रहमतों और बरकतों का महीना माह-ए- रमजान

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मधेपुरा/बिहार : आज चांद के दीदार के साथ इस्लामी कैलेंडर का नौ वां महीना माह-ए- रमजान में पढी जाने वाली विशेष नमाज तरावीह की शुरूआत के साथ कल से पहला रोजा शुरू है. रहमतों की बारिश करने के साथ-साथ बरकत व मगफिरत का माह माह-ए-रमजान में इस्लाम को मानने वाले माह के तीस दिनों तक रोजा रखकर खुदा की बारगाह में सजदा करते है और अपनी गुनाहों की माफी मांगते है. बताया जाता है कि खुद को खुदा की राह में समर्पित कर देने का प्रतीक पाक महीना माह-ए-रमजान न सिर्फ रहमतों और बरकतों की बारिश का महीना है, बल्कि समूची मानव जाति को प्रेम भाईचारे और इंसानियत का संदेश भी देता है। इस पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों पर रहमतों का खजाना लुटाते हैं।Photo : www.therepublicantimes.co

रहमतों और बरकतों का महीना है माह-ए-रमजान  : जिला मुख्यालय स्थित जामा मस्जिद के इमाम व खतीब मौलाना मुस्तकीम ने रमजान की फजीलत बयां कर बताया कि यह पाक (पवित्र) व मुकद्दस (इबादत के लिये महत्वपूर्ण) माह रहमत, बरकत और मगफिरत (गुनाहो से माफी) का महीना है. इस महीने में हर मुसलमान अपनी इबादत के जरीये अपने रब के करीब जा सकता है. उन्होंने लोगों को नसीहत की कि इस महीने में खूब इबादत करें. गरीबों की मदद करें, और बूरे कामों से दूर रहें. पूरे रोजे रखें और तरावीह की नमाज न छोड़े. इस दौरान लोगों को रोजाना पांच वक्त की नमाज अता करनी होती है तो साथ ही गुनाहो से बूराईयों से दूर रहते हुए अपना पूरा दिन व रात इबादत में बिताना चाहिए. तीस दिन रोजे रखकर इबादत करने वालों को ही ईद की खुशी मिलती है. उन्होंने कहा कि माह-ए-रमजान में सभी रोजेदार मुल्क में फैली हुई महामारी कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए अल्लाह-तआला से दुआ मांगेंगे.
क्या है माह-ए-रमजान में खास :
. महीने भर रोजे (उपवास) रखना
. रात में तरावीह की नमाज पढना
. कुरान तिलावत करना
. एतेकाफ पर बैठना(यानी गावं और लोगो की अभ्युन्नति व कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ मांगते हुए मौन व्रत रखना)
. जकात देना(दान देना)
. अल्लाह का शुक्र अदा करना
रमजान में मांगी गयी दुआऐं होती है कबूल : रमजान का माह मुस्लिम भाईयों के लिए बड़ी अजमत व रहमत का महीना होता है. रमजान के महीने में रोजेदारों के द्वारा सच्चे दिल व दिमाग से मांगी गयी दुआऐं कबूल होती है. रमजान माह में जहां शैतान के लिए दरवाजा बंद हो जाता है. वहीं आम इंसानों के लिए रहमत का दरवाजा खुल जाता है. माह-ए-रमजान को लेकर बच्चों व बुढों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. रमजान माह को तीन अशरा शरा में बांटा गया है. पहला अशरा रहम का, दुसरा आशरा मगफिरत एवं तीसरा अशरा जहन्नुम से आजादी का है. रमजान के मुकद्दश महीने के दिन और रात बेसकिमती माना गया है. रमजान माह में अल्लाह-तआला अपने बंदों पर रहमत नाजील करतें है. रोजा के दौरान हम अपने आमाल का जायजा लें और गलतियों पर निगाह डालें ताकी आने वाले दिनों में फिर से गलती न दुहरायी जाय.
 रोजा इस्लाम की पांच रत्नों में से एक : माह-ए-रमजान में रमजान का पुरा-पुरा हक अदा करते हुए खुब माफी मांगनी चाहिए. रोजा इस्लाम की पांच रत्नों में से एक है. इस्लाम धर्म में पांच बुनियादी चीजें, तौहीद, नमाज, रोजा, जकात एवं हज. रोजा फजल-ए-खुदाबंदी का चमकता हक अदा करती है. हदीश में कहा गया है की इस माह में बंदो द्वारा एक नेकी करने से उसे 70 नेकियों के बराबर सबाब मिलता है. रमजान माह सब्र का महीना होता है. जो आदमी सुबह से शाम तक खाने पीने या किसी भी ख्वाहिश से बचा रहा और सब्र के साथ सबाब के उम्मीद से जिसने भी रोजा किया उसे जन्नत नसीब होती है. रोजा को सिर्फ इस्लाम के अंदर ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम मजाहिब के अंदर एक अहम मुकाम हासिल है.  

रमजान का महीना आज से शुरू, तैयारी पूरी  : बुधवार से शुरू हो रहे रमजान माह को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. रोजा इफ्तार की चीजें खरीदने के लिए मंगलवार को बाजार में रौनक बनी रही. मंगलवार के शाम तक बाजार में बड़ी संख्या में लोग सेंवई व विभिन्न प्रकार के खजूर आदि की खरीदारी करते दिखे.
इबादत का महीना है रमजान  : स्थानीय निवासी इमरान हैदर, खुर्शीद आलम व कासिफ कहते हैं कि रमजान का पवित्र महीना इबादत का होता है. इसमें अल्लाह के नेक बंदे रोजा रखते हैं. आतिफ, कामरान, असगर व तसलीम कहते हैं कि रमजान के लिए खरीदारी पूरी हो गई है. इस दिन रोजा रखने के लिए सभी लोग तैयार है. रोजा रखने के लिए कोई बंदिश नहीं है. इस पवित्र माह का इंतजार सभी को बेसब्री से रहता है.Photo : www.therepublicantimes.co
घर में नमाज अदा करेंगे रोजेदार : रमजान का महीना शुरू होने को लेकर मस्जिदों में साफ सफाई कर ली गई है. हालांकि इस वर्ष भी कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार मस्जिदों में आम लोगों के लिए नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी गई है. तरावीह की नमाज भी मस्जिदों में अदा नहीं की जायेगी. सभी रोजेदार घरों में ही नमाज अदा करेंगे. इस बाबत मस्जिद के मुख्य द्वार पर नोटिस चिपकाकर, गेट में ताला लगा दिया गया है.
सभी दामों में उपलब्ध है सेवई
कलकत्तीया सेवई – 250 रुपया किलो
फेनी सेवई – 150 रुपया किलो
हल्दीराम सेवई – 320 रुपया किलो
कुबा खजूर – 510 रुपया किलो
कलमी खजूर – 1600 रुपया किलो
गोल्ड कोइन खजूर – 240 रुपया किलो
रुआवजा – 150 रुपया बोतल
नान रोटी – 25 से 120 रुपया पीस

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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