12 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी गंगा दशहरा

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि दिन बुधवार को हस्त नक्षत्र में गंगा दशहरा मनाया जाएगा। इस वर्ष बुधवार को गंगा दशहरा होने से ग्रह- गोचरों का शुभ संयोग बन रहे हैं I इसी दिन धरती पर जीवनदायिनी मां गंगा का अवतरण हुआ था I भगवान राम ने रामेश्वरम में इसी दिन शिवलिंग की स्थापना की थी I इस दिन गंगा स्नान करने से और दान करने से महापातकों के बराबर दस प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती हैं I गंगा दशहरा को गंगा पृथ्वी पर शुध्दता और संपन्नता लेकर आयी थी I

स्नान-दान से दस महापातकों से मिलेगी मुक्ति : कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने स्कन्द पुराण के हवाले से बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को संवत्सरमुखी की संज्ञा दी गई है। इसमें स्नान और दान बहुत ही पुण्यप्रद माना गया है। गंगा दशहरा के दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान एवं दान करने से दस महापातकों (तीन कायिक, चार वाचिक व तीन मानसिक) के बराबर का पाप से मुक्ति मिलती है। उन्होंने भविष्य पुराण के हवाले कहा कि गंगा दशहरा के दिन स्नान, पूजा के बाद “ॐ नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः” का दस बार जाप करने से कर्ज तथा कलंक के दोष से मुक्ति मिलती है।

सर्वार्थ सिद्धि, बुधवार व हस्त नक्षत्र के होने से बना युग्म संयोग : ज्योतिषी झा ने कहा इस बार गंगा दशहरा पर पुरे दस योग बन रहे है,जो अत्यंत दुर्लभ संयोग है। ये दस योग इस प्रकार है- “ज्येष्ठ मासे सिते पक्षे दशम्यां बुधहस्तयो:, गरानन्दे व्यतिपाते कन्याचन्द्रे वृषे रवौ ।  इसके अलावे बुधवार और हस्त नक्षत्र होने से आनंद योग भी बन रहा है। वही बुधवार को दोपहर एक बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग होने से महाफलदायक योग बना रहा है।
सत्तू व दीपक दान से मिलेगी आरोग्यता : पंडित राकेश झा शास्त्री ने वराह व शिव पुराण का हवाला देते हुए बताया कि गंगा दशहरा के दिन सत्तू, पंखा, ऋतुफल, सुपाड़ी, गुड़, जल युक्त घड़ा के दान से आरोग्यता, समृद्धि और वंश वृद्धि का वरदान मिलता है। इस दिन स्नान के बाद दस दीपों की दान करने से पितरो को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ऐसे शिव की जटाओं में पहुंची मां गंगा : पंडित झा के अनुसार वामन अवतार में राजा बलि के यज्ञ के समय जब भगवान श्रीहरि विष्णु का एक चरण आकाश एवं ब्रह्माण्ड को भेदकर ब्रह्मा जी के सामने स्थित हुआ तब सृष्टि निर्माता ब्रह्मा ने अपने कमण्डल के जल से भगवान विष्णु के चरणों की पूजा की। पांव धुलते समय उस चरण का जल हेमकूट पर्वत पर गिरा और वहां से भगवान शंकर के पास पहुंचा तथा वह जल गंगा के रूप मे उनकी जटा में स्थिर हो गया।

स्नान का शुभ मुहूर्त : साधु स्नान- प्रातः 04 :15 बजे से 05 : 25 बजे तक
शाही स्नान- सुबह 05 :35 बजे से 06 :42 बजे तक
सामान्य स्नान- सूर्योदय से सूर्यास्त तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11 : 22 बजे से 12 : 17 बजे तक


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