भोजपुरी को झारखंड में मिला द्वितीय राजभाषा का दर्जा, खेसारीलाल यादव ने राज्‍यपाल को कहा धन्‍यवाद

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अनुप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

झारखंड सरकार ने भोजपुरी को बिहार राजभाषा (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2018 के तहत द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है, जिसको झारखंड की राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू ने स्‍वीकृति दे दी है। इसके बाद भोजपुरी सुपरस्‍टार खेसारीलाल यादव ने राज्‍यपाल श्रीमती मुर्मू को धन्‍यवाद कहा।

उन्‍होंने कहा कि यह भोजपुरी भाषा के लिए सम्‍मान की बात है, जो झारखंड में मिला है। भोजपुरी बोलने – समझने वाले आज दुनिया भर में हैं। न सिर्फ फिल्‍म इंडस्‍ट्री बल्कि भोजपुरी माटी की सुंगध प्रशासनिक से लेकर इस मार्डन एरा में हर जगह देखने को मिलती है। ऐसे में झारखंड में जो सम्‍मान भोजपुरी भाषा को मिला है, उसके लिए हम म‍हामहिम का आभार प्रकट करते हैं।

खेसारीलाल यादव ने कहा कि भोजपुरी तृस्‍कार की नहीं, गर्व की भाषा है। इसलिए हम चाहते हैं कि संविधान की आठवीं अनुसूची में इसको शामिल किया जाय। क्‍योंकि भोजपुरी इस अनुसूची में शामिल होने के सभी मानदंडों को पूरा करती है। बताते चलें कि राज्यपाल की स्वीकृति के बाद राज्य सरकार ने मगही, मैथिली, भोजपुरी और अंगिका को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है। विधानसभा के मानसून सत्र में इससे संबंधित संशोधन विधेयक बिहार राजभाषा (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया था। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू द्वारा इसपर स्वीकृति मिलने के बाद राज्य सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है।

वहीं, झारखंड की द्वितीय राजभाषा बनने के बाद भोजपुरी सिनेमा इंडस्‍ट्री के मेगा स्‍टार रवि किशन, पवन सिंह, रानी चटर्जी, अक्षरा सिंह, आकांक्षा अवस्थी,अरविंद अकेला कल्‍लू, प्रदीप पांडेय चिंटू, गुंजन पंत, निशा दुबे ,लाल बाबू पंडित ,योगेश मिश्रा ,मनोज पांडेय ,सभा वर्मा ,प्रदीप सिंह ,संजीव मिश्रा ,अजय दीक्षित ,राजीव मिश्रा जैसे कलाकारों ने झारखंड सरकार और महामहिम राज्‍यपाल को धन्‍यवाद दिया और कहा कि यह भोजपुरी भाषा को मिला अभूतपूर्व सम्‍मान है, जिसके लिए पूरा भोजपुरी भाषी समाज झारखंड सरकार और महामहिम राज्‍यपाल का आभारी रहेगा। उक्‍त जानकारी देते हुए सुपरस्‍टार खेसारी लाल यादव के निजी प्रचारक संजय भूषण पटियाला ने दी। उन्‍होंने बताया कि द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद पूरी इंडस्‍ट्री में खुशी की लहर दौर गई है और सभी की उम्‍मीदें हैं कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने करने के लिए एक और आधार पुख्‍ता हुआ है।


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