मधेपुरा/बिहार : बीएनएमयू के स्थापना के तीस साल पूरा होने पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ बीएनएमयू इकाई ने विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षक, कर्मचारी व छात्रों को बधाई दी और उम्मीद व्यक्त किया कि इस विश्वविद्यालय को मधेपुरा के शान के रूप में स्थापित करने की इमानदार पहल होगी। संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि मधेपुरा में विश्वविद्यालय की स्थापना उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रखर समाजवादी भूपेंद्र नारायण मंडल के नाम पर की गई थी, लेकिन स्थापना के तीन दशक बाद भी विश्वविद्यालय समय पर नामांकन, परीक्षा व परिणाम देना तो दूर लगातार छात्रों की मांग पर तीस विषयों में पढ़ाई भी शुरू नहीं कर सका। परिसर में शुरू हुए शिक्षाशास्त्र व बिलिस एमलिस में आज भी शिक्षक कर्मचारियों की घोर कमी है, जिसका खामियाजा पूरा फीस जमा कर भी छात्र भुगत रहे हैं। नैक से मान्यता के नाम पर पहल के लिए लगातार मोटी रकम का बंदरबांट जारी है। स्थापना काल से अपने खून पसीने से सींचने वाले कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं कर पाना अपने आप में दुखद है। कोर्स पूरा कर चुके छात्र व सेवानिवृत हुए शिक्षक व कर्मचारियों का विश्वविद्यालय दौड़ते दौड़ते हाल बेहाल रहता है।
स्थापना के तीन दशक में महापुरुषों के नाम पर पीठ, अपना सम्मान व पत्रिका नहीं होना शर्मनाक :
एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि स्थापना के तीन दशक होने के बाद भी शोध को बढ़ावा देने की इमानदार कोशिश नहीं हुई किसी भी महापुरुषों के नाम पर पीठ की स्थापना नहीं होना इसका प्रमाण है। छात्र व शिक्षक के लिए विश्वविद्यालय का अपना सम्मान नहीं होना जहां कई सवालों को जन्म देता है, वहीं लगातार वादे के बाद विश्वविद्यालय की अपनी पत्रिका प्रकाशित नहीं होना हास्यास्पद है।इसको लेकर प्रशानिक स्तर पर कभी कारगर कदम नहीं उठाए गए।
नैक से मान्यता की उम्मीद पाले बीएनएमयू में गर्ल्स व ब्वॉयज हॉस्टल भी नहीं वहीं पुस्तकालय की हालत गम्भीर :
छात्र नेता राठौर ने कहा कि कई वर्षों से विश्वविद्यालय में नैक से मान्यता के नाम पर हलचल दिखाने की कोशिश की गई लेकिन हकीकत कुछ ऐसी रही कि बीएनएमयू इसके लिए प्रारम्भिक जरूरत को भी व्यवस्थित नहीं कर पाया। हर पन्द्रह अगस्त व छब्बीस जनवरी को वादे के बाद भी जहां गर्ल्स हॉस्टल शुरू नहीं हुआ वहीं ब्वॉयज हॉस्टल की चर्चा कोसो दूर है। विश्वविद्यालय के पुराने परिसर में स्थित केंद्रीय पुस्तकालय सिर्फ नाम का पुस्तकालय है क्योंकि यहां हिंदी को छोड़ जहां अन्य विषयों के पेपर व पत्रिका नहीं आती वहीं स्तरीय व शोध परक पुस्तकों का घोर अभाव है।
तीसवें स्थापना दिवस पर संकल्प तैयार करने की जरूरत कि बीएनएमयू रहेगा तो हम रहेंगे :
राठौर ने कहा कि समय रहते अगर शैक्षणिक माहौल बनाने व नैक से मान्यता के नाम पर इमानदार पहल नहीं हुई तो यह विश्वविद्यालय यूजीसी से किसी भी प्रकार का अनुदान पाने का हकदार नहीं रहेगा। इसके लिए जरूरी है कि चाटुकारों को सेट करने की जगह योग्य लोगों को तरजीह मिले और यह संकल्प तैयार हो कि बीएनएमयू रहेगा तो हम रहेंगे।