मधेपुरा : छठ घाटों की सफाई का सही समय अभी, अधिकारियों का ध्यान नहीं

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : दीपावली एवं छठ पर्व को लेकर घरों एवं दुकानों की सफाई अंतिम चरण में है, लेकिनअभी तक छठ घाट की सफाई शुरू नहीं की गई है, जिसके कारण छठ व्रतियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। महापर्व छठ नजदीक आने को है, लेकिन अभी भी छठ घाटों की साफ-सफाई नहीं होने से घाटों के पास गंदगी का अंबार लगा हुआ है। शहर से लेकर गांव तक के छठ घाटों की साफ सफाई नहीं होने से श्रद्धालुओं में पर्व करने में होने वाली परेशानी झलक रही है। श्रद्धालु अपने अपने हिसाब से छठ घाट की साफ-सफाई करने की योजना बनाने में लगे हुए हैं।

 मालूम हो कि मधेपुरा जिला मुख्यालय के चारों ओर से नदी बहती है, जिसके किनारे कई स्थानों पर छठ घाट बनाए गए हैं, जहां छठ पर्व करने के लिए लोग पहुंचते हैं, फिर भी अभी तक जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं गया है। जिला मुख्यालय के सभी घाटों पर छठ व्रत करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है, लेकिन सफाई नहींं होने से घाट पर गंदगी के कारण लोगों को खड़े होने में भी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।

छठ घाटों पर नहीं शुरू हुआ सफाई का कार्य : 14 नवंबर की रात दीपावली तथा उसके चौथे दिन से आस्था का महापर्व छठ पूजा शुरू हो जायेगा। छठ पूजा में नदी के जल में अर्ग देने का नियम है। शहर में लगभग 10 जगहों पर नदी के घाट पर छठ पूजा मनाया जाता है। जिसमें छठ घाट को सजाया जाता है एवं लोग अपने-अपने सिर पर पूरे परिवार के साथ डाला लेकर छठ घाट की ओर जाते हैं। जिला मुख्यालय के सबसे भीड़-भाड़ इलाके वाला घाट भीरखी स्थित नदी घाट, सुखासन नदी घाट एवं गुमटी नदी घाट पर वार्ड जिला मुख्यालय के अधिकांश लोग छठ पर्व करने के लिए आते हैं। इस घाट पर भी सफाई कार्य अभी तक शुरु नहीं कराया जा सका है। घाट का सफाई कार्य नहीं होने से अर्घ्य देने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो सकती है। घाट के समिप साफ-सफाई के नाम पर कोई सुविधा नहीं है। छठ घाटों पर आने जाने के लिए अभी तक पहुंच पथ की भी साफ-सफाई नहीं कराई गयी है।

छठ घाटों की सफाई का सही समय अभी, अधिकारियों का ध्यान नहीं : आस्था के इस महापर्व में अब मात्र नौ दिन ही शेष बच गए हैं। ऐसे में इन घाटों की साफ सफाई तथा पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने से छठ पूजा करने वाली व्रती महिलाओं सहित उनके परिवार को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। अभी तक जिला प्रशासन तथा नगर परिषद का ध्यान छठ घाटों की सफाई कि ओर नहीं गया है। जबकि अभी तक तो सफाई हो जानी चाहिए थी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्य शुरू नहीं किया गया है। शहर में रहने वाले लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन एवं नगर परिषद के अधिकारी छठ घाट की सफाई को लेकर लापरवाह बने हुए हैं। छठ घाटों की सफाई का सही समय अभी है, लेकिन अभी तक अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी छठ पूजा से एक दिन पहले सफाई के नाम पर खानापूर्ति कर ली जायेगी।

नदी में उतरने का मतलब, अपनी जान गवा देना : छठ पूजा होने वाले छठ घाटों की ना तो अभी तक सफाई हुई है और ना ही रास्ते साफ़ किए गए हैं। जंगल झाड़ उसी तरह से फैला हुआ है, जिससे व्रतियों को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। अभी तक ना तो छठ घाटों की सफाई हो पाई और ना ही प्रशासन का कोई भी प्रतिनिधि छठ पूजा घाटों का जायजा लेने पहुंचे हैं। लोगों को प्रशासन से उम्मीद है कि वह जल्द से जल्द इस ओर अपना कोई ठोस कदम उठायेगी। छठ पूजा घाटों पर इतनी गंदगी फैली हुई है कि वहां खड़े होने में भी बहुत दिक्कत महसूस होती है। वहीं नदी के बीचो-बीच मिट्टी के जमा हो जाने के कारण कहीं पानी बहुत दूर चला गया है या कहीं पानी है ही नहीं। कहीं-कहीं तो इतने बड़े बड़े गड्ढे हैं जिसमें नदी में उतरने का मतलब है, अपनी जान गवा देना. ऐसे में व्रती परिवार काफी परेशानी में हैं कि पता नहीं इस बार क्या होगा। क्योंकि ना तो प्रशासन का ध्यान उस और जा रहा है और ना ही किसी प्रतिनिधि ने अभी तक पहल की है।

रोड पर बिखरे पत्थरों के कारण श्रद्धालुओं को हो सकती है परेशानी : भीरखी स्थित नदी पर होने वाले छठ पूजा में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है और दूसरे जिलों से भी श्रद्धालु यहां छठ पूजा करने आते हैं। वहीं यहां भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। पुल पर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर में सूर्य भगवान की प्रतिमा भी बनवाई जाती है। मेला अध्यक्ष गोपी पंडित ने कहा कि घाटों पर होने वाले सभी सजावट तथा टेंट की व्यवस्था उत्तम साह के द्वारा हर वर्ष नि:शुल्क करवाया जाता है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अभी तक घाटों की सफाई शुरू नहीं की गई है। इस बार तो गड्ढों तथा रोड पर बिखरे पत्थरों के कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानियां उठानी पड़ सकती है। प्रशासन चाहे तो वह गड्ढे भरवा कर उनकी परेशानियों को दूर कर सकते हैं लेकिन अभी तक किसी ने कोई पहल नहीं की है।

इन जगहों पर होता है आस्था का महापर्व छठ : 

* भीरखी स्थित नदी घाट

* भीरखी स्थित रेलवे नदी घाट

* सुखासन नदी घाट

* साहुगढ़ नदी घाट

* गौशाला स्थित नदी घाट

* बेल्हा घाट नदी

* गुमटी नदी घाट

* महिला कालेज नदी घाट

* जयपालपट्टी स्थित मुख्य नदी घाट

* जयपालपट्टी स्थित रेलवे नदी घाट


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