सुपौल : बाबा बैद्यनाथ चौघारा ट्रस्ट द्वारा प्लास्टिक प्रतिबंध पर आधारित कार्यशाला का आयोजन

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मनीष आनंद
ब्यूरो, सुपौल

*पॉलीथिन थैला मानव जीवन एवं जीव-जन्तु के लिए हानिकारक

*पॉलीथिन पन्नी पर पूर्ण प्रतिबंध सरकार की सराहनीय कदमडॉ. अमन

सुपौल/बिहार :  जिला मुख्यालय स्थित बी.बी.सी. कॉलेज सुपौल  सभागार में नगर परिषद्, सुपौल के मार्गदर्शन में बाबा बैद्यनाथ चौघारा ट्रस्ट द्वारा प्लास्टिक प्रतिबंध पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया! जिसका विधिवत् शुभारंभ लोहिया यूथ ब्रिगेड के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार, शम्भू यादव, हरिबोल यादव, शोभा सिंह द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया! कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. कुमार ने कहा कि पृथ्वी को स्वच्छ रखने के लिए प्लास्टिक थैली पर पूर्ण प्रतिबंध सम्पूर्ण विश्व में अनिवार्य है! तभी संसार स्वच्छ, सुंदर और खुशहाल बन सकता है! क्षणिक सुविधाओं को छोड़कर व्यापक नुकशान प्लास्टिक बैग से हो रहा है! प्लास्टिक बैग के जगह कपड़े, जूट या पेपर बैग का उपयोग करना हितकर होगा! पॉलीथिनथैला मानव जीवन एवं जीव-जन्तु के लिए हानिकारक है! हर भारतीय एक साल में औसतन आधा किलो प्लास्टिक कचड़े उत्पन्न करता है! प्लास्टिक बैग के अंदर सिंथेटिक पॉलीमार नामक एक पदार्थ होता है जो कि पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक है! पॉलीथिन बैग में खाद्य पदार्थों को ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध सरकार की बहुत ही सराहनीय कदम है! पॉलीथिन सभी जीवधारी के लिए हानिकारक है! इसकी रोकथाम ही समस्या का समाधान है! प्लास्टिक बैगों का उत्पादन व उपयोग होने से व्यापक मात्रा में कचड़े की उत्पति होती है जिससे भूमि, जल और वायु प्रदूषित होती है! जो कई गंभीर बिमारियों और पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है!

    डॉ. कुमार ने कहा कि प्लास्टिक के ग्लासों में चाय या गर्म दूध का सेवन करने से उसका केमिकल पेय पदार्थ में मिश्रित होकर पेट में चला जाता है इससे कई जटिल बीमारियाँ होती है! पॉलीथिन की थैली पशु द्वारा निगल जाने से पशु असमय काल के गाल में समा जाता है! इनका उपयोग नदी-नालियों में जहाँ रुकावट पैदा करता है वहीं जलीय जीव विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गए हैं! प्लास्टिक में जहरीला पदार्थ होने के कारण खासकर बच्चे और गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यधिक नुकशानदायक साबित हो रही है! इससे बच्चों के स्मरण शक्ति पर सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है! पॉलीथिन राष्ट्रव्यापी गंभीर समस्या है! धरती पर जमा होने से जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ जल शोषण की क्षमता कम हो जाती है! जिससे जमीन में नमी की कमी हो जाति है जिसका प्रभाव फसल पर पड़ता है! प्लास्टिक के जलाने से उत्पन्न धुँआ स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है! 40 माइक्रोन से पतली पॉलीथिन का प्रयोग पर्यावरण एवं मानव सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है! कार्यशाला में फुलेन्द्र यादव, ललन कुमार, भूषण कुमार, निशिकांत कुमार, अमर कुमार झा, नितीश कुमार, अभिमन्यु कुमार, भारत सिंह, नरेश यादव, राज कुमार रमण, प्रीतम कुमार चौधरी, जीतेन्द्र कुमार झा, राजेन्द्र साह, जीवछ शर्मा, शैलेन्द्र कुमार यादव, शम्भू साह, मणिकांत कुमार आदि उपस्थित थे!    

क्या है सरकारी कानून

बिहार सरकार के  द्वारा 23 दिसंबर 2018 से 50 माइक्रॉन से कम मोटाई की पॉलीथिन की खरीद-बिक्री एवं इस्तेमाल पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। बिहार नगरपालिका प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन उपविधि-2018 का गठन किया गया है। बिहार नगरपालिका अधिनियम, 2007 की धारा-421 एवं 422 के अंतर्गत बनाई गई उपविधि के तहत जब्तीजुर्मानाअपराध शमन इत्यादि की कार्रवाई होगी। 50 माइक्रॉन से कम मोटाई वाली पॉलीथिन कैरीबैग की खरीद-बिक्री करते पहली बार पकड़े जाने पर02 हजार रुपयेद्वितीय बार पकड़े जाने पर 03 हजार तथा तथा प्रत्येक बार दोहराए जाने पर 05 हजार रुपये जुर्माना किया जायेगा। वाणिज्यिक उपयोग पर प्रथम बार 1500 रुपयेद्वितीय बार 2500 रुपये तथा प्रत्येक बार दोहराए जाने पर 3500 रुपये जुर्माना किया जायेगा। घरेलू उपयोग में प्रथम बार 100 रुपयेद्वितीय बार 200 रुपये तथा प्रत्येक इसके बाद दोहराए जाने पर500 रुपये जुर्माना किया जाएगा। प्लास्टिक अपशिष्ट को खुले में जलाने पर प्रथम बार में 2000 रुपयेद्वितीय बार में 3000 रुपये तथा प्रत्येक बार दोहराए जाने पर 5000 रुपये जुर्माना किया जायेगा। पॉलीथिन के उपयोग आयातभंडारण एवं खरीद बिक्री पर पूर्णत: प्रतिबंध है।


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