सुपौल/बिहार : भारत का भविष्य कृषि आय से जुड़ा हुआ है।आज सरकार के ढुन-मूल नीति के कारण किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मील रहा है।वर्तमान समय में किसानों की माली हालात आईसीयू में भर्ती मरीज की तरह है,बिहार के किसान वर्षों से कर्ज में दबे हुए हैं, इसिलिए किसानों का सम्पूर्ण कर्ज बिहार सरकार 24 घंटों में माफ करे वर्ना 22 दिसंबर 2018 से उग्र आन्दोलन होगी।उक्त आशय की जानकारी लोहिया यूथ ब्रिगेड के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने दी।
डॉ. कुमार ने कहा कि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्णाटक, पंजाब आदि राज्य से भी आगे कदम बढ़ाते हुए बिहार सरकार को पूर्ण कर्जमुक्ति का अविलंब घोषणा करना चाहिए।इससे संबंधी मुख्यमंत्री को अनुरोध-पत्र भेजा गया है, इतना ही नहीं सिचाई के लिए किसानों को मुफ्त बिजली मिलनी चाहिए और किसानों की आमदनी सुनिश्चित होनी चाहिए, अति प्रगतिशील किसान को भी राष्ट्रपति पुरस्कार मिलनी चाहिए, चूकी भगवानकेबादअगर धरती परकोईविधाता है तो वो किसान है। यदि सरहद की रखवाली देश के जवान करते हैं तो भूख मिटाने का महान कार्य किसान करते हैं। अन्न पैदा करने वाले व्यक्ति को हिन्दुस्तान में आजादी के 71 वर्ष बाद भी भरपेट भोजन नसीब नहीं हो पा रहा है। वहीं इंडिया में रहने वाले लोग प्रत्येक दिन अपने ऐसो-आराम में लाखो रुपया खर्च करते हैं।कृषि देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा कारखाना कृषि है। फिर भी इसे उद्योग का दर्जा नहीं दिया गया है। इससे स्पष्ट है कि किसान के प्रति सरकार की मंशा ठीक नहीं है। गाँव की हरियाली औरकिसानपरिवार की खुशहाली के बिना राष्ट्र संपन्न नहीं हो सकता। नेता वही वादा करे जो पाँच वर्ष में पूरा कर सके। किसान की हत्या या असमय मृत्यु होने पर आश्रित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपया मुआवजा मिलना चाहिए।