बिहार की राजधानी पटना से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर छपरा जिले के सोनपुर में लगने वाले एशिया के सबसे बड़े पशु मेले हरिहर क्षेत्र में प्रतिवर्ष देश विदेश से लाखों श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान हरिहरनाथ को जल अर्पण करने के लिए सोनपुर आते हैं। शैव और वैष्णव संप्रदाय के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है सोनपुर यहां प्रतिवर्ष एक महीने तक चलने वाला विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा की जिस दिन इस मेले का शुभारंभ यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है यहां भूतों उतारने का भी देश का सबसे बड़ा मेला लगता है। हजारों श्रद्धालु जिन्हें इस बात का वहम होता है कि वे प्रेत बाधा से पीड़ित हैं। अपनी मनौती को लेकर सोनपुर के गंडक-गंगा संगम स्थल पर भूत उतरवाने आते है। जानकार बताते हैं कि यह परंपरा लगभग डेढ़ सौ वर्षों से चली आ रही है। इंसान भले ही चांद पर पहुंच गया हो ज्ञान विज्ञान व तकनीक मानव जीवन का अभिन्न अंग बन गई हो पर अंधविश्वास से घिरे लोगों के लिए प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा सोनपुर भूतों के मेले से कम नहीं होता। सोनपुर के कोनहारा घाट पर अंधविश्वास की सदियों से चली आ रही प्रथा इस वर्ष भी गंगा स्नान के दौरान खूब दिखी। परंपरा का पालन ओझा और भगतों ने की और यहां खूब भूतखेली हुई। मांदर की थाप पर ग्रामीण इलाकों से आये भगत हाथ मे छड़ी लिए महिलाओं के शरीर पर प्रहार कर उनके ऊपर से कथित रूप से भूत उतारते दिखे। स्थापित अंधविश्वासों, भूत और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए ओझा और भूतों को मानने वाले और भूतों से परेशान लोग इस खास दिन का इंतजार करते हैं और यहां आकर अनुष्ठान करते हैं और उनके ऊपर से ओझा-भगत भूतों को भगाते हैं। प्रशासनिक स्तर से इस कुप्रथा को समाप्त करने की दिशा में कोई कारगर पहल नहीं किया गया है।