नहीं रहे हिंदी साहित्य में आलोचना के स्तंभ प्रोफेसर मैनेजर पांडेय, 81 साल की उम्र में निधन

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पटना डेस्क : हिंदी साहित्य जगत के गम्भीर आलोचनात्मक लेखन के लिए मशहूर वरिष्ठ लेखक मैनेजर पांडेय का निधन हो गया है.उन्होंने 81 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. मैनेजर पांडेय के निधन से हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर है. तमाम लेखकों, पत्रकार और प्रकाशन संस्थानों से जुड़े लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

प्रोफेसर रहे मैनेजर पांडेय को आलोचना के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए जाना जाता है. उन्होंने शब्द और कर्म, साहित्य और इतिहास-दृष्ठि, साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका, भक्ति आंदोलन और सूरदास का काव्य, अनभै सांचा, आलोचना की सामाजिकता और संकेट के बावजूद जैसी आलोचनाएं लिखीं।पांडेय जेएनयू में लंबे समय तक शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े रहे थे. मैनेजर पांडेय बिहार के गोपालगंज के निवासी थे. साहित्य में योगदान के लिए उन्हें दिनकर राष्ट्रीय सम्मान, गोकुल चंद आलोचना पुरस्कार, सुब्रमण्यन भारती पुरस्कार और साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया था.

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