मधेपुरा/बिहार : जेडी वीमेन्स कॉलेज पटना में चल रहे दर्शन परिषद्, बिहार के 41 वें वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन बुधवार को कई शैक्षणिक कार्यक्रम संपन्न हुए, इसके तहत मुख्य रूप से व्याख्यान, संगोष्ठी एवं पत्र-वाचन हुए। इसमें देश के कई विद्वानों ने दर्शन के विभिन्न विषयों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। डा प्रभु नारायण मंडल भागलपुर ने सिया देवी माधवपुर खगड़िया स्मृति व्याख्यान दिया।
उन्होंने बताया कि मूल्यों के संदर्भ में सापेक्षवाद, एकत्ववाद एवं बहुलवाद, ये तीन सिद्धांत प्रचलित हैं। इनमें बहुलवाद एक उदारवादी मत है. इसके अनुसार सभी मूल्यों के बीच समन्वय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान संदर्भ में यह आवश्यक है कि हम किसी एक मूल्य या मूल्यों के समूह को सबों पर नहीं थोपें. मूल्यों की बहुलता को स्वीकार करें। सभी मूल्यों के बीच समन्वय एवं सामंजस्य स्थापित करें।
इस अवसर पर डा रामजी सिंह, डा आईएन सिन्हा, डा जटाशंकर, डा बीएन ओझा, डा श्यामल किशोर, डा आलोक टंडन, डा नरेश प्रसाद तिवारी, डा सुधा ओझा, आयोजन सचिव डा वीणा कुमारी, डा राजकुमारी सिन्हा, डा पूनम सिंह, डा शंभु प्रसाद सिंह, डा शैलेश कुमार सिंह, डा किस्मत कुमार सिंह, डा पूर्णेंदु शेखर, डा नागेन्द्र मिश्र, डा नंदनी मेहता, डा रेखा मिश्र, डा एमपी चौरसिया, डा निर्मला झा, डा मुकेश कुमार चौरसिया, डा सुधांशु शेखर, डा नीरज प्रकाश आदि उपस्थित थे।
अधिवेशन में दर्शना पब्लिकेशन भागलपुर ने बुक स्टाॅल लगाया। इनमें गाँधी दर्शन : एक पुनरवलोकन, सीमांत नैतिकता के आयाम, गाँधी-विमर्श, सामाजिक न्याय : अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ आदि प्रमुख हैं।