नालंदा : आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी करने की केंद्रीय हुकूमत के फैसले के विरोध में जिले में सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल रहे  बंद

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मुर्शीद आलम
नालंदा ब्यूरो
बिहार

नालंदा/बिहार : जिले में शुक्रवार के दिन सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज नहीं होगा। सरकार के द्वारा जारी किए गए फरमान के विरोध में डॉक्टरों ने आज कार्य का बहिष्कार किया है। डॉक्टर केन्द्र सरकार द्वारा आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत देने संबंधी आदेश के खिलाफ है। प्रदेश के लगभग 35 हजार डॉक्टर हड़ताल पर है।

बिहार शरीफ सदर अस्पताल और समेत नालंदा जिले के सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में ताला लटका रहा। सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाओं का पूरी तरह से बाधित रहा। इस दौरान आईएमए हॉल में डॉक्टरों ने सरकार के द्वारा जारी किए गए फरमान को लेकर बैठक कर रणनीति भी तैयार की गई। सरकार के द्वारा एक बिल आने वाला है जिसमें जितने भी आयुष डॉक्टर हैं, होम्योपैथी आयुर्वेदिक उनको कुछ महीने की ट्रेनिंग के बाद ही सर्जन बनाया जाएगा। जो की किसी तरह से उचित नहीं है, क्योंकि हम लोग एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 6 साल मेहनत करते हैं और 3 साल सर्जरी करते हैं तब जाकर इसकी डिग्री मिलती है लेकिन आयुष डॉक्टरों को अब कुछ महीने में ही ट्रेनिंग करके सर्जन बना दिया जाएगा। जो कहीं से उचित नहीं है। सरकार के द्वारा करने से आम जनजीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

वहीं सिविल सर्जन ने इस हड़ताल को सफल बताया। उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल में भी कोविड-19 और इमरजेंसी सेवा को छोड़कर सभी सेवाओं को बन्द कर दिया गया है। वही इस हड़ताल का असर बिहारशरीफ शहरी क्षेत्र और बिहार शरीफ से अस्पताल में देखने को मिल रहा है जहां इलाज कराने आए मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।


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