सदर अस्पताल मधेपुरा में, अस्पताल प्रशासन का नहीं बल्कि बिचौलियों और दलालों का चलता है राज

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अमित कुमार
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : सदर अस्पताल में बिचौलियों की सक्रियता इतनी बढ़ गई है कि मरीज सदर अस्पताल से निकलकर निजी अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं लेकिन  मरीज के परिजन को इस बात का पता तक नहीं चल पाता है।

 कुछ ऐसेी ही घटना इलाज के लिए पहुंची सबीना खातुन के साथ घटी हैं। पहले बिचौलियों के द्वारा सदर अस्पताल के मुख्य द्वार पर या फिर सदर अस्पताल से पूर्व ही मरीजों को बहला-फुसलाकर उसे निजी अस्पताल में भर्ती करवा देते थे। लेकिन अब तो बिचौलियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि सदर अस्पताल के परिसर ही नहीं बल्कि इमरजेंसी वार्ड के पुर्जा काउंटर के आगे से मरीज को सदर अस्पताल से निकालकर निजी अस्पताल में लेकर चले जाते हैं। वही मरीज के साथ आए परिजन पुर्जा कटवाने जाते हैं और जब लौटकर आते हैं तो उन्हें यह तक पता नहीं कि उनके मरीज शहर के किसी निजी अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं। मतलब यह है कि सदर अस्पताल में अब अस्पताल प्रशासन की नहीं बल्कि बिचौलियों का राज चलता है। जहां पलक झपकने भर की लेट है और मरीज जिले के सरकारी अस्पताल से बिचौलियों के द्वारा निकाल लिये जाते हैं।
क्या हैं मरीज गायब करने का मामला : बिचौलियों के द्वारा सरकारी अस्पताल से निजी अस्पताल ले जाने के कई मामले देखे गए हैं। लेकिन कई मामलों में परिजन खुलकर सामने नहीं आ पाते हैं। इसी तरह का एक मामला शंकरपुर प्रखंड के बथान परसा वार्ड नंबर चार के निवासी मो जलील की पत्नी सबीना खातून का है।

 यह मामला तब सामने आया जब शनिवार की देर शाम सबीना खातून के परिजन सबीना का इलाज करवाने सदर अस्पताल आए थे। सबीना खातून के परिजनों ने बताया कि सबीना खातून गर्भवती थी और इसी दौरान उसने अपने ही गांव में किसी निजी दवाई दुकानदार के द्वारा दवाई देने पर उसका बच्चा पेट में ही मर गया, जिसके कारण सबीना का अधिक रक्त स्राव होने लगा, जिससे उनके परिजनों ने शंकरपुर पीएचसी ले गए। जहां सबीना की नाजुक स्थिति को देख वहां के डॉक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया। जब सबीना के परिजन सबीना को शुक्रवार की देर शाम ऑटो से सदर अस्पताल लेकर पहुंचे, उसके बाद उनके परिजन मो बटन पुर्जा कटवाने इमरजेंसी के पुर्जा काउंटर पर गए तो इसी बीच किसी बिचौलिए ने सबीना को अस्पताल परिसर से लेकर शहर के निजी अस्पताल में पहुंच गए। इसके बाद जब मो बटन पुर्जा कटाकर मरीज के पास वापस आए तो उन्होंने देखा कि जहां उन्होंने मरीज को वाहन में छोड़ा था, वहां ना तो वाहन है और ना ही मरीज है।

सद्दाम नाम के आदमी पर आरोप : उन्होंने आनन-फानन में अस्पताल परिसर को छान मारा पर मरीज का कहीं पता नहीं चला। उसके बाद जब उन्होंने मरीज के साथ अन्य परिजनों को फोन से संपर्क किया तो परिजनों ने बताया कि मो सद्दाम नाम का व्यक्ति अस्पताल परिसर से कम पैसे पर इलाज करवाने के नाम पर जिला मुख्यालय के पश्चिमी बाईपास रोड स्थित एक हॉस्पिटल में लेकर चला गया है तथा अस्पताल के दूसरी मंजिल पर भर्ती भी करवा दिया है। जिसके बाद उनसे मो सद्दाम के द्वारा मोटी रकम की मांग की जा रही है। जिसके बाद मो बटन के द्वारा कहने पर मरीज को पुनः निजी अस्पताल से सदर अस्पताल लाया गया। जहां पर की मरीज का इलाज किया जा रहा है।
वाहन लगा कर रखते है दलाल : सदर अस्पताल परिसर में दलालों के द्वारा मरीज को भटका कर निजी अस्पताल ले जाने का कार्य बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। पहले तो यह बिचौलियों के द्वारा दवाई काउंटर से परिजनों को भटकाकर सदर अस्पताल के बाहर दवाई दुकानों पर ले जाया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे यह बढ़ता ही चला गया। अब तो अस्पताल के आगे में दलालों के द्वारा ऑटो तथा अन्य वाहन लगा हुआ रहता हैं। जिससे कि दलालों का काम आसान हो जाता है। दलाल मरीज एवं उनके परिजनों को बहला-फुसलाकर कम दामों में इलाज करवाने के बहाने शहर के निजी अस्पताल में ले जाते हैं। जहां पर मरीज भर्ती होने के बाद उनसे मोटी रकम ली जाती है। इसके बदले बिचौलियों को भी उसमें मोटी रकम मिलती है।
अस्पताल प्रशासन ने लिया संज्ञान, हटा गार्ड : इस मामले की खबर जब अस्पताल प्रशासन को मिली तो अस्पताल प्रशासन ने तुरंत सख्त रुख अख्तियार किया और अस्पताल मैनेजर कुमार नवनीत चंद्रा ने अस्पताल के अन्य कर्मियों के साथ बिचौलियों को खोजने की कोशिश की मगर तब तक दलाल वहां से भाग चुका था। वहीं अस्पताल प्रशासन ने मामले के वक्त कार्यरत कर्मी पर भी कार्य में लापरवाही बरतने के लिए कार्रवाई की और उन्हें सदर अस्पताल से निकाल दिया गया।

 हालांकि इस मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन ने कुछ अज्ञात लोगों तथा दलालों के खिलाफ सदर थाना में आवेदन भी दिया है।

संवाद सहयोगी :- अमन कुमार 


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