगिता में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। क्रीड़ा क्षेत्र में विश्वविद्यालय की एक विशिष्ट पहचान बनी है।
सामाजिक सरोकार
हमने सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखकर बाल विवाह एवं दहेज विरोधी मानव श्रंखला में भाग लिया है। विश्व योग दिवस का आयोजन किया गया है। राजभवन के ‘हर परिसर हरा परिसर’ के संदेश से प्रेरित होकर वन महोत्सव का आयोजन किया गया। ससमय छात्र संघ के चुनाव कराया गया।
जनसंपर्क
हमारा जनसंपर्क तंत्र काफी मजबूत है। हमारे बेवसाइट bnmu.ac.in पर विश्वविद्यालय का ‘विजन’ एवं ‘मिशन’ सहित सभी आवश्यक जानकारियाँ उपलब्ध हैं। वेबसाइट के अलावा बीएनएमयू के फेसबुक पेज पर भी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्रसारित की जाती हैं। यहाँ विश्वविद्यालय में जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) विश्वविद्यालय की सूचनाओं के साथ शैक्षिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक आदि कार्यक्रमों की सूचना प्रकाशित एवं प्रसारित करते हैं, जिससे जनसम्पर्क को गति मिलती है और विद्यार्थियों सहित सभी संबंधित व्यक्तियों को लाभ मिल रहा है। यहाँ से हमें विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के शिकायत एवं सुझाव भी प्राप्त हो रहे हैं। हम उन शिकायतों का त्वरित निष्पादन करते हैं और जरूरी सुझावों पर अमल भी करने का प्रयास करते हैं। हम ‘राजभवन संवाद’ की तर्ज पर एक पत्रिका ‘बीएनएमयू संवाद’ के प्रकाशन के तैयारी में लगे हैं।
बीएनएमयू को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का प्रयास
कुलपति ने कहा कि सीमित संसाधनों एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद हम जो कुछ भी कर पाए हैं, वह बिहार के महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति श्री लालजी टंडन साहेब के अमूल्य मार्गदर्शन और आप सभी के सहयोग से ही संभव हो पाया है। हम चाहते हैं कि शिक्षा के चारों स्तंभ शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं अभिभावक विश्वविद्यालय के समग्र विकास हेतु कृतसंकल्पित हों। विभिन्न स्तरों पर सक्रिय राजनेताओं, छात्र-प्रतिनिधियों, व्यावसायियों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों एवं पत्रकारों से भी इस ज्ञान-यज्ञ में सहयोग अपेक्षित है। हम सभी मिलकर बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा को राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय के समकक्ष ले जाने हेतु प्रयास करें। अपनी-अपनी क्षमताओं का साकारात्मक उपयोग करें और विश्वविद्यालय को अपनी सर्वोत्तम सेवा दें। हम केवल यह नहीं सोचें कि इस विश्वविद्यालय ने हमारे लिए क्या किया, बल्कि यह भी सोचें कि हम इस विश्वविद्यालय के लिए क्या कर सकते हैं।”
अंधेरे को कोसने की बजाय दीप जलाएँ
सचमुच हम इस विश्वविद्यालय के हित में जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करना शुरू करें, आज शुरू करें, अभी शुरू करें। हम अंधेरे को कोसने की बजाय एक दीप जलाएँ। हम सब एक-एक दीप जलाएंगे, तो एक बड़ी दीपमाला बनेगी, अंधेरे दूर हो जाएँगे और चारों ओर ज्ञान का प्रकाश फैलेगा। फिर हमारे विश्वविद्यालय के बारे में सकारात्मक धारणा बनेगी और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी नई पहचान कायम होगी। यही हमारा एक मात्र मकसद है। महाकवि जयशंकर प्रसाद के शब्दों में, “इस पथ का उद्देश्य नहीं है, श्रांत भवन में टिक रहना। किन्तु पहुँचना उस सीमा पर, जिसके आगे राह नहीं है।।”
इसके पूर्व विद्वत शोभायात्रा निकाली गई। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कुलपति ने राज्यपाल एवं शिक्षा मंत्री का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया। विद्यार्थियों को उपाधि वितरण के पूर्व ‘शपथ’ दिलाई गई। विद्यार्थियों को स्वर्णपदक एवं अन्य उपाधियाँ प्रदान की गईं। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव कर्नल नीरज कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने की। इस अवसर पर कल्याण मंत्री डाॅ. रमेश ॠषिदेव, विधायक डाॅ. अनिरूद्ध यादव, टीएमबीयू, भागलपुर के पूर्व कुलपति डाॅ. अंजनी कुमार सिन्हा, केएसडीएसयू, दरभंगा के प्रति कुलपति डॉ. चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह, पूर्व प्रति कुलपति डाॅ. जे. पी. एन. झा, डीएसडबल्यू डाॅ. नरेन्द्र श्रीवास्तव, सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डाॅ. शिवमुनि यादव, विज्ञान संकायाध्यक्ष डाॅ. लम्बोदर झा, मानविकी संकायाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी, वाणिज्य संकायाध्यक्ष डाॅ. लम्बोदर झा, परीक्षा नियंत्रक डाॅ नवीन कुमार, सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान, सिनेटर डाॅ. नरेश कुमार, उप कुलसचिव (अकादमिक) डाॅ. एम. आई. रहमान एवं पीआरओ डाॅ. सुधांशु शेखर उपस्थित थे।
डिग्री लेने पहुंचे छात्र-छात्राओं ने हर्ष जाहिर किया
दीक्षांत समारोह में डिग्री लेने पहुंचे छात्र-छात्राओं ने हर्ष जाहिर किया। मौके पर एमएस आई डा सृजिता मित्रा ने कहा कि यह हमारे लिए बेहद ही ऐतिहासिक क्षण था जब हम लोगों के समक्ष महामहिम कुलाधिपति सह राज्यपाल छात्रों को डिग्री प्रदान कर रहे थे।
स्नातकोत्तर गणित विभाग के छात्र विकास कुमार ने कहा कि दीक्षांत समारोह को लेकर विश्वविद्यालय में अच्छी व्यवस्था की गई है. हम भी इस कार्यक्रम का हिस्सा है यह हमारे लिए गर्व की बात है।
स्नातकोत्तर गृह विज्ञान की छात्रा ज्योति ज्वाला ने कहा कि यह समारोह विश्वविद्यालय में दूसरी बार आयोजित किया गया है और जिसमें हम लोगों को पहली बार भाग लेने का मौका मिला है।
स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान की छात्रा निक्की निकिता ने कहा कि विश्वविद्यालय में पहली बार टॉपर छात्र-छात्राओं को राज्यपाल के द्वारा गोल्ड मेडल भी प्रदान किया गया, यह हमारे लिए खुशी का क्षण होगा।वहीं दीक्षांत समारोह को लेकर छात्र प्रतिनिधियों ने भी अपनी उत्साह जाहिर की ।
स्नातकोत्तर मनोविज्ञान की छात्रा ऋतु ने कहा कि य हम छात्रों तथा विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि कुलाधिपति राज्यपाल लालजी टंडन पहली बार द्वितीय दीक्षांत समारोह को लेकर बीएनएमयू पहुंच रहे हैं। स्नातकोत्तर समाजशास्त्र की छात्रा मयूरी ने कहा कि दीक्षांत समारोह को लेकर विश्वविद्यालय ने व्यवस्था में कोई कमी नहीं छोड़ी है. सभी कार्यों पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा पैनी नजर रखी गई है। स्नातकोत्तर इतिहास विभाग की छात्रा रीना ने कहा कि इस समारोह यादगार एवं ऐतिहासिक बनाने के लिए हम छात्र छात्रा भी विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ हैं, यह हमारे लिए किसी उत्सव से कम नहीं है।
स्नातकोत्तर भूगोल विभाग की छात्रा पूजा मोदी ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि द्वितीय दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इस समारोह के द्वारा कई छात्र को सम्मानित किया गया है।
स्नातकोत्तर इकोनॉमिक्स की छात्रा श्वेता शरण भारतीय ने कहा कि किसी भी छात्र छात्रा के लिए दीक्षांत में उपाधि प्राप्त करना उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण एवं गौरवशाली दिन होता है. जो बीएनएमयू के छात्र-छात्राओं को प्राप्त हुआ है।
स्नातकोत्तर भूगोल की छात्रा रुचि ने कहा कि ऐसे छात्र- छात्राएं जिन्होंने गोल्ड मेडल प्राप्त नहीं किया है उन्हें अपने सहयोगी मित्रों से प्रेरणा लेकर भविष्य में सफलता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
स्नातकोत्तर कॉमर्स की छात्रा शालु पंसारी ने कहा कि यह दीक्षांत समारोह हमें हमेशा याद रहेगा. यह पल हम लोगों के जीवन के लिए ऐतिहासिक पल हो गया है। स्नातकोत्तर अंग्रेजी की छात्रा कल्पना कुमारी ने कहा कि इस दीक्षांत समारोह में भाग लेकर हमें गर्व महसूस हो रहा है. साथ ही दीक्षांत समारोह के वस्त्र पहनकर सैकड़ों के बीच में अपने आप को अलग महसूस किया।
स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की छात्रा रूपा कुमारी ने कहा कि आज जब हम दीक्षांत समारोह के बड़े पंडाल में एक अलग वस्त्र पहनकर बैठे हुए थे, तो हमें महसूस हुआ कि हमने कुछ तो अलग किया है जिस कारण आज हमें यहां बैठने का मौका मिला है।
स्नातकोत्तर मनोविज्ञान की छात्रा कुमारी कस्तूरी ने कहा कि यह क्षण हम छात्र-छात्राओं के लिए अविस्मरणीय क्षण होगा, जब हम लोगों के समक्ष बिहार के राज्यपाल हम लोगों को संबोधित कर रहे थे।
स्नातकोत्तर गृह विज्ञान की छात्रा शिवानी ने कहा कि हमें अपनी आंखों पर यह विश्वास नहीं हो रहा था, कि हमारे समक्ष कुलाधिपति सर राज्यपाल लालजी टंडन हमें संबोधित कर रहे हैं।
स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र की छात्रा अर्चना कुमारी ने कहा कि भूपेंद्र नारायण मंडल विवि में 23 अगस्त की तिथि इतिहास के सुनहरे पन्नों पर दर्ज हो गया और उस पन्नों में हमारा भी नाम होगा यह हमारे लिए गर्व की बात है।
स्नातकोत्तर उर्दू विभाग की छात्रा शबनम परवीन ने कहा कि द्वितीय दीक्षांत समारोह में हमें भाग लेने का मौका मिला, इसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रति कुलपति सहित विश्वविद्यालय प्रशासन धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने हमें यह मौका दिया।
मनोविज्ञान की डा हेमा कुमारी कश्यप ने कहा कि स्थापना के 26 साल बाद बीएनएमयू में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में शिरकत करने पहुंचे बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टंडन, सूबे के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा की मौजूदगी ने इस ऐतिहासिक क्षण को यागदार बना दिया।
भूगोल के डॉ अशोक कुमार ने कहा कि ने कहा कि सपना वो नहीं है जो आप देखें, बल्कि सपना वो है जो आपकों नींद ही नहीं आने दे. जो सपना आज हम लोगों का पूरा हुआ है।
भूगोल के डा चंदन कुमार ने कहा कि हमें यह पल हमेशा याद रहेगा जब हम छात्र-छात्राओं को राज्यपाल लालजी टंडन के हाथों डिग्री दिया जा रहा था।
भूगोल के डा महालक्ष्मी ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का जोश बढ़ाता है। यह देख कर उन्हें भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
फिजिक्स के डा संजीव कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह के कारण छात्रों का मनोबल बढ़ता है।जिन छात्र-छात्राओं को यहां डिग्री प्रदान किया गया है वे छात्र हमेशा अपने आप को गौरवान्वित महसूस करेंगे।
फिजिक्स के डा प्रमोद कुमार ने कहा कि आज का दिन विश्वविद्यालय के लिए सुनहरा दिन होगा और यह इतिहास के पन्नों में यादगार समारोह बनकर हमेशा लोगों के जेहन में रहेगा।
इतिहास के डा शशि शेखर झा ने कहा कि हमारे लिए बेहद ही ऐतिहासिक क्षण था जब हम लोगों के समक्ष महामहिम कुलाधिपति सह राज्यपाल छात्रों को डिग्री प्रदान कर रहे थे।
गृह विज्ञान की डा पूनम कुमारी ने कहा कि यह पल हम छात्र-छात्राओं एवं विश्वविद्यालय के लिए अविस्मरणीय पल होगा. हमें आज फक्र महसूस हो रहा है कि इतने बड़े समारोह के हम भी भागीदार हैं।
डा अरुण खांं ने कहा कि प्रत्येक छात्र को अध्ययन के लिए अपने अंदर जुनून पैदा करना चाहिए और अनुशासन में रहकर तरक्की के रास्ते को खोजने चाहिए, ताकि सभी छात्र अच्छे संस्थानों में नौकरी पा सकें।
बीएनएमयू में दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करनेवाले छात्रों को बधाई देते हुए युवीके कॉलेज करामा के प्राचार्य डा माधवेंद्र झा ने कहा कि शिक्षा प्राप्ति के पश्चात प्रत्येक छात्रों को अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए। लक्ष्य की प्राप्त के लिए धैर्य, संकल्प व कर्तव्य भावना ये तीनों रहना आवश्यक है।
मधेपुरा महाविद्यालय मधेपुरा के प्राचार्य डा अशोक कुमार कहा कि अगर आपमें अपने सपनों को साकार करने की दृढ़ इच्छा शक्ति है और कार्य के प्रति समर्पण व दृढ़ निष्ठा तो एक दिन निश्चय ही सफलता आपकी कदम चुमेगी। उन्होंने कहा कि आज भारतीय युवा छात्र इस स्थिति में हैं कि वे अपने सपनों का भारत गढ़ सकें।
भाभी विभाग संयोजक रंजन यादव ने कहा कि हमें आज गर्व महसूस हो रहा है कि बीएनएमयू विद्युतीय दीक्षांत समारोह के हम छात्र प्रतिनिधि भी हिस्सा हैं. इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को बहुत-बहुत बधाई।
सिनेट सदस्य डा मनीषा रंजन ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि अपने भविष्य को अच्छा करने के लिए सबसे जरूरी है कि आपको पता हो कि जीवन में क्या करना है। इसके बाद उसके अनुसार लक्ष्य तय करें और फिर उसे पाने के लिये कड़ी मेहनत करें। इसको पाने में समय लग सकता है परन्तु प्रयास करना ना छोड़े। तभी कोई भी कार्य सम्भव होगा।
मैथिली के प्राध्यापक डा रामनरेश सिंह ने छात्र-छात्राओं को शुभकामना देते हुए कहा कि जिन छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति शह राज्यपाल लालजी टंडन के हाथों पुरस्कार मिला है उन्होंने समाज और विश्वविद्यालय का नाम रोशन क्या है उन छात्र-छात्राओं से अपील है कि आने वाली पीढ़ी को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दें।
बहरहाल भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में द्वितीय दीक्षांत समारोह का आगाज भव्य तरीके से किया गया इस समारोह में कुलाधिपति सह राज्यपाल लालजी टंडन, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, बीएनएमयू कुलपति प्रो डॉ अवध किशोर राय, प्रति कुलपति प्रो डॉ फारूक अली, कुलसचिव कर्नल नीरज कुमार के अलावा हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं एवं अतिथि उपस्थित थे. इस समारोह का भव्य उद्घाटन राज्यपाल के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया, जिसके बाद रमेश झा महिला महाविद्यालय के संगीत शिक्षक डॉ गिरिधर प्रसाद श्रीवास्तव के नेतृत्व में कुमारी रंजना मिश्रा, ईशा श्रीवास्तव, मीनाक्षी आनंद, अर्पणा कुमारी, स्वाति मिश्रा ने राष्ट्रगान की प्रस्तुति दी, वहीं इन लोगों के द्वारा सरस्वती वंदना और विश्वविद्यालय के कुलगीत की भी प्रस्तुति दी गई।
समारोह की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जहां उच्च विद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रही, वही मधेपुरा महाविद्यालय मधेपुरा के एनसीसी पदाधिकारी लेफ्टिनेंट गौतम कुमार एवं एमएलटी कॉलेज सहरसा के एनसीसी पदाधिकारी चंद्रशेखर अधिकारी के नेतृत्व में एनसीसी कैडेटों ने भी समारोह को ऐतिहासिक बनाने में पूर्ण रुप से सहयोग दिया। सभी अतिथियों के आगमन से लेकर उन्हें उनके जगह पर बैठाने एवं कार्यक्रम में शांति व्यवस्था रखने में इन लोगों का सहयोग सराहनीय रहा। राज्यपाल शिक्षा मंत्री एवं अतिथियों को किसी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए एनसीसी कैडेट पूरी तरह तत्पर दिखे।