लता के रूप में संगीत ने अपनी पहचान और भारत ने अपना अनमोल रत्न खोया

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मधेपुरा/बिहार : स्वर कोकिला लता मंगेशकर के लंबी बीमारी के बाद निधन भारत की वो क्षति है जिसकी भरपाई निकट भविष्य में सम्भव नहीं। उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू व पीयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने संगीत की दुनिया में एकक्षत्र राज्य करने लता मंगेशकर के निधन के बाद उन्हें याद करते हुए कही।

राठौर ने कहा कि लता के  रूप में संगीत ने अपनी पहचान और भारत ने अपना अनमोल रत्न खोया है। अपनी सुरीली आवाज से सात समुंदर पार भी प्रसिद्ध लता की आवाज हर दौर में उनकी प्रतिभा और उपलब्धि का प्रमाण देगा। लता जी उन दुर्लभ प्रतिभाओं में से थी जिन्हे लगभग भारत का सभी सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान ही नहीं मिला बल्कि उसके अतिरिक्त 70 से ज्यादा अति महत्वपूर्ण सम्मान भी मिले। कई विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित कर अपना मान बढ़ाया। समाज के सभी वर्गों के दिलों पर राज करने वाली लता ने अपनी प्रतिभा के बल पर कई बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया। उन्होंने गाना गाने का जो कीर्तिमान बनाया है आने वाले दौर में शायद ही कोई वहां तक पहुंच सके। उनके गानों में भारतीय सभ्यता, संस्कृति, सामाजिकता, मान, सम्मान हमेशा प्राथमिकता के रूप में नजर आए। उनके जाने के बाद सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि उनकी भरपाई कदाचित अब सम्भव नहीं। केंद्र सरकार द्वारा दो दिनों का राष्ट्रीय शोक की घोषणा दर्शाता है कि वो भारत की पहचान की एक मजबूत कड़ी थी।

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छात्र नेता राठौर ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को यह विश्वास करना मुश्किल होगा कि गायिकी की दुनिया में एक ऐसी भी हस्ती थी जिसकी कोई शानी नहीं थी। उनकी सुरीली आवाज ने ए मेरे वतन के लोगों ,,,,गाना को जन जन तक पहुंचाने का जो काम किया उसकी तुलना नहीं की जा सकती। भारत का प्रथम छात्र संगठन एआईएसएफ संगीत की दुनिया की सबसे बड़ी हस्ती भारत रत्न स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को नमन करता है।

मो० नियाज अहमद
ब्यूरो, मधेपुरा

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