मधेपुरा : कोरोना पॉजिटिव मरीजों के साथ जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रशासन का रवैया अफसोसनाक

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लापरवाही : अस्पताल परिसर के सभी ओर घूम-घूम कर पानी मांगते देखे गए कोरोना मरीज ⇔ वरीय अधिकारियों के आश्वासन के बाद भी लापरवाही में नहीं हुआ सुधारआम लोगों को भुगतना पड़ेगा अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा ⇔ दवाई खाने के लिए पानी मांगा तो नहीं मिला पानी ⇔ दोपहर का खाना तीन बजे तो रात का खाना लगभग 12 बजे ⇔ वार्ता के लिए नहीं पहुंचे अस्पताल प्रशासन के एक भी अधिकारी

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : जिस कोरोना वायरस से भारत की नहीं बल्कि पूरा विश्व परेशान है, मधेपुरा जिला में भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगभग एक सौ तक पहुंच चुकी है । उस कोरोना वायरस को मधेपुरा जिला स्थित जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रशासन हल्के में ले रहा है । एक तरफ जहां सरकार एवं जिला प्रशासन कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगातार काम कर रही है ।

 वहीं दूसरी तरफ जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के लापरवाही के कारण मधेपुरा जिला खतरे में पड़ सकता है । कालेज एवं अस्पताल प्रशासन द्वारा कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ लापरवाही बरती जा रही है । जिसके कारण  लगातार कुछ दिनों से कोरोना पॉजिटिव मरीज अस्पताल प्रशासन से अपनी मांग की पूर्ति के लिये कोरोना वार्ड से बाहर निकल कर अस्पताल परिसर में आने को विवश हो गये हैं । अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण बाहर निकले कोरोना पॉजिटिव मरीज से कोरोना संक्रमण के फैलने का डर बना हुआ है, लेकिन अस्पताल के अधीक्षक समेत किसी भी अधिकारी को इसकी चिंता नहीं है ।

अस्पताल परिसर के सभी ओर घूम-घूम कर मांग रहे थे पानी : मरीजों को मेडिकल कॉलेज में ठिक से खाना तक नहीं दिया जा रहा है, पानी भी पुरी तरह से दुषित है । इस रवैया से परेशान बुधवार को लगभग 11 जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाजरत कोरोना पॉजिटिव मरीज पीने के पानी के लिए वार्ड से बाहर निकलकर अस्पताल परिसर में निकल गये ।  बाहर निकले सभी मरीज अस्पताल प्रशासन से स्वच्छ पानी देने के लिए गुहार लगाने लगे, सभी मरीज अस्पताल परिसर के सभी ओर घूम-घूम कर पानी मांग रहे थे ।  इस दौरान परिसर में तैनात सुरक्षा गार्ड ने मरीजों को समझाने की कोशिश की लेकिन सभी मरीज मानने को तैयार नहीं हुये, उनलोगों का कहना था कि जब तक वरीय अधिकारी आकर उन लोगोंं की मांगों को पूरा नहीं करते हैं, तब तक भी लोग वार्ड के अंदर नहीं जायेंगे, जिसके बाद सभी मरीज परिसर के सड़कों पर इधर-उधर घूमते दिखे, साथ ही अस्पताल के दीवारों क पास जा कर बाहर खड़े लोगों को अपनी व्यथा सुनाने लगे, जिसके बाद सभी मरीज अधीक्षक कार्यालय के बाहर बरामदे पर बैठ गये ।

अधिकारियों के आश्वासन के बाद भी लापरवाही में नहीं हुआ सुधार : मालूम हो कि सोमवार कि रात में भी सही समय एवं ठीक ढंग से खाना नहीं दिए जाने तथा दूषित पानी दिए जाने को लेकर सभी कोरोना पॉजिटिव मरीज वार्ड से बाहर निकल गये थे । सोमवार को भी लगभग 12 बजे तक चले लंबे ड्रामे के बाद सिंहेश्वर प्रखंड विकास पदाधिकारी राजकुमार चौधरी, सदर थानाध्यक्ष सुरेश प्रसाद सिंह एवं सिंहेश्वर थानाध्यक्ष सुबोध यादव के द्वारा सही समय पर एवं ठीक ढंग से खाना दिए जाने तथा स्वच्छ पानी दिए जाने के आश्वासन के बाद सभी मरीज अपने वार्ड के अंदर गए थे, इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन के द्वारा कोरोना पॉजिटिव मरीजों को लेकर लापरवाही होता देख सभी मरीज बुधवार को भी लगभग 11 बजे बाहर निकल गये ।

 मरीजों का कहना था कि अस्पताल प्रशासन को बार-बार शिकायत करने के बावजूद लापरवाही में सुधार नहीं आता है । वही जिले के अन्य अधिकारियों के द्वारा बार-बार लापरवाही में सुधार होने का सिर्फ आश्वासन दिया जाता है लेकिन सुधार होता नहीं दिख रहा है ।

आम लोगों को भुगतना पड़ेगा अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा : इधर अस्पताल परिसर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के बाहर निकलने की सूचना मिलते ही अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया । अस्पताल में अन्य बीमारियों का इलाज कराने पहुंचे मरीज एवं उनके परिजन अस्पताल से भागने लगे, लोगों का कहना था कि  मरीज मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में अच्छे से अच्छे इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं, ना की कोरोना से संक्रमित होने के लिए पहुंचते हैं । लोगों ने कहा कि कोरोना पॉजिटिव मरीज यत्र-तत्र घूम रहे हैं तथा जहां-तहां बैठ भी रहे हैं, ऐसी स्थिति में जिन स्थानों को उन लोगों ने स्पर्श किया है, वहां पर अगर किसी दूसरे व्यक्ति का स्पर्श होता है तो संक्रमण के फैलने का आशंका बना हुआ रहेगा । लोगों ने कहा कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण आम लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा । भुल से भी ये सभी लोग अस्पताल से बाहर यत्र-तत्र निकल जाते तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि स्थिति काफी भयावह हो सकती थी । इस संक्रमण को रोकने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता ।

दवाई खाने के लिए पानी मांगा तो नहीं मिला पानी: वार्ड से बाहर निकले करुणा पॉजिटिव मरीजों ने बताया कि उन लोगों को ना तो समय पर खाना दिया जाता है और ना ही पानी दी जा रही है । उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों से उन लोगों को सुबह का नाश्ता भी नहीं दिया जा रहा था । जब उन्होंने लोगों ने इसका विरोध किया तो बुधवार को नाश्ता तो दिया गया लेकिन पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं थी । नाश्ता करने के बाद जब उन लोगों ने दवाई खाने के लिए पानी मांगा तो कोई पानी देने के लिए मौजूद नहीं था । वहां मौजूद कर्मियों एवं अस्पताल प्रशासन के अधिकारियों को इसकी सूचना दी जाती है, लेकिन कर्मियों एवं अधिकारियों के द्वारा पानी की व्यवस्था करने का सिर्फ आश्वासन दिया जाता है । उन्होंने कहा कि उन लोगों को जो पीने के लिए पानी दिया जाता है वह बेहद ही दूषित पानी है । बोतल में पानी डालने के तुरंत बाद पानी पिला पर जाता है, साथ ही पानी से दुर्गंध भी आती है । जिसके कारण पानी पीने लायक नहीं रहता है, जो भी पानी दिया जाता है, वह बेहद ही कम मात्रा में दिया जाता है ।

दोपहर का खाना तीन बजे तो रात का खाना लगभग 12 बजे : मरीजों ने कहा कि उन लोगों को समय पर खाना भी नहीं दिया जा रहा है । दोपहर का खाना तीन बजे तक दिया जाता है तो रात का खाना लगभग 12 बजे दिया जाता है, जो खाना दिया भी जा रहा है, वह उचित मात्रा में एवं स्वच्छ नहीं रहता है । कभी आलू सड़ा हुआ निकलता है तो कभी चावल पूरा पका हुआ नहीं रहता है । ऐसी स्थिति में लोग यहां स्वस्थ होने के बजाय और बीमार पड़ सकते हैं । मरीजों ने कहा कि अस्पताल के द्वारा समय पर खाना नहीं मिलने एवं खाना कम मिलने के कारण उन लोगों को घर से खाना मंगाना पड़ता है ।

 वहीं उन्होंने कहा कि अस्पताल के सफाई कर्मियों के द्वारा भी लापरवाही बरती जा रही है । वार्ड में सफाई कर्मियों के द्वारा लगातार सफाई नहीं की जाती है । वार्ड का सारा कचरा वार्ड में ही जमा रहता है । उन्होंने कहा कि खाने-पीने तथा दवाई के प्रयोग के बाद जो कचरा बचता है, उसे वार्ड के अंदर ही जमा कर दिया जाता है । जिससे दुर्गंध आती रहती है । उन्होंने कहा कि अगर यहां पर भोजन एवं शुद्ध पानी नहीं दे सकते तो हमें कोरेंटिन सेंटर ही भेज दे, वहां पर हमें कोई दिक्कत नहीं थी ।

वार्ता के लिए नहीं पहुंचे अस्पताल प्रशासन के एक भी अधिकारी : सुबह के 11 बजे से लेकर लगभग तीन बजे तक कोरोना पॉजिटिव मरीज अपनी मांगों को लेकर अस्पताल परिसर में घूमते रहे, लेकिन अस्पताल के अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों ने इन लोगों को समझाने तक का प्रयास नहीं किया । सभी मरीज अधिकारियों को बुलाने की मांग करते रहे, लेकिन अस्पताल प्रशासन के एक भी अधिकारी उन लोगों से वार्ता के लिए नहीं पहुंचे । जिसके कारण सभी मरीज यत्र तत्र घूमते रहे । ऐसी स्थिति में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण मधेपुरा जिला खतरे में पड़ सकता था । वहीं इसकी सूचना जिले के वरीय अधिकारियों को दी गई, जिसके बाद सदर अनुमंडल पदाधिकारी वृंदा लाल, सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वसी अहमद समेत अन्य अधिकारी अस्पताल परिसर पहुंचकर मरीजों से वार्ता किया ।

 मौके पर अधिकारियों ने मरीजों से वार्ता कर सभी को अपना मोबाइल नंबर दिया तथा समय पर खाना देने तथा स्वच्छ पानी देने का आश्वासन दिया, साथ ही अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि आगे से अगर कोई भी परेशानी होती है तो वे तुरंत इसकी जानकारी उन्हें दें, जिसके बाद सभी मरीज शांत हुए और अपने वार्ड में वापस चले गये ।  इसके बाद लगभग डेढ़ घंटे तक अस्पताल प्रशासन एवं जिले के अधिकारियों में वार्ता चली, वार्ता के बाद सदर अनुमंडल पदाधिकारी वृंदा लाल ने बताया कि वार्ड से संबंधित सफाई कर्मी एवं खाना पहुंचाने वाले कर्मियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि मरीजों को किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े । वहीं स्वच्छ पानी के लिए आरओ लगाने का भी निर्देश दिया गया है ।


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