सहरसा/बिहार : सिमरी बख्तियारपुर में साल में एक बार अब्बास भाई की कोशिश से मेला लग जाता है जिसमें झूलों व मनोरंजन के अन्य साधनों के साथ ही साथ मौत का कुआं लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है और जान जोखिम में डाल कर लोगों का मनोरंजन करने वाले बाइक सवारों की तारीफ करते लोग नहीं थकते हैं । लेकिन अभी जो NH-107 की हालत है उसको देखने के बाद तो लगता है कि मौत के कुआं से ज्यादा जान जोखिम में डाल कर लोग इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर गाड़ी चलाते हैं। इस सड़क की हालत ऐसी है कि समझ में नहीं आता है कि सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क?
सहरसा-मधेपुरा सड़क की हालत ऐसी खराब कि उस पर मौत के कुआं में गाड़ी चलाने वाले भी गाड़ी चलाने से पहले दस बार सोचेंगे। कुछ यही हाल रानीबाग बाजार के सड़क का है, जहां गाड़ी तो छोड़िए पैदल चलना भी मुहाल हो जाता है। जन प्रतिनिधि से लेकर पदाधिकारी तक इस पर जल्द काम शुरू करने का आश्वासन दे चुके हैं, मगर मामला अभी तक वही ढाक के तीन पात बना हुआ है। इस सड़क पर गाड़ी चलाने वाले प्रतिदिन मौत के कुआं में अपने करतब का शो करते हैं और जान जोखिम में डाल कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं जो किसी मेला में मनोरंजन करने वाले मौत के कुआं के ड्राइवर से ज्यादा जोखिम भरा होता है। अब देखना है कब तक इन सड़कों के ड्राइवर को मौत के कुआं वाला ड्राईवर बन कर जीने को मजबूर होना पड़ता है।
आज सुबह हुए हल्की बारिश के कारण रनीबाग सड़क का हाल ऐसा हो गया है कि एक तरफ से दूसरी तरफ जाना है मुश्किल तो एक दो भारी बारिश हो जाये तो सड़क की हालत क्या होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।