मधेपुरा : एक साल के लंबे अंतराल के बाद जारी अंकपत्र में उठने लगे सवाल

Spread the news

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : लगातार छात्र संगठनों के आंदोलन और शोधार्थियों के मांग के बाद शुक्रवार को बीएनएमयू के वेबसाइट पर  अंकपत्र जारी होते ही कई सवाल खड़े होने लगे हैं। वेबसाइट पर अंकपत्र लोड होने की खबर मिलते ही शोधार्थियों में खुशी की लहर दौड़ गई, लेकिन अंकपत्र लोड करते ही उसपर किसी का हस्ताक्षर नहीं देख शोधार्थी आक्रोशित हो गए।

आक्रोशित शोधार्थियों ने शनिवार को बीएनएमयू मुख्य द्वार के सामने बीएनएमयू द्वारा वेबसाइट पर जारी अंकपत्र को जलाकर अपना विरोध व्यक्त किया। सभी शोधार्थियों ने एक स्वर में कहा कि बीएनएमयू प्रशासन की कार्यशैली छात्रहित में नहीं है। पैट पास छात्रों का अंकपत्र यथाशीघ्र जारी करना था, लेकिन लचर व्यवस्था के कारण ऐसा नहीं हो सका जिसके लिए लगातार विरोध हुआ । जब एक साल बाद जारी भी हुआ तो आधिकारिक हस्ताक्षर के बिना।

विज्ञापन

विरोध कर रहे शोधार्थियों ने कहा कि बिना किसी हस्ताक्षर के अंकपत्र का कोई औचित्य नहीं हो सकता। पूर्व में हर बार विश्वविद्यालय के आलाधिकारी द्वारा आश्वस्त किया गया कि विभाग के द्वारा हस्ताक्षर युक्त अंकपत्र उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन जारी अंकपत्र में विश्विद्यालय अपने ही वादे से मुकर गया। शोधार्थियों ने कहा कि अगर ऑनलाइन अंकपत्र ही जारी करना था तो डिजिटल हस्ताक्षर युक्त जारी किया जाता। शोधार्थियों ने साफ शब्दों में कहा कि बीएनएमयू प्रशासन जल्द से जल्द हस्ताक्षर युक्त अंकपत्र उपलब्ध कराए नहीं तो बड़े स्तर पर आर पर की योजना यथाशीघ्र बनेगी।

विज्ञापन

विश्विद्यालय के बैठकों में पत्रकारों पर पाबंदी  तानाशाही रवैया : विश्विद्यालय द्वारा आयोजित बैठक में प्रेस की एंट्री पर बैन लगाने पर छात्र संगठनों ने विरोध व्यक्त करते हुए इसे नियम परिनियम के साथ पत्रकारों के अधिकारों की हत्या बताया है। सभी ने एक स्वर में कहा कि बीएनएमयू में बैठकों में प्रेस को बैन लगा गोलमाल करने की साज़िश पहले भी कई बार हुई है। लेकिन छात्र संगठन के आंदोलनों के बाद उसे वापस लिया गया। फिर से इस प्रकार का फरमान जारी करना दुखद है।

मौके पर हर्ष वर्धन सिंह राठौर, सौरव कुमार, सारंग तनय, दिलीप कुमार दिल, माधव कुमार, अमरेश कुमार, मुकेश कुमार, दिलीप कुमार दिल, मनोहर कुमार आदि मौजूद रहे।


Spread the news