सहरसा : स्वतंत्रता संग्राम में उर्दू के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है-महबूब अली कैसर

Spread the news

वजीह ए. तसौवुर

वजीह ए. तसौवुर की रिपोर्ट

सहरसा/बिहार : सहरसा जिला अंतर्गत सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड अंतर्गत पहाडपुर के महेंद्र नारायण दास हाई स्कूल के मैदान में 22 नवंबर की रात शानदार ऑल इंडिया मुशायरा सह कवि सम्मेलन का आयोजन सफ़ाइर हाइवे स्कूल के बैनर तले किया गया, जिसका उद्घाटन ऑल इंडिया हज कमेटी के अध्यक्ष और सांसद चौधरी  महबूब अली कैसर ने फीता काटकर किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि चौधरी कैसर ने कहा कि उर्दू शुद्ध भारतीय भाषा है और स्वतंत्रता संग्राम में उर्दू के योगदान को भूलाया नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उर्दू के विकास में शायरों का अहम योगदान रहा है। उर्दू मीठी जुबान है और इसकी शायरी लोगों के दिलों पर दस्तक देती है यही वजह है कि फिल्मों में भी उर्दू भाषा का प्रयोग बहुत ज्यादा हो रहा है। उर्दू गंगामा गामिनी ताहजब का एक जीवंत प्रतीक है।

      चौधरी महबूब अली कैसर और नाज़िम अनवर की अध्यक्षता व मशहूर शायर जमील साहिर के संचालन आयोजित इस मुशायरे में उर्दू हिंदी साहित्य के हरदलिज़ीज़ शायरों व कवियों ने अपनी गीत गजल  और सुंदर कविताओं के माध्यम से पूरी रात ढंड के बावजूद लाखों दर्शकों को बांधे रखा।

कार्यक्रम का विद्वत शुरुआत डॉक्टर नदीम शाद के  नाते पाक से हुआ, नाते पाक के बाद कविता का दौर चला जो सुबह 4 बजे तक जारी रहा। विश्व प्रसिद्ध कवि हाशिम फिरोजाबादी ने आबादी ने अपने विशेष अंदाज में सुंदर रचनायें प्रस्तुत कर खुब तालियां बटोरी।

उनका ये शेर ?

    अब न हो मुल्क में कोई दंगा कभी, और मैली न हो अब ये गंगा कभी। 

   आइये आज हम मिल के खायें कसम, झुकने देंगे न हाशिम तिरंगा कभी।। 

 महिला कवित्रीयों ने भी कार्यक्रम के हुस्न में चार चांद लगाने में अहम योगदान दिया। शाइस्ता सना, सबा बलरामपुरी, निकहत अमरोहवी, मोनिका देहलवी, दानिश गजल की ग़ज़लों और गीतों को लोगों ने खूब दाद व तहसीन से सम्मानित किया। आधुनिक लब-ओ-लहजा के प्रतिनिधि कवि और उर्दू ग़ज़ल के संजीदा शायर डॉक्टर नदीम शाद ने अपनी सुंदर ग़ज़ल और जानदार शेरों से कार्यक्रम को कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने में अहम रोल अदा किया और  दर्शकों की खुब तालियां वसूलते रहे।

प्रसिद्ध कवियों दिल खैराबादी, शहजादा कलीम, मोहन मुनंतजीर ने भी एक से बढ़कर एक सुंदर कलाम पेश कर उर्दू समर्थक लाखों की भीड़ को पूरी तरह बांधकर रख दिया और सुबह तक दाद व तहसीन के स्वर बुलंद करने के लिए मजबूर करते रहे ।

बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के वरिष्ठ नेता और मुशायरा कमेटी के संयोजक चांद इमाम मंजर, सचिव नाज़िम अनवर, अध्यक्ष गुलाम मोहम्मद कौसर और खुर्शीद आलम चुना के अथक प्रयास से आयोजित इस शानदार मुशायरे के सफल आयोजन में कौसर अशरफ, वजीह अहमद तसौवुर, अफ़रोज़ आलम, जाकिर हुसैन, अब्दुल बासित, महबूब आलम आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।


Spread the news